मानववाद से आप क्या समझते है?

मानववाद

मानववाद अर्थात मनुष्यवाद दर्शनशास्त्र का एक विचारधारा को कहते हैं जिसके अनुसार मनुष्यों के मूल्यों और उनके भलाई से सम्बंधित बातों को प्राथमिकता दी जाती है. मानववाद में धार्मिक दृष्टिकोणों और अलौकिक विचार-पद्धतियों को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है. इसके बजाए तर्कशक्ति, न्यायिक सिद्धांतों और आचारनीति आदि पर ज़ोर दिया जाता है. दूसरे शब्दों में कहें तो मानववाद का तात्पर्य आधुनिक समय के उन्नत ज्ञान से है जिसके आधार पर आध्यात्मिकता तथा धर्मशास्त्रों में लिखी बातों पर मनन-चिंतन करते हुए उन पर लिखी बातों की सत्यता पर संदेह करते हुए इस पर तर्क-वितर्क किया जाता है.

मानववाद

मानवाद की विचारधारा को मानने वालों को मानववादी कहा जाता है. इन्होंने मध्ययुगीन व्यवस्थाओं के खिलाफ आवाज उठाई और धार्मिक विषयों के स्थान पर विज्ञान, इतिहास, भूगोल शौंदर्यशास्त्र जैसे विषयों पर बल दिया. इसके अलावा संयोग-वियोग, प्रेम-घृणा, नारी-सौंदर्य, दाम्पत्य जीवन तथा सामाजिक समस्याओं पर बल दिया. मानववादियों के भरसक प्रयास से यूरोप के मध्युगीन व्यवस्था की दीवार टूटने लगी और लोगों ने साहित्य एवं कलाओं का अध्ययन करना शुरू किया. इससे लोगों के ह्रदय से अलौकिक और परलौकिक धारणाये ख़त्म होने लगी. धार्मिक मठों के स्थान पर विश्वविद्यलयों और सांस्कृतिक संस्थाओं के स्थापना पर बल दिया जाने लगा.

मानववाद

मानववाद का विचारधारा इटली से निकलकर पुरे यूरोप में फैलने लगी. इसका परिणाम ये हुआ कि धीरे-धीरे मानववाद पूरे यूरोप में फ़ैल गया और पुनर्जागरण पैदा कर धर्म सुधार के आंदोलन का मार्ग प्रशस्त कर दिया. इतिहासकार हेज के अनुसार नवजागरण कि प्रस्तुति मानवतावाद के द्वारा हुई. प्राचीन यूनानी सभ्यता और संस्कृति का पक्षपाती पैट्रार्क को मानवतावाद का पिता कहा जाता है.

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