समुद्रगुप्त का मूल्यांकन करें

समुद्रगुप्त का मूल्यांकन

समुद्रगुप्त का शासनकाल भारतीय इतिहास का एक गौरवशाली काल था. समुद्रगुप्त एक विलक्षण बहुमुखी प्रतिभा तथा अन्य गुणों से भरा हुआ सम्राट थे.  वह एक कुशल योद्धा, प्रवीण सेनापति, काव्यप्रेमी, कला प्रेमी तथा संस्कृति प्रेमी भी थे. उनके इन प्रतिभाओं के की गवाह इतिहास के विभिन्न स्त्रोतों से मिलती है.

समुद्रगुप्त का मूल्यांकन

समुद्रगुप्त एक असाधारण योद्धा और समर विजेता था. वह अपने दिग्विजय अभियानों के दौरान सैकड़ों युद्धों को लड़ा था. उसने अपने इन विजयों से अपने साम्राज्य को विस्तार और संगठित किया. प्रयाग प्रशस्ति उसे यह बात स्पष्ट है कि समुद्रगुप्त एक संपूर्ण भारतीय समाज को एक सूत्र में बांधने की भावना से प्रेरित था. वह पूरे भारत को राजनीतिक एकता प्रदान करना चाहता था. उसने अपने विजय अभियान के दौरान संपूर्ण भारत को अपने अधिकार में लेने का प्रयास नहीं किया बल्कि उन छोटे राज्यों को जीतने के बाद उन्हें अपनी आजादी दी. प्रो. आर. डी. बनर्जी के अनुसार समुद्रगुप्त एक महान सम्राट था. संभवत गुप्त वंश का सबसे महान शासक था. उसे अपने पिता से छोटा सा राज्य प्राप्त हुआ, किंतु उसने अपने उउत्तराधिकारियों  के लिए विशाल साम्राज्य छोड़ा. उसने शासन व सरकार की पद्धति में सुधार किया. उसके द्वारा चलाई गई शासन पद्धति कुछ आवश्यक परिवर्तनों के साथ मुसलमानों के द्वारा उत्तरी भारत की विजय के समय तक चलती रही. समुद्रगुप्त के बारे में डॉ आर एस त्रिपाठी त्रिपाठी का भी लगभग यही मत है. उनके अनुसार समुद्रगुप्त की प्रारंभिक स्थिति चाहे जैसी भी हो, वह गुप्त सम्राट में सबसे योग्य प्रमाणित हुआ और अपनी सफलताओं से उसने अपने पिता द्वारा अपने चयन के औचित्य को प्रमाणित कर दिया.

समुद्रगुप्त का मूल्यांकन

इतिहासकारों के मुताबिक समुद्रगुप्त का शासन काल राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं संस्कृतिक दृष्टिकोण से सामरिक महत्व का काल था. इस विषय में आर.सी. मजूमदार ने उसकी प्रशंसा करते हुए लिखा है इसमें कोई संदेह नहीं कि समुद्रगुप्त का व्यक्तित्व महान, प्रभावक और अद्वितीय था तथा इसने अपने भारतीय इतिहास में नवीन युग का प्रादुर्भाव किया. डॉ. वी. ए. स्मिथ ने भी समुद्रगुप्त के विषय में लिखा है कि समुद्रगुप्त अद्वितीय व्यक्तिगत गुणों व विभिन्न असाधारण योग्यताओं से परिपूर्ण व्यक्ति था. वह एक वास्तविक व्यक्ति, एक विद्वान, एक कवि, एक संगीतज्ञ और एक योद्धा था. उनके इसी गुणों के कारण उसे भारत का नेपोलियन भी कहा जाता था. उसकी तुलना चन्द्रगुप्त मौर्य, अशोक और नेपोलियन से भी को जाती है.

समुद्रगुप्त का मूल्यांकन

एरण अभिलेख में भी समुद्रगुप्त की काफी प्रशंसा की गई है. इस अभिलेख के अनुसार समुद्रगुप्त विशाल समुद्र की तरह अत्यंत गंभीर व गहन था. उसके व्यक्तित्व में उदयन की कलाप्रियता, चंद्रगुप्त मौर्य की प्रवीणता एवं साहसिकता, अशोक की मृदुता और दयालु, पृथु व रघु की दानशीलता, तथा राजर्षि जनक की विद्याप्रियता के समस्त गुण समवेत रूप से विद्यमान थे.

समुद्रगुप्त केवल शस्त्रों में ही नहीं बल्कि शास्त्रों में भी प्रवीण था. जैसे वह युद्ध में एक महान योद्धा था, उसी प्रकार उसे शास्त्रों का भी भरपूर ज्ञान था. वह भारतीय संस्कृति के रक्षक एवं पोषक था तथा एक धर्मसहिष्णु सम्राट था. वह वैष्णव धर्म को मानने वाला था, किंतु अन्य धर्मों के प्रति भी उदार दृष्टिकोण रखता था. वह धर्म की मर्यादा को स्थापित करने वाला धर्म प्रवर्तक राजा था.

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प्रयाग प्रशस्ति से ज्ञात होता है कि वह साहित्य एवं कला प्रेमी सम्राट था. वह पंडितों और विद्वानों को आश्रयदाता था. वह स्वयं भी एक कवि था. वह अपनी काव्य-निपूर्णता के कारण कवियों का राजा की प्रख्याति प्राप्त की थी. समुद्रगुप्त  ललित प्रवीणता उसके वीणा शैली की मुद्राओं से होती है. प्रयाण प्रसस्ति के अनुसार परक्रमांक समुद्रगुप्त का व्यक्तित्व सैकड़ों सुचितों से अलंकृत था तथा उसके अनेकानेक गुणों से निसृत उसकी कृति की ज्योत्स्ना ने अन्य राजाओं की कृति को अपने चरण तल की द्युति से म्लान कर दिया था. प्रयाग प्रसस्ति के अन्य स्थान में लिखा है वह सब राजाओं का नाश करनेवाला था, संसार में उसका कोई प्रतिद्वंदी न था और उसकी प्रसिद्धि चारों समुद्र तक विस्तृत थी. वह मनुष्यों में देवता के सामान, धन में कुबेर के सामान, शक्ति  के सामान और विद्वता में वृहस्पति के सामान था. वह यम की भांति अजेय, भले पुरुषों की आशा व बुरे पुरुषों की नाश करनेवाला था. 

समुद्रगुप्त का मूल्यांकन

इस बातों से पूरी तरह स्पष्ट है कि समुद्रगुप्त भारत के महान शासकों में से एक था. वह योद्धा होने के साथ-साथ आने प्रतिभाओं से भरा हुआ था. उसने पूरे साम्राज्य को राजनीतिक और सामाजिक एकता के सूत्र में बांधने का प्रयास किया था. यही वजह से इतिहास के पन्नों में उनका नाम महान शासक के रूप में दर्ज है.

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