चन्द्रगुप्त मौर्य और सैल्यूकस के संबंधों पर प्रकाश डालिए

चन्द्रगुप्त मौर्य और सैल्यूकस के संबंध

राजा नंद के साम्राज्य पर विजय प्राप्त करने के बाद चंद्रगुप्त मौर्य खुद को मगध के सम्राट के रूप में स्थापित किया. इसके बाद चंद्रगुप्त एक विशाल साम्राज्य का शासक बन गया. भारत के जिन प्रदेशों पर सिकंदर ने विजय प्राप्त की थी, वह भी चाणक्य की कूटनीतिक और चंद्रगुप्त की सैन्यशक्ति के कारण उसके साम्राज्य का अंग बन गया. इस प्रकार उनका साम्राज्य हिमालय से दक्षिणपथ तथा बंगाल की खाड़ी से यमुना नदी तक विस्तृत हो गया था. जिस समय चंद्रगुप्त मौर्य अपने विशाल साम्राज्य को सुदृढ़ एवं सुसंगठित करने में व्यस्त था, उसी समय सिकंदर का सेनापति सेल्यूकस भी अपने एशियाई यूनानी साम्राज्य को प्रबल बनाने का प्रयास कर रहा था. 

चन्द्रगुप्त मौर्य और सैल्यूकस के संबंध

सेल्यूकस भी सिकंदर के समान ही महत्वकांक्षी और वीर शासक था. वह अपने राज्य की स्थिति सुदृढ़ करने के पश्चात उसने सिकंदर के द्वारा भारत में जीते गए प्रदेशों को,  जो कि सिकंदर की मृत्यु के पश्चात स्वतंत्र हो गए थे, उन्हें पुनः अपने राज्य में अपने अधीन में करने का प्रयास किया. अपने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने सबसे पहले उसने बैकट्रिया पर आक्रमण किया. इस आक्रमण में उसे सफलता मिली. इस सफलता से उत्साहित होकर सेल्यूकस ने भारत पर भी आक्रमण करना शुरू कर दिया. किंतु इस समय तक स्थिति बदल चुकी थी. अब भारत की राजनीतिक स्थिति सिकंदर के आक्रमण के समय के समान कमजोर न थी. सिकंदर का सामना असंगठित और परस्पर द्वेष रखने वाले प्रजातंत्र और राजतंत्रों से हुआ था, जिसके कारण उसे सफलता मिली थी. लेकिन सेल्यूकस के आक्रमण के समय तक भारत में महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन हो चुका था. अब भारत छोटे-छोटे राज्यों में बंटा नहीं था, वरन मौर्य साम्राज्य के रूप में राजनीतिक एकता के सूत्र में बंध चुका था. यही कारण अब सेल्यूकस का सामना छोटे-छोटे राज्यों से नहीं, वरन एक महान और शक्तिशाली सम्राट चंद्रगुप्त की सुसंगठित एवं सुसज्जित सेना से हुआ. दोनों की सेनाओं में युद्ध हुआ. इस युद्ध में सेल्यूकस को हार का सामना करना पड़ा. इस हार के पश्चात उसे भारतीय प्रदेशों को अधिकार करने के स्थान पर उसे अपने ही राज्य के अनेक प्रदेश चंद्रगुप्त को सौंपने पड़े थे. सेल्यूकस और चंद्रगुप्त मौर्य के मध्य हुए युद्ध की तिथि 303 ई. पू. मानी जाती है. युद्ध के बाद दोनों ने संधि के द्वारा मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किए.

चन्द्रगुप्त मौर्य और सैल्यूकस के संबंध

संधि की शर्तें और महत्व

1. सेल्यूकस ने एरियाना प्रदेश के विस्तृत भू-भाग चंद्रगुप्त को दे दिया. चंद्रगुप्त का साम्राज्य सेल्यूकस की पराजय से पूर्व सिंधु नदी तक ही सीमित था. इस संधि के परिणाम स्वरुप उसके साम्राज्य के विस्तार हिंदूकुश तक विस्तार हो गया. 

2. चंद्रगुप्त ने भी सेल्यूकस को 500 हाथी उपहार में देकर उससे मित्रता पूर्वक संबंध स्थापित किए.

3. सेलिकेशंस चंद्रगुप्त के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित किए. उसने अपनी पुत्री हेलेना का विवाह चंद्रगुप्त मौर्य से कर दिया.

चन्द्रगुप्त मौर्य और सैल्यूकस के संबंध

इस प्रकार सेल्यूकस के पराजय होने के बाद भारत पर कुछ समय तक के लिए यूनानी आक्रमण का भय नहीं रहा. इस प्रकार अपने राज्य के उत्तर-पश्चिमी सीमा को सुरक्षित करके करने के पश्चात चंद्रगुप्त ने पश्चिमी व दक्षिण भारत की ओर सफल अभियान किए.

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