हिटलर की आर्थिक नीति
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई थी. विश्व के महाशक्तियों के द्वारा उस पर एकतरफा वर्साय संधि थोपे जाने के कारण तथा विश्वयुद्ध में हुए जानमाल के नुकसान का हर्जाना देने के दबाव होने के कारण जर्मनी आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो चुका था. अत: जर्मनी का तानाशाही शासक हिटलर ने देश की इस दयनीय आर्थिक दशा को सुधारने का निश्चय किया. इसके लिए उसने बहुत से महत्वपूर्ण कदम उठाने शुरू किए.
हिटलर के द्वारा उठाए गए कदम
1. हड़ताल रैली आदि पर प्रतिबंध
हिटलर देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा के पहले कदम के रूप में उसने हड़ताल, रैली सभाओं आदि पर प्रतिबंध लगा दिया. इसके लिए उसने मई 1934 ई. में एक नियम पारित किया. इस प्रतिबंध का मुख्य उद्देश्य देश में शांति और स्थिरता लाना था, क्योंकि वह यह बात अच्छी तरह जानता था कि देश में शांति और स्थिरता लाए बिना कोई भी परिवर्तन संभव नहीं है.
2. लेबर ट्रस्टी की स्थापना
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी के श्रमिक वर्ग की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी थी. अत: हिटलर ने श्रमिक वर्ग की समस्याओं को हल करने तथा उनके अधिकारों की रक्षा के लिए बड़ी संख्या में लेबर ट्रस्टी नामक संस्थाओं की स्थापना करनी शुरू की. इससे धीरे-धीरे श्रमिक वर्ग की स्थिति में सुधार होनी शुरू हुई.
3. रोजगार प्रदान करना
हिटलर ने जर्मनी की जनता के लिए रोजगार के रास्ते खोलने शुरू किए. इसके तहत सबसे पहले उसने बेकारी की समस्या को दूर करने के लिए स्त्रियों को चारदीवारी के अंदर रहने का आदेश दिया. इसके बाद लोगों को रोजगार देने के लिए लेबर कैम्पों की स्थापना की. सेना में बड़ी संख्या में लोगों को भर्ती किया जाने लगा. इन उपायों से उसने लगभग 20 लाख लोगों को तत्काल रोजगार प्रदान किया.
4. कृषि के क्षेत्र में उन्नति
हिटलर ने कृषि के क्षेत्र में भी सुधार लाने के लिए उसने खेती को राज्य के नियंत्रण में ले लिया. इसके बाद उसने कृषि संबंधी अनेक नियम पारित किए. उसने कृषकों को प्रोत्साहन दिया तथा उनके लिए कई सुविधाएं प्रदान किए. सिंचाई की उचित व्यवस्था किए. नई कृषि तकनीकों को बढ़ावा दिया गया. इस कारण कृषि के क्षेत्र में भी काफी तेजी से उन्नति होने लगी.
5. व्यापारिक उन्नति
हिटलर ने देश के व्यापार को बढ़ाने के लिए बहुत से महत्वपूर्ण कदम उठाने शुरू कर दिए. उसने विदेशों से व्यापारिक संबंध स्थापित किए. जर्मनी में उत्पादन नहीं होने वाली दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं को उसने विदेशों से आयात करना शुरू किया. इसके बदले उसने उन देशों को अपने यहां उपलब्ध कच्चा माल दिया. इस प्रकार जर्मनी अपने व्यापारिक क्षेत्र में काफी तेजी से उन्नति करता गया.
6. उद्योग-धंधे
हिटलर चाहता था कि उसका देश हर क्षेत्र में स्वावलंबी बने. इसके लिए उन्होंने अपने देश में बड़ी संख्या में उद्योग-धंधों की स्थापना करनी शुरू की. धीरे-धीरे उन्होंने अपनी जरूरतों के हर चीजों का उत्पादन अपने देश में करना शुरू कर दिया. जर्मनी के सरकारी आंकड़े के अनुसार हिटलर के शासनकाल के पांचवें वर्ष में ही वस्तुओं के उत्पादन में कई गुना वृद्धि हो गई. इससे लाखों लोगों को रोजगार मिला और जर्मनी धीरे-धीरे आर्थिक क्षेत्र में सशक्त होता चला गया.
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