अंग्रेजों की भारत विजय में सफलता के प्रमुख कारण क्या थे?

अंग्रेजों की भारत विजय

भारत के विभिन्न भागों में अंग्रेजों की द्वारा विजय की प्रक्रिया लगभग 100 सालों में पूरी हुई. इस दौरान अंग्रेजों को अनेक राजनयिक और सैनिक असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर भी वे अपने अभियान के लिए लगातार संघर्ष करते रहे और अंतत: वे विजय हुए. अंग्रेजो के इन सफलताओं के कारणों पर अध्ययन करने पर हमें स्पष्ट पता चलता है कि उनकी भारत विजय में सफलता के लिए बहुत से कारक उत्तरदायी हैं.

अंग्रेजों की भारत विजय में सफलता के प्रमुख कारण

अंग्रेजों की भारत विजय में सफलता के प्रमुख कारण

1. हथियारों की गुणवत्ता

अंग्रेज अस्त्र-शस्त्र तथा भौतिक सभ्यताओं के क्षेत्र में अपने प्रतिनिधियों से काफी आगे थे. वे हथियारों, युद्ध नीति और रणनीति तैयार करने में बहुत आगे थे. भारतीय शासकों की सेना के द्वारा प्रयोग किए जाने वाले हथियार यूरोपियन के द्वारा प्रयोग किए जाने वाला अस्त्र-शस्त्रों की तुलना में धीमी गति, भारी तथा कम दूरी तक मार करने वाले थे. यूरोपीय हथियार भारतीय हथियारों की तुलना में तीन गुना तेज और दूर तक चलते थे. उन तक भारतीय हथियार पहुंच नहीं पाते थे. यह भी सत्य है कि बहुत से भारतीय राजाओं ने जिसमें मुख्य रूप मे निजाम मैसूर मैराथन तथा सिखों ने यूरोपियों की भारती की और यूरोपीय अस्त्र-शस्त्र मंगवाए. परंतु उनके सैन्य अफसर और जवान कभी भी उसी के स्तर के ऊपर से नहीं उठ पाए और इसलिए वह अंग्रेजों के द्वारा शिक्षित सैनिकों तथा अफसर के बराबर ही नहीं कर सकते थे.

2. सैन्य अनुशासन

ईस्ट इंडिया कंपनी अपने सैनिकों की अनुशासन पर बहुत जोर देते थे. यही कारण अंग्रेजी सेना काफी अनुशासित थी. उन्हें नियमित रूप से वेतन मिलता था. वहीं दूसरी ओर अधिकतर भारतीय राजाओं को अपनी सेना को नियमित रूप से वेतन देने में कठिनाई होती थी. कई बार मराठी सरदारों कृषकों की भूमि कर एकत्रित करने के लिए अपनी सेना को युद्ध से हटाकर उसे कार्य में लगाना पड़ता था. कई भारतीय शासक को राजकीय कार्यों या युद्ध में भाड़े के कर्मचारियों अथवा सैनिकों का प्रयोग करना पड़ता था. ऐसे सैनिकों में अनुशासन का अभ्यास नहीं होता था. यही कारण कई बार वे युद्ध के मैदान से भाग जाते थे और राजा को पराजय का सामना करना पड़ता था.

अंग्रेजों की भारत विजय में सफलता के प्रमुख कारण

3. कंपनी के असैनिक कर्मचारियों के अनुशासन

ईस्ट इंडिया कंपनी के असैनिक कर्मचारी भी बेहद अनुशासित थे. इस कारण वे अपनी कंपनी के प्रति काफी वफादार होते थे और पूरी इमानदारी से कंपनी के लिए काम करते थे. इससे कंपनी को काफी आर्थिक लाभ होता था. 

4. योग्य कर्मचारियों का चुनाव

ईस्ट इंडिया कंपनी अपने लिए योग्य और प्रशिक्षित कमांडरों का चुनाव करती थी. इन सभी कमांडरों को अपनी योग्यता, कड़े प्रशिक्षण और अनुशासन के दम पर ही कमान मिलती थी. ये कमांडर अपने कार्यों में अधिक कुशल और विश्वसनीय होते थे. इसके विपरीत भारतीय कमांडर जाति, कुल तथा संबंधियों के ऊंची पहुंच के आधार पर नियुक्त किए जाते थे. यही कारण इनके पास न कोई अनुशासित जीवन शैली होती थी और न कोई युद्ध का अनुभव. यही कारण वे कई बार अपने शासकों से सी विश्वासघात कर बैठते थे.

अंग्रेजों की भारत विजय में सफलता के प्रमुख कारण

5. योग्य सेनानायक

अंग्रेजों के पास क्लाइ,  वारेन हेस्टिंग्स, मुनरो,  वैलेजली, लॉर्ड होस्टिंग्स तथा डलहौजी जैसे उत्तम तथा असामान्य श्रेणी के सेनानायक थे. इसके अतिरिक्त उनके पास दूसरी पंक्ति के सैनिक कमांडर भी उच्च प्रशिक्षित और योग्य थे. ऐसे कमांडरों में सर आयर कूट, लॉर्ड लेक, आर्थर वैलेजली जैसे कमांडर भी थे. ये लोग अपने नेता के लिए नहीं बल्कि इंग्लैंड के हित तथा उसकी कृति के लिए युद्ध लड़े. दूसरी ओर भारतीयों के पास भी हैदर अली, टीपू सुल्तान, जसवंत राव होल्कर,  नाना फड़नवीस तथा रणजीत सिंह जैसे वीर योद्धा थे, परंतु सामरिक तंत्र में अंग्रेजों की तरह निपुण नहीं थे और न ही उनके पास दूसरी पंक्ति के लिए योग्य सैन्य कमांडर थे. इसके अलावा भारतीय शासकों की एक सबसे बड़ा नकारात्मक पक्ष ये था कि वे आपस में ही लड़ते रहते थे. इससे वे अपनी शक्ति को व्यर्थ ही गंवा देते थे. एक प्रसिद्ध अंग्रेज लेखक पर्सीवल स्पीयर ने कहा है कि एक भारतीय शासक की विजय उसकी अपनी विजय थी जबकि एक अंग्रेज जनरल की विजय इंग्लैंड की विजय थी.

6. ईस्ट इंडिया कंपनी की मजबूत आर्थिक स्थिति

ईस्ट इंडिया कंपनी की आर्थिक बहुत ही मजबूत थी. ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने व्यापार तथा वाणिज्य के महत्व को कभी अनदेखा नहीं की थी. 18वीं शताब्दी के अंतिम चरण में कंपनी की वार्षिक व्यापार 10 करोड़ डॉलर का था. इससे उसे 1.5 करोड़ का शुद्ध लाभ मिलता था. कंपनी अपने व्यापार से पर्याप्त धन कमाती थी. यही कारण कंपनी अपने सैनिक अभियानों में काफी धन खर्च करती थी. समय के साथ-साथ उन्होंने अपने राजनीतिक प्रभाव के कारण भारत से अथाह धन कमाना आरंभ कर दिया. इस प्रकार से इंग्लैंड पूरे संसार में अपने अंतर्देशीय व्यापार से बेशुमार धन कमा रहा था. उसने अपने नौसेना को मजबूत करने के लिए काफी धन खर्च किए. उसने इसी नौ सैनिक शक्ति के कारण ने भारत में धन, युद्ध सामग्री तथा सैनिकों की कभी कमी नहीं हुई.

अंग्रेजों की भारत विजय में सफलता के प्रमुख कारण

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अंग्रेज जो गतिशील जाति के थे और उस वे समय भौतिक सभ्यता में अग्रगामी थे, वे हमेशा राष्ट्रीय गौरव की भावना से प्रेरित होकर युद्ध करते थे. भारत में उनका सामना एक ऐसे समाज से था जो अभी भी मध्य युगीन धार्मिक उद्देश्य वाली मानसिक प्रवृत्ति प्रयोग से घिरा था और इसमें एक राष्ट्रीय भावना जैसे आधुनिक प्रवृत्ति इस वक्त तक जन्म नहीं ले पाई थी.  वास्तव में भारत सभ्यता की दौड़ में यूरोप से बहुत पीछे रह गया था और इसलिए वह अपनी स्वतंत्रता खो बैठा.

इन्हें भी पढ़ें:

Note:- इतिहास से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल रहे हैं तो कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करें. आपके प्रश्नों के उत्तर यथासंभव उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी.

अगर आपको हमारे वेबसाइट से कोई फायदा पहुँच रहा हो तो कृपया कमेंट और अपने दोस्तों को शेयर करके हमारा हौसला बढ़ाएं ताकि हम और अधिक आपके लिए काम कर सकें.  

धन्यवाद.

Leave a Comment

Telegram
WhatsApp
FbMessenger