औरंगजेब की धार्मिक नीति का वर्णन करें

औरंगजेब की धार्मिक नीति

मुगल सम्राट अकबर ने उदारता और धार्मिक सहिष्णुता की नीति का पालन किया था. इसके परिणामस्वरूप उनको हिंदू जनता का भरपूर सहायक मिला और मुगल साम्राज्य का उत्थान बहुत तेजी से हुआ. अकबर के बाद औरंगजेब ने मुगल साम्राज्य की सत्ता संभाली. वह एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था. वह कभी नमाज छोड़ता नहीं था. उसके द्वारा सत्ता संभालते ही मुगल साम्राज्य की धार्मिक नीति में बहुत बड़ा परिवर्तन आया. औरंगजेब के अनुसार हिंदुओं को दबाना तथा उसके धर्म को नष्ट करना उसका सबसे बड़ा कर्तव्य था. अत: औरंगजेब ने अपने धार्मिक नीति के तहत हिंदुओं पर जुल्म करना और उनके धर्म करने की कोशिश में लग गया.

औरंगजेब की धार्मिक नीति

1. मंदिरों का विध्वंस 

औरंगजेब ने अपनी धार्मिक नीति के अंतर्गत सबसे पहले हिंदू मंदिरों का विनाश करना शुरू कर दिया. कहा जाता है उसने अपने प्रथम सूबेदारी काल के समय गुजरात में नवनिर्मित चिंतामणि मंदिर को ध्वस्त करवाया और उसके स्थान पर मस्जिद का निर्माण करवाया. सिहासन पर बैठते ही उसने एक आदेश जारी किया कि प्राचीन मंदिरों को न गिराया जाए लेकिन नई मंदिरों के निर्माण की अनुमति नहीं दिया जाए. लेकिन उसके आदेश के बावजूद कई स्थानों पर अनेक प्राचीन मंदिरों का विध्वंस किया गया और उनके स्थान पर मस्जिदों की भी स्थापना की गई.

औरंगजेब की धार्मिक नीति

1669 ई. में उसने फिर से एक आदेश जारी किया. इसके अंतर्गत उसने प्रांतीय अधिकारियों को आदेश दिया कि वे काफिरों के मंदिरों को एवं उनके शिक्षण संस्थाओं को नष्ट कर दें. उसके इस आदेश के बाद काशी के विश्वनाथ मंदिर, मथुरा के केशव देव का मंदिर, सोमनाथ का मंदिर तथा उदयपुर, बीजापुर, जोधपुर, कूचबिहार, उज्जैन और महाराष्ट्र के विभिन्न इलाकों में बड़ी संख्या में मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया. औरंगजेब ने मथुरा के केशव देव के मंदिर को ध्वस्त करवाया और मथुरा के नाम बदलकर इस्लामाबाद रख दिया गया. उसने मथुरा के लगभग सभी हिंदू मंदिरों को तुड़वा दिया. इसके अलावा उसने दिल्ली और आगरा से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को मंगवाया और उनको तोड़कर मस्जिदों की सीढ़ियों में डलवा दिया गया.

2. हिंदुओं पर जजिया कर लगाना

अकबर ने अपने शासनकाल में हिंदुओं पर लगे हुए जजिया कर को समाप्त कर दिया था. लेकिन औरंगजेब ने जब मुगल साम्राज्य की सत्ता संभाली तो उसने फिर से हिंदुओं पर जजिया कर लागू कर दिया. उसने अपने पदाधिकारियों को आदेश दिया कि जो लोग इस्लाम धर्म स्वीकार न करें, उनसे तब तक युद्ध किया जाए जब तक वे जजिया कर देने को तैयार न हो जाए. यूरोपीय यात्री मनुची के अनुसार औरंगजेब के द्वारा जजिया कर फिर से लागू करने का के पीछे उसका मुख्य उद्देश्य शाही राजकोष को भरना था. औरंगजेब ने जजिया कर के अलावा व्यापार के क्षेत्र में भी हिंदुओं पर कर लगाए. 1665 ई. में आदेश जारी करके मुसलमानों से उनकी वस्तुओं पर 2% तथा हिंदुओं से 5% चुंगी वसूल करने का आदेश दिया गया. यदुनाथ सरकार के अनुसार भेदभाव के पीछे मुख्य उद्देश्य धार्मिक पक्षपात नहीं बल्कि मुसलमानों में व्यापार के प्रति अभिरुचि को बढ़ाना था.

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3. सरकारी पदों से हिन्दुओं को हटाना 

अकबर ने अपने शासनकाल में हिंदुओं को मुगल साम्राज्य के महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया तथा हिंदुओं को सरकारी पदों के लिए मुसलमानों के बराबर ही अधिकार दिया. लेकिन औरंगजेब के सत्ता संभालते ही इन नीति में परिवर्तन कर दिया और हिंदुओं को सरकारी पदों से अलग कर दिया. 1670 ई. में उसने एक आदेश जारी किया. इस आदेश के अंतर्गत माल विभाग से समस्त हिंदू अधिकारियों को अपदस्थ कर दिया गया. लेकिन उसके इस कदम का परिणाम अच्छा नहीं रहा. अत: विवश होकर उसने फिर से नए आदेश जारी किया और मुसलमानों के साथ हिंदू कर्मचारियों को भी रखना पड़ गया.

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4. हिन्दुओं पर अनेक प्रतिबंध लगाना

1665 ई. में औरंगजेब ने एक सरकारी फरमान जारी किया. इस फरमान के अनुसार राजपूत हिंदुओं को छोड़कर कोई भी हिंदू हाथी, घोड़े और पालकी की सवारी नहीं कर सकता है और न ही किसी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र धारण कर सकता है. इसके अलावा उसने हिंदुओं के मेले और त्योहारों को भी मनाए जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया. उसने हिन्दुओं को होली, दिवाली जैसे त्योहारों को सीमित रूप में ही मनाने की अनुमति दी.

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5. बलपूर्वक धर्म परिवर्तन करना

औरंगजेब एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था. वह हिन्दुओं को भी मुसलमान बनाना अपना कर्तव्य समझता था. अत: उसने हिन्दुओं को मुसलमान बनाने के लिए उसने हर संभव उपाय किए. उसने मुसलमान बनने वाले हिन्दुओं को बहुत से सुविधाएं देने का प्रलोभन दिया. जो हिन्दुओं पर इस प्रकार के प्रलोभन असर नहीं होता था, उनको बलपूर्वक धर्म बदलने पर मजबूर किया जाता था. इस प्रकार औरंगजेब के द्वारा प्रलोभन तथा बलपूर्वक लाखों संख्या में हिन्दुओं का धर्मांतरण किया गया. 

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