फ्रांस की क्रांति
फ्रांस की आर्थिक स्थिति, फ्रांस की क्रांति का सबसे बड़ा कारण था. लुई 14वें के शासनकाल में उसके द्वारा लगातार की जा रही युद्धों ने देश की आर्थिक व्यवस्था को अत्यंत सोचनीय बना दिया था. जिस समय उसकी मृत्यु हुई, उस समय देश की आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब थी. इसके बाद जब लुई सोलहवा राजगद्दी पर बैठा तो उस समय फ्रांस का दिवालिया निकलने वाला था. खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद उसने अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया. इससे फ्रांस की आर्थिक स्थिति और ही बद से बदतर होती चली गई.
फ्रांस की क्रांति की शुरूआत
लुई सोलहवां ने फ्रांस की आर्थिक संकट को दूर करने के लिए 1787 ई. में कुलीन वर्ग की एक सभा बुलाई. उसे यह उम्मीद थी कि देश की दयनीय आर्थिक स्थिति को देखकर ये लोग विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग के लोगों पर कर लगाने के प्रस्ताव को स्वीकार देंगे. परंतु कुलीन वर्ग राजा का यह प्रस्ताव स्वीकार करने को तैयार नहीं थे. इसके बाद राजा ने ऋण प्राप्त करने का प्रयत्न किया, किंतु पेरिस की संसद ने अन्य कर्ज और नए ऋण की अनुमति देने से इनकार कर दिया. इस पर सरकार ने पेरिस के संसद के खिलाफ कार्रवाई की और उसे समाप्त कर दिया.
सरकार के इस कार्यवाही से जनता में अत्यधिक आक्रोश उत्पन्न हुआ. सैनिकों में भी जजों को गिरफ्तार करने संबंधी आदेशों का इंकार कर दिया. जनता ने सरकार से स्टेटस जनरल के अधिवेशन की मांग की. जनता के भारी दबाव से बनी परिस्थितियों में राजा को झुकना पड़ा और 175 वर्षों के बाद उसने स्टेटस जनरल के निर्वाचन के लिए आदेश जारी किए. इसी के बाद 1789 ई. की फ्रांस की क्रांति की आरंभ हुई.
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