अभिलेखों के महत्व पर प्रकाश डालिए

अभिलेखों के महत्व

किसी भी देश के प्राचीन इतिहास की जानकारी के लिए विभिन्न प्रकार के स्रोतों की आवश्यकता होती है. इन स्रोतों में अभिलेखों का भी बहुत बड़ा महत्व है. लिखित रूप से प्राप्त प्राचीन काल के जानकारियों को अभिलेख कहा जाता है. ये लिखित जानकारियां हमें मुख्य रूप से शिलाओं, स्तंभों, भोजपत्रों, ताम्र पत्रों, मंदिर की दीवारों, मूर्तियों आदि पर लिखे मिलते हैं. इन अभिलेखों का नाम भी उनके प्राप्ति स्थान के अनुसार रखे जाते हैं, जैसे कि शीला पर लिखे अभिलेखों को शिलालेख, ताम्रपत्र पर लिखे अभिलेख, ताम्र पत्र अभिलेख तथा स्तंभों पर लिखे लेख को स्तंभ लेख कहा जाता है.

अभिलेखों के महत्व

अभिलेख प्राचीन काल के अध्ययन के लिए अत्यंत प्रमाणित और विश्वसनीय स्रोत होते हैं क्योंकि ये समकालीन होते हैं. इनके अध्ययन करने से हमें तत्कालीन राजा के बारे में तथा उनके राज्य के विस्तार तथा उनके चरित्र उपलब्धियां आदि की जानकारी मिलती है. बहुत से अभिलेखों से हमें तत्कालीन धार्मिक संस्कृति रीति-रिवाजों की जानकारी मिलती है. भारत में अब तक विभिन्न समय काल के अभिलेख प्राप्त हो चुके हैं. इनमें से सबसे प्राचीन अभिलेख पांचवीं शताब्दी ई. पू. का पिप्रावा कलश लेख है. इस प्रकार भारत के विभिन्न स्थानों पर अनेक अभिलेख प्राप्त हुए हैं. प्राचीन काल के अभिलेख मुख्यत: पाली, संस्कृत और प्राकृत भाषा में मिलते हैं. इसके अतिरिक्त बहुत से अभिलेख तमिल, मलयालम, कन्नड़, और तेलुगु भाषा में भी मिले हैं. अधिकांश अभिलेखों की लिपि ब्राह्मी है. बहुत से अभिलेखों को राजाओं ने लिखवाया था. इनमें उनके आदेश, उपलब्धियां, विजय स्मारक और अधिकारों की जानकारी दी गई है. इन सबसे प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए काफी मदद मिलती है.

अभिलेखों के महत्व

अब तक का सबसे ज्यादा सम्राट अशोक के द्वारा लिखवाए गए स्तंभ लेख तथा शिलालेख भारत के विभिन्न स्थानों पर पाए गए हैं. सम्राट अशोक के अभिलेख मुख्य रूप से ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि में पाई गई है. इस लिपि को दायीं से बायीं की ओर लिखी जाती थी. सम्राट अशोक के अभिलेखों से हमें उसके व्यक्तित्व, उपलब्धियों आदि के साथ-साथ उस समय की लिपि और भाषा की भी जानकारी मिलती है. सम्राट अशोक के द्वारा लिखे गए अभिलेखों के अलावा बहुत से सामान्य व्यक्तियों के भी जैसे कि कवियों के द्वारा भी लिखे गए अभिलेख मिलते हैं. इन लोगों ने विभिन्न राजवंशों के इतिहास, उनके राज्य की सीमाओं की विस्तार आदि पर बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियां दी है. सामान्य व्यक्तियों के अभिलेख मुख्य रूप से मंदिरों और मूर्तियों पर भी पाए जाते हैं. इन पर मंदिर अथवा मूर्ति की स्थापना तिथि, मूर्ति-कला, तत्कालीन भाषा और लिपि आदि की जानकारी मिलती है. सम्राटों की प्रशस्ति में सम्राट समुद्रगुप्त का प्रयाग अभिलेख,  अशोक स्तंभ में उत्कीर्ण अभिलेख, कलिंगराज खारवेल की हाथी गुम्फ अभिलेख, गौतमी बालश्री का नासिक अभिलेख, राजा भोज का ग्वालियर अभिलेख, गुप्तसम्राट स्कंदगुप्त का भितरी स्तंभ लेख और नासिक अभिलेख, बंगाल नरेश विजयसेन का देवपाड़ा अभिलेख आदि प्रमुख हैं. 

अभिलेखों के महत्व

इसके अतिरिक्त बहुत से विदेशी अभिलेख भी प्राचीन भारत के इतिहास की जानकारी देती है. इनमें एशिया माइनर में बोगाज़कोई का अभिलेख है. इसके अलावा पर्सिपोलस तथा नक्शेरुस्तम के अभिलेखों से भी प्राचीन भारत और ईरान के पारंपरिक संबंधों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती है.

इन्हें भी पढ़ें:

Note:- इतिहास से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल रहे हैं तो कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करें. आपके प्रश्नों के उत्तर यथासंभव उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी.

अगर आपको हमारे वेबसाइट से कोई फायदा पहुँच रहा हो तो कृपया कमेंट और अपने दोस्तों को शेयर करके हमारा हौसला बढ़ाएं ताकि हम और अधिक आपके लिए काम कर सकें.  

धन्यवाद.

1 thought on “अभिलेखों के महत्व पर प्रकाश डालिए”

  1. 1। महस्थन् खंडित अभिलेख के ऐतिहासिक महत्व का वर्णन कीजिये
    2 । खारबेल के हाथी गुफा अभिलेख के ऐतिहासिक महत्व की व्यख्या करे
    3। । कनिष्क के सारनाथ शिलालेख की विषयवस्तु और ऐतिहासिक महत्व का वर्णन कीजिये
    4 । समुन्द्र गुप्त के इलाहाबाद स्तम्भ शिलालेख की सामग्री का वर्णन करे

    Reply

Leave a Comment

Telegram
WhatsApp
FbMessenger