विश्व में नवपाषाण काल की शुरुआत 9000 ई. पू. से होता है. वहीं भारत में इस सभ्यता की शुरुआत लगभग 4000 ई. पू. से होती है. भारत में पुरातात्विक खोज के दौरान इस काल के बहुत से स्थलों की खुदाई करने पर इस काल के बहुत से उपकरण प्राप्त हुए हैं.
1. मेहरगढ़
भारतीय उपमहाद्वीप में स्थित मेहरगढ़ ( अब पाकिस्तान) में एक नवपाषाणकालीन बस्ती मिली है. यह बस्ती 7000 ई. पू. की बताई गई है. उत्खनन के परिणामस्वरूप इस स्थान से कच्चे मकान, पत्थर के कटोरे और पालतू जानवरों की हड्डियां प्राप्त हुई है. इन अवशेषों के अध्ययन से हमें ये पता चलता है कि 5000 ई. पू. से पहले यहाँ के लोग मृदभांड का प्रयोग नहीं करते थे.
2. मैसूर (कर्नाटक) तथा आंध्रप्रदेश
मैसूर और आंध्रप्रदेश के कृष्णा तथा कावेरी नदियों के घाटियों में हुए उत्खनन के परिणामस्वरूप नवपाषाण काल के बड़ी मात्रा में अवशेष प्राप्त हुए हैं. इन स्थानों में किए गए खुदाई में पॉलिशदार पत्थरों से बने औजार, पत्थर की कुल्हाड़ी आदि अत्याधिक मात्रा में प्राप्त किए गए.
3. बुर्जाहोम (श्रीनगर)
बुर्जाहोम श्रीनगर से उत्तर पश्चिम दिशा में करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. बुर्जाहोम का शब्दिक अर्थ जन्मस्थान है. इस स्थान की खोज 1935 ई. में टी. टेरा और पीटरसन ने की थी. यहाँ के लोग झील के किनारे पर रहते थे तथा शिकार और मछली पकड़ कर अपना जीवन यापन करते थे. यहाँ के लोग रुखड़े धूसर मृदभांडों का प्रयोग करते थे. खुदाई के पश्चात यहाँ बहुत से कब्र मिले. इन कब्रों में इंसानों की अस्थियां उनके पालतू कुत्तों के साथ पाई गई है.
4. गुफकराल (श्रीनगर)
गुफकराल श्रीनगर से दक्षिण पश्चिम दिशा में लगभग 41 किलोमीटर के दिशा में स्थित है. गुफकराल शब्द का अर्थ है कुम्हार का गुफा है. इस जगह की खोज 9181 ई. में ए. के. शर्मा ने की थी. इस जगह के अध्ययन करने पर यह ज्ञात होता है कि यहाँ के लोग कृषि तथा पशुपालन करते थे. औजारों के रूम में यहाँ के लोग भी पालिशदार पत्थरों और जानवरों के हड्डियों का इस्तेमाल करते थे.
5. चिरांद (पटना)
पटना में स्थित चिरांद में नवपाषाण काल से सम्बंधित बड़ी मात्रा वे अवशेष प्राप्त हुए हैं. यहाँ हुए उत्खनन परिणामस्वरूप बड़ी मात्रा में हड्डियों से बने औजार प्राप्त हुए हैं. ये हड्डियों से बने औजार मुख्य रूप से हिरन के सींगों से बने होते थे.
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