बिंदुसार के जीवन चरित्र और उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए

बिंदुसार के जीवन चरित्र

बिंदुसार मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य का पुत्र था. चंद्रगुप्त के बाद 298 ईसा पूर्व में राजसिहासन पर आसीन हुआ. पौराणिक अनुश्रुतियों में उसको बिंदुसार, भद्रसार और नंदसार जैसे विभिन्न नामों से पुकारा गया है. जैन धर्म के ग्रन्थ उसे बिंदुसार के नाम से ही परिचय कराते हैं बौद्ध ग्रंथों में भी उसके लिए बिंदुसार शब्द का ही प्रयोग किया गया है.

बिंदुसार के जीवन चरित्र

बिंदुसार के प्रारंभिक जीवन के विषय में बहुत ही कम जानकारियां उपलब्ध है. जैन ग्रंथ से हम यह पता चलता है कि उसकी माता का नाम दुर्धरा था. परिशिष्टपर्वन नामक ग्रंथ में उसके जन्म के विषय में एक रोचक प्रसंग का जिक्र किया गया है. इस प्रसंग के अनुसार चाणक्य ने चंद्रगुप्त को विष का अभ्यस्त बनाने के उद्देश्य से उसको भोजन में अल्प मात्रा में विष देना आरंभ किया था. इसका उद्देश्य यह था कि यदि कोई शत्रु विष कन्या द्वारा चंद्रगुप्त की हत्या करना चाहे तो वो सफल ना हो सके. एक दिन चंद्रगुप्त की पत्नी दुर्धरा ने भी चंद्रगुप्त के साथ भोजन किया परन्तु विष के प्रभाव से उसकी मृत्यु हो गई. उस समय रानी दुर्धरा गर्भवती थी. चाणक्य शीघ्र ही उसके उदर को चिरवाकर बच्चे को निकालवा लिया था. इस बच्चे की मस्तक पर विष की एक बूंद लगी थी इसी कारण उसका नाम बिंदुसार रखा गया.

बिन्दुसार की उपलब्धियां 

तिब्बत्ती यात्री तारानाथ ने बिंदुसार को राज्यों का विजेता के रूप में बताया है. उसके अनुसार बिंदुसार ने चाणक्य की सहायता से सोलह राज्यों पर विजय प्राप्त की थी तथा पूर्वी और पश्चिमी समुद्र के मध्य के भूभाग पर भी उसने अपना अधिकार कर लिया था. इस आधार पर अनेक इतिहासकारों का विचार था कि दक्षिण भारत को मौर्य साम्राज्य के अंतर्गत लाने वाला मौर्य शासक चंद्रगुप्त नहीं वरन बिंदुसार था, किंतु जैसा कि पहले वर्णन किया जा चुका है कि इस मत को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. विभिन्न स्त्रोतों और प्रमाण के आधार पर चंद्रगुप्त मौर्य को ही दक्षिण भारत का विजेता माना गया है. अत: यह स्वीकार करना कि चंद्रगुप्त द्वारा बिंदुसार को प्रदान किए गए मौर्य साम्राज्य में दक्षिण भारत भी था, उचित एवं तर्कसंगत है. बिंदुसार की इस क्षेत्र में उपलब्धि केवल इतना ही था कि उसने चंद्रगुप्त द्वारा छोड़े गए साम्राज्य को बनाए रखा.

बिंदुसार के जीवन चरित्र

विद्रोह

बिंदुसार के शासनकाल में उत्तरापथ की राजधानी तक्षशिला में दो बार विद्रोह हुआ. दिव्यवादन से हमें यह पता चलता है कि जब तक्षशिला में विद्रोह हुआ तो बिंदुसार ने अपने पुत्र अशोक को उस विद्रोह का दमन करने के लिए भेजा. अशोक तक्षशिला पहुंचा तो वहां के निवासियों ने उसका स्वागत किया और उसे निवेदन किया कि न हम कुमार के विरुद्ध है और न राजा बिंदुसार के पर दुष्ट आमात्य हमारा अपमान करते हैं. दिव्यवादन से हमें तक्षशिला के दूसरे विद्रोह के विषय में भी पता चलता है. यह विद्रोह बिंदुसार के शासनकाल के अंतिम वर्षों में हुआ था. उस समय अशोक उज्जैन में था. अतः विद्रोह का दमन करने के लिए राजकुमार सुसीम को भेजा गया था. इस प्रकार बिंदुसार ने अपने पुत्रों की सहायता से न केवल अपने पैतृक साम्राज्य को अक्षुण्ण बनाए रखा बल्कि उसका विस्तार भी किया.

बिंदुसार के जीवन चरित्र

विदेशों में संबंध

बिंदुसार ने अपनी शांतिपूर्ण विदेशी नीति का पालन करते हुए. अपने पिता चंद्रगुप्त पद चिन्हों पर चलते हुए अन्य देशों से भी मित्रता का संबंध बनाए रखें. बिंदुसार ने समकालीन यूनानी राजाओं से भी भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखें. बिंदुसार के अन्य देशों के साथ संबंध के विषय में यूनानी लेखकों के वृतांत से भी जानकारी मिलती है. यूनानी लेखकों के विवरण से हमें यह भी पता चलता है कि  बिंदुसार की दर्शन में अभिरुचि थी दिव्यवादन से पता चलता है कि उसने अपने दरबार में विद्वानों को आश्रय दिया था. इसकी पुष्टि अशोक के स्तंभ लेख से भी होती है.

बिंदुसार के जीवन चरित्र

मूल्यांकन

बिंदुसार एक शक्तिशाली एवं योग्य शासक था. उस के शासनकाल में मौर्य राज्य ने अत्यधिक उन्नति की बिंदुसार की आर्य मंजुश्री मूलकल्प में अत्यंत प्रशंसा की गई है. इस कृति में उसे प्रौढ़, धृष्ट (साहसी), प्रगल्भ (वाकपटु), प्रियवादी (मीठा बोलने वाला) और संवृत जैसे शब्दों से नवाजा गया है.

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पूछे जाने वाले प्रश्न: 

1. बिन्दुसार की कितनी पत्नियां थी?

बिन्दुसार की कुल 16 पत्नियां थी, जबकि उसके पिता चंद्रगुप्त ने दो महिलाओं से विवाह किए थे.

2. बिन्दुसार के कुल कितने पुत्र थे?

बिन्दुसार के कुल 101 पुत्र थे. उनके पुत्रों में अशोक, विताशोक और सुसीम का नाम सबसे ज्यादा प्रचलित रहा है. अशोक व विताशोक दोनों एक ही माता के पुत्र थे.

3. बिंदुसार किस धर्म का अनुयायी था?

मौर्य सम्राट बिन्दुसार आजीविक धर्म के अनुयायी थे. उन्होंने 298 ई. पू. से 273 ई. पू. तक शासन किया.

4. बिंदुसार का जन्म और मृत्यु कब हुआ था?

बिंदुसार का जन्म 320 ई. पू. में हुई थी तथा मृत्यु 273 ई. पू. हुई थी.

5. बिंदुसार ने कितने वर्षों तक शासन किया?

बिंदुसार ने लगभग 25-26 वर्षों तक शासन किया. उसके उत्तरधिकारी उसका पुत्र सम्राट अशोक हुआ जो कि भारतीय इतिहास का महान और प्रतापी शासक हुआ.

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