रूस-जापान युद्ध (1904-05 ई.)
रूस-जापान युद्ध (1904-05 ई.) का परिणाम विश्व ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. जापान जैसे छोटे से देश ने जिस प्रकार रूस को पराजित किया. उससे सम्पूर्ण विश्व आश्चर्यचकित हो गया. 1904-05 ई. में हुए रूस की पराजय के लिए बहुत से कारण जिम्मेवार थे.
रूस-जापान युद्ध (1904-05 ई.) में रूस की पराजय के कारण
1. रूस की लापरवाही
रूस कोरिया पर अपना प्रभाव लगातार बढ़ाता जा रहा था. कोरिया पर रूस के बढ़ते प्रभाव को देखकर जापान की चिंता बढ़ती जा रही थी क्योंकि कोरिया से जापान की अपनी हित भी जुड़ी हुई थी. अत: जापान से रूस के सामने कोरिया पर अपना प्रभाव रोकने सम्बन्धी प्रस्ताव रखा. रूस, जापान के इस प्रस्ताव को नजरअंदाज कर दिया. इधर जापान भी रूस के सामने एक के बाद एक प्रस्ताव रखता गया. रूस भी जापान के इन प्रस्तावों पर कभी ध्यान नहीं दिया क्योंकि उसे लगता था कि जापान कभी भी रूस पर हमले करने का जुर्रत नहीं कर सकता है सिवाय इस प्रकार के प्रस्ताव रखने के. अतः वह लगातार कोरिया पर अपना प्रभाव बढ़ाने में लगा रहा. इधर रूस के द्वारा लगातार उसके प्रस्तावों को ठुकराने के कारण जापान से चुपचाप युद्ध की तैयारियां करनी शुरू कर दी फिर उसने अचानक रूस पर आक्रमण कर दिया. जापान के इस प्रकार अचानक हमले से रूस संभल नहीं पाया. उसने कभी भी जापान की ओर से होनेवाले संभावित हमले का सामना करने के लिए कभी भी सैन्य तैयारी नहीं की थी. अतः उसे इस युद्ध में हार सा मुँह देखना पड़ गया.
2. नेतृत्व का आभाव
रूस के सैन्य नेतृत्व क्षमता में बहुत सी खामियां थी. रूस के सैन्य अधिकारी युद्ध की हालातों में फैसला लेने दुश्मन के विरुद्ध रणनीति बनाने का कोई अनुभव नहीं था. रूस के सैनिकों में राष्ट्रीयता की भावना की भी भारी कमी थी. इसके विपरीत जापान से सैन्य अधिकारी कई युद्धों के अनुभव रखते थे. उनमें कुशल नेतृत्व करने की क्षमता के अलावा विषम परिस्थितियों में फैसले लेने की क्षमता थी. जापानी सैनिकों में राष्ट्रीयता की भावना कूट कूट कर भरी थी. इसके अलावा यह युद्ध जापानियों के लिए जीवन और मरण का सवाल था क्योंकि रूस पर हमला उन्होंने ही किया था. अत: उन्हें यह युद्ध किसी भी हाल में जीतना मजबूरी बन गया. यही वजह है कि इस युद्ध में जापानी अपनी सम्पूर्ण क्षमता से लड़े. यही कारण रूस को पराजय का सामना करना पड़ा.
3. युद्ध स्थल का रूस से काफी दूर होना
रूस-जापान युद्ध (1904-05 ई.) मंचूरिया में लड़ा गया था. मंचूरिया जापान की तुलना में रूस से काफी दूर था. अत: यद्ध स्थल में रुसी सैनिकों को पहुंचने में काफी समय लगता था. इसके अलावा उनके लिए सही समय पर हथियार और रसद नहीं पहुंच पाता था. इसके विपरीत मंचूरिया जापान के काफी करीब था. इस कारण जापान के सैनिक कम समय और पर्याप्त संख्या में युद्ध स्थल में पहुंच जाते थे. उनके हथियार और रसद की आपूर्ति भी शीघ्र हो जाती थी. यही कारण है कि रूस के सैनिक जापानी सैनिकों के सामने कमजोर पड़ने लगे. अत: यही वजह से रूस को हार का सामना करना पड़ा.
4. रूस का आर्थिक संकट
रूस-जापान युद्ध (1904-05 ई.) के दौरान रूस में भयंकर आर्थिक संकट उत्पन्न हुआ. इस कारण रूस की जनता के पैसे ख़त्म होने लगे जिससे उन्हें अपनी जरुरत की वस्तुएं खरीदने के लिए भी संघर्ष करना पड़ने लगा. ऐसी स्थिति में रूस की जनता रुसी सरकार से युद्ध बंद करने की मांग को लेकर जगह-जगह आंदोलन करना शुरू कर दिया. आर्थिक संकट उत्पन्न होने के कारण रूस में आंतरिक विद्रोह होने शुरू हो गए. इस के कारण रुसी सरकार काफी दबाव में आ गई. अत: रूस की दयनीय आर्थिक स्थिति और जनता के भारी दबाव में रूस के लिए युद्ध जारी करना असंभव था. ऐसी हालत में मजबूर होकर रूस को युद्ध से पीछे हटना पड़ा.
5. यूरोपीय देशों का तटस्थ रहना
रूस जापान युद्ध में यूरोपीय देश तटस्थ रहे. इसका मुख्य कारण 1902 ई. में जापान से इंग्लैंड से समझौता कर लिया था कि यदि जापान किसी के साथ युद्ध करता है और कोई तीसरा देश दुश्मन देश कि मदद करता है तो इंग्लैंड भी जापान कि मदद करेगा. उधर उन्मुक्त द्वार नीति के तहत जापान ने अमेरिका से भी सहानुभूति प्राप्त कर ली थी. इस नीति के तहत अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया था कि जापान पर किसी देश के द्वारा हमले कि स्थिति में वह जापान की सहायता करेगा. जापान के इन संधियों के कारण फ्रांस और जर्मनी चाहकर भी रूस की मदद करने के लिए आगे नहीं आ सके.
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