इब्राहिम लोदी की उपलब्धियां
सिकंदर लोदी की मृत्यु के बाद 21 नवंबर 1517 ईसवी में उसका पुत्र इब्राहिम लोदी दिल्ली का सुल्तान बना. इब्राहिम लोदी भी अपने पिता सिकंदर लोदी की तरह ही अत्यंत महत्वाकांक्षी था. उसने राज सिहासन संभालते ही अपने साम्राज्य विस्तार करने की दिशा में प्रयत्न करने लगा.
एक शासक के रूप में इब्राहिम लोदी की सैन्य उपलब्धियां
1. ग्वालियर पर विजय
ग्वालियर पर अधिकार करने का उसके पिता सिकंदर लोदी का सपना अधूरा रह गया था. अतः इब्राहिम लोदी ने अपने पिता की सपना को पूरा करने का निश्चय किया. उस समय ग्वालियर का शासक मान सिंह का पुत्र विक्रमजीत था. वह एक अयोग्य शासक था. विक्रमजीत ने जलाल खां को अपने राज्य में शरण दी थी. अतः इब्राहिम लोदी ने इसी को बहाना बनाकर ग्वालियर पर हमला किया. इस समय इब्राहिम लोदी की सेना का नेतृत्व हुमायूं कर रहा था. लोदी की सेना को ग्वालियर पर अधिकार करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. बहुत ही कठिनाई के बाद उन्होंने ग्वालियर पर अधिकार कर लिया. इब्राहिम लोदी के लिए एक महत्वपूर्ण विजय था क्योंकि उसने अपने पिता के अधूरे सपने को पूरा किया.
2. मेवाड़ पर आक्रमण
ग्वालियर पर जीत के बाद काफी अब्राहिम लोदी काफी उत्साहित था. इसलिए उन्होंने मेवाड़ पर भी हमला कर दिया .इस समय मेवाड़ में महापराक्रमी राणा सांगा शासन कर रहा था. उसने इब्राहिम लोदी की सेना का वीरता पूर्वक सामना किया. इस युद्ध में राणा सांगा की बहादुरी के सामने लोदी की सेना को भागने पर मजबूर होना पड़ा.
3. पानीपत का प्रथम युद्ध
अमीरों और सूबेदारों के प्रति इब्राहिम लोदी की निरंकुशता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी. इस वजह से अमीरों और सूबेदारों ने इब्राहिम लोदी के खिलाफ विद्रोह करना शुरू कर दिया. इसी बीच पंजाब के सूबेदार दौलत खां ने इब्राहिम लोदी को परास्त करने के लिए काबुल के शासक बाबर से मदद मांगी. सिकंदर लोदी के भाई आलम खां ने भी इब्राहिम लोदी को पदस्थ करने के लिए बाबर से मदद मांगने के लिए काबुल गया. बाबर ने अपने कुछ लोगों को भारत की राजनीति की जायजा लेने के लिए आलम खां के साथ भारत भेजा. इसके बाद बाबर ने भारत पर आक्रमण करने के लिए हरी झंडी दिखा दी. आलम खां व दौलत खां जैसे लोगों का सोचना था कि इब्राहिम लोदी को परास्त करने के बाद बाबर वापस काबुल चला जाएगा. लेकिन उनका यह सोचना गलत सिद्ध हुआ. बाबर स्वयं भारत पर अधिकार करना चाहता था. इधर इब्राहिम लोदी ने बाबर के द्वारा आक्रमण की जानकारी मिलने के बाद दाऊद खां को दस हजार घुड़सवारों की सेना के साथ बाबर के सेनापति तर्दी वेग का सामना करने के लिए भेजा. लेकिन इस युद्ध में इब्राहिम लोदी की सेना को बंदी बना लिया गया.
इसके पश्चात इब्राहिम लोदी ने खुद अपनी विशाल और शक्तिशाली सेना के साथ बाबर की सेना का सामना करने के लिए निकला. बाबर की सेना की संख्या इब्राहिम लोदी की सेना के तुलना में अत्यंत कम थी. इसीलिए बाबर ने इब्राहिम लोदी से मुकाबला करने के लिए राजनीति बनाई. उसने महसूस किया की इब्राहिम लोदी की सेना को तोपखाने की मदद से हराया जा सकता है. अप्रैल 1526 ई. में पानीपत के मैदान में बाबर और इब्राहिम लोदी की सेना में भीषण युद्ध हुआ. बाबर ने तोपखाने का जमकर इस्तेमाल किया. इस तोपखाने की आवाज से इब्राहिम लोदी के हाथी घबरा गए और अपनी ही सेना को रौंदने लगे. इससे इब्राहिम लोदी की सेना में भगदड़ मच गई. इस भीषण युद्ध में इब्राहिम लोदी मारा गया और दिल्ली सल्तनत पर बाबर का अधिकार हो गया. इस प्रकार पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी की मृत्यु के साथ ही दिल्ली सल्तनत का पतन हो गया.
मूल्याङ्कन:
इब्राहिल लोदी एक योग्य और मेहनती शासक था. उसके शासनकाल में देश धन- धान्य भरा हुआ था. प्रजा की पूरी सहानुभूति और सहयोग उसे प्राप्त थी. लेकिन अमीरों के प्रति उनकी नीतियों के कारण उसका पतन हो गया. उसके अमीरों पर कथा अनुशासन और दरबारी शिष्टाचार थोपने का प्रयत्न किया. इस वजह से अमीर और सूबेदारों में असंतोष की भावना बढ़ती चली गई. अत: इन्होंने इब्राहिम लोदी को हटाने की षड्यंत्र करने लगे. इन सबके परिणामस्वरूप इब्राहिम लोदी का पतन हो गया.
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एक शासक के रूप में बाबर का मूल्यांकन करेंं
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