अशोक के धम्म से आप क्या समझते हैं? इसके प्रचार के लिए उसने क्या कदम उठाए?

अशोक का धम्म

अशोक का धम्म क्या है? इस विषय में विद्वानों में मतभेद है. वे अपने-अपने हिसाब से धम्म व्याख्या करते हैं. डॉ आर जी भंडारकर के अनुसार अशोक का धम्म, बौद्ध धर्म के अतिरिक्त कुछ नहीं है. वहीं डॉ. स्मिथ का कहना है कि अशोक का धम्म किसी भी एक विशेष संप्रदाय से संबंधित न था, परंतु वह सभी भारतीय धर्मों के नैतिक सिद्धांतों का संकलन था. अशोक के धम्म को स्पष्ट रूप से कहीं भी व्याख्या नहीं किया गया है. कुछ विद्वान मानते हैं कि अशोक ने बौद्ध धर्म के कुछ परिवर्तित स्वरूप का प्रचार किया. वह बौद्ध धर्म न होकर उसके कुछ नैतिक सिद्धांतों का संकलन था. कुछ विद्वानों का मानना है कि सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म का नहीं बल्कि बौद्ध धर्म के कुछ नैतिक सिद्धांतों का प्रचार किया. कुल मिलकर देखा जाये तो अशोक का धम्म, बौद्ध धर्म के कुछ नैतिक सिद्धांतों और सामाजिक नियमों का स्वरुप है. इन्हीं नैतिक सिद्धांतों और सामाजिक नियमों के संकलन को धम्म के नाम से जाना जाता है.

अशोक के धम्म

सम्राट अशोक के द्वारा धम्म के प्रचार के लिए उठाए गए कदम 

  • सम्राट अशोक ने धम्म के प्रचार के लिए, धम्म के विचारों को जगह-जगह में शिलाओं और स्तम्भों पर लिखवाए. इससे इन शिलालेखों और स्तम्भलेखों में लिखे धम्म के विचार लोगों तक आसानी से पहुंचे. इससे धम्म के विचार बहुत जल्द लोगों तक पहुँच गए. शिलालेख और स्तम्भलेखों ने धम्म के विचारों को प्रचार- प्रसार करने में बहुत ही महत्त्वपूर्ण  निभाई. 
  • सम्राट अशोक ने खुद भी अपने व्यक्तिगत आचरण को धम्म विचारों के अनुकूल बनाया. उन्होंने पशु-वध बंद कर दिया. मांस खाना बंद कर दिया. दान-दक्षिणा जैसे कर्म करने लगे और बहुत से तीर्थ यात्राएं की. सभी धर्मों को सामान दृष्टि से देखने लगे थे. 
  • उसने जनकल्याण का कार्य करना शुरू कर दिया. बहुत से धार्मिक और सामजिक उत्सव मानना शुरू कर दिए. राज्य विस्तार की नीति को त्याग दिया. युद्ध करना बंद कर दिया. उसने अहिंसावादी नीति को अपनाया. 
  • वे गरीब और निर्बलों की मदद करने लगे. वे अलग-अलग समुदायों के बीच सहयोग की भावना स्थापित करने की कोशिश की. उन्होंने धर्मगुरुओं की भी नियुक्त की ताकि वे जनता के बीच में प्रेम और मेलमिलाप की भावना को बढ़ावा दे सके. 
  • उसने अपने अधिकारियों को भी उन्होंने धम्म के विचारों का पालन करने को कहा तथा धार्मिक कार्य करने का आदेश दिए. 
  • उसके समय में पाटलिपुत्र में बौद्धों के तीन बड़े-बड़े सभा हुए. इस सभा के बाद बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए बौद्ध-भिक्षुओं को देश-विदेश भेजे गए. इससे बौद्ध धर्म विदेशों तक फैलता चला गया. 
  • अशोक ने खुद बहुत से धर्म प्रचारकों को धम्म का प्रचार करेने देश-विदेश भेजे. उसने अपने बड़े पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा को धम्म का प्रचार करने श्रीलंका भेजे.  
अशोक के धम्म
 
इस प्रकार सम्राट अशोक ने धम्म प्रचार करने के लिए बहुत से तरीके अपनाये. खुद अशोक ने धम्म के विचारों को अपना कर उसके अनुसार अपना जीवन व्यतीत करने लगा. उसके शासन काल में धम्म की नीतियां बहुत तेजी से फैली. प्राचीन भारतीय इतिहास के वे एकमात्र ऐसे राजा हुए जो बौद्ध धर्म के प्रचार करने के लिए बहुत ही प्रयास किए.

इन्हें भी पढ़ें:

Note:- इतिहास से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल रहे हैं तो कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करें. आपके प्रश्नों के उत्तर यथासंभव उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी.

अगर आपको हमारे वेबसाइट से कोई फायदा पहुँच रहा हो तो कृपया कमेंट और अपने दोस्तों को शेयर करके हमारा हौसला बढ़ाएं ताकि हम और अधिक आपके लिए काम कर सकें.  

धन्यवाद.

6 thoughts on “अशोक के धम्म से आप क्या समझते हैं? इसके प्रचार के लिए उसने क्या कदम उठाए?”

Leave a Comment

Telegram
WhatsApp
FbMessenger