भारत पर अरबों के आक्रमण
सातवीं शताब्दी की शुरुआत में ही अरबों ने भारत पर आक्रमण करना शुरू कर दिया. इसकी प्रमुख वजह यह है कि सातवीं शताब्दी में अरब अचानक की अत्यंत शक्तिशाली सैन्य शक्ति के रूप में उभरने लगे थे. इतिहासकारों के मुताबिक अरबों का अचानक शक्तिशाली सैन्य शक्ति के रूप में उभरना तत्कालीन समय की एक प्रमुख ऐतिहासिक घटना थी.
अरब में भारत के प्रथम अभियान के दौरान 636 ईसवी में थाना (मुंबई), भड़ौच तथा देवल के बंदरगाहों पर अधिकार करने का प्रयत्न किया, परंतु उनको कोई विशेष सफलता नहीं मिल पाई. 643 ईस्वी में अरबों ने सिंध पर अधिकार करने का प्रयत्न किया, पर उनको हार का सामना करना पड़ा. अरबों के भारत के प्रथम असफल अभियान के बाद उन्होंने फिर से भारत पर आक्रमण करने की योजनाएं बनाई. वे इस बार सिंध पर अधिकार करना चाहते थे. इस समय सिंध का राजा दाहिर था इस दौरान श्रीलंका से एक जहाज इराक जा रहा था. इस जहाज में कुछ मुस्लिम महिलाएं यात्रा कर रही थी. इस जहाज को लुटेरों ने देवल बंदरगाह के समीप लूट लिया. इस घटना से इराक का गवर्नर आहत हुआ और राजा दाहिर को संदेश भेजा कि वह लुटेरों को दंडित करें, लेकिन राजा दाहिर ने लुटेरों को दंडित करने पर इंकार कर दिया. इस घटना से क्रोधित होकर हजार ने अपने सेनापति उबेदुल्लाह के नेतृत्व में सिंध पर आक्रमण करने के लिए अपनी सीना भेजी, परंतु राजा दाहिर ने उन को परास्त किया और इस युद्ध में अरब का सेनापति मारा गया. इसके बाद सेनापति बुदेल के नेतृत्व में अरबों ने फिर से देवल पर आक्रमण किया, पर उनको भी दाहिर के पुत्र जयसिंह ने परास्त किया तथा बुदेल की हत्या कर दी गई.
अपने दो सेनापतियों की हत्या की खबर पाकर हजार अत्यंत क्रोधित हुआ. उसने अपनी हार का बदला लेने के लिए इस बार अपने दामाद मोहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में एक शक्तिशाली सेना को सिंध पर आक्रमण करने भेजा. मोहम्मद बिन कासिम एक कुशल योद्धा होने के साथ-साथ एक कुशल रणनीतिकार भी था. उसने राजा दाहिर के विरोधियों को अपने साथ मिला लिया. इसके बाद राजा दाहिर से नाखुश बौद्धों ने भी अरबों का समर्थन किया. इस प्रकार पूरी तैयारी के साथ कासिम ने देवल पर आक्रमण किया. यहां कासिम का सामना दाहिर के भतीजे ने किया. काफी कोशिशों के बाद भी कासिम देवल को जीत नहीं पा रहा था, लेकिन इसी बीच एक ब्राह्मण के द्वारा कासिम को देवल के गुप्त रहस्य बताने के कारण वह देवल पर अधिकार करने में सफल हुआ. देवल पर कब्जा करने के बाद अरबों ने देवल को काफी लूटा. यहां उन्होंने काफी अत्याचार किए. बड़ी संख्या में लोगों की हत्याएं की और दास बनाए. देवल जीतने के बाद उन्होंने बौद्ध बहुल नगर निरून की ओर कूच किया. यहां के बौद्धों ने बिना युद्ध किए अरबों की अधीनता स्वीकार की. इसके बाद उन्होंने सेहवान नगर पर अधिकार कर लिया.
सेहवान नगर पर अधिकार करने के पश्चात उन्होंने सिंधु नदी पार करके उन्होंने राजा दाहिर पर आक्रमण किया. रावोर नामक स्थान पर दोनों की सेनाओं के बीच भीषण युद्ध हुआ. लेकिन युद्ध के दौरान राजा दाहिर के हृदय में तीर लग जाने के कारण वह युद्ध भूमि में मारा गया. इसके पश्चात दाहिर की पत्नी ने वीरता पूर्वक अरबों का सामना किया पर वह नाकाम रही. इसके बाद वह जौहर नीति अपनाकर अन्य स्त्रियों के साथ अग्नि में प्रवेश कर गई. रावोर पर जीत के बाद अरब ब्राह्मणावाद पहुंचे. यहां दाहिर के पुत्र जयसिंह ने वीरता पूर्वक उनका सामना किया, लेकिन कुछ राज द्रोहियों के कारण अरब ब्राह्मणावाद पर कब्जा करने पर सफल हो गए. इसके बाद कासिम ने आलोर तथा मुल्तान पर भी अधिकार कर लिया. इस प्रकार संपूर्ण सिंध पर अरबों का अधिकार हो गया.
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