इटली के एकीकरण में कैवूर के योगदान
इटली के एकीकरण में कैवूर ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वह लोकप्रियता के मामले में भले ही मैजिनी और गैरीबाल्डी से कम था, परंतु इटली के एकीकरण के दृष्टिकोण से देखा जाए तो इनका योगदान दोनों से बढ़कर है. यद्यपि इनका उद्देश्य भी मैजिनी और गैरीबाल्डी की तरह इटली का एकीकरण करना ही था, परंतु इसके तरीके अलग थे. वह इटली का एकीकरण जोश एवं तलवारबाजी के बजाय कूटनीति तथा राजनीति के दांव-पेंचों के जरिए करना चाहता था. इनको राजनीतिक दांव-पेंच तथा कूटनीतिक मामलों में गहरी निपूर्णता थी. कूटनीतिक मामलों में वह बिस्मार्क से कम नहीं था. विदैशिक मामलों में इसकी तुलना डिजरैली से की जाती है.
कैवूर का परिचय
इनका जन्म 1810 ई. में सार्डीनिया के एक कुलीन परिवार में हुआ था. जब इनकी उम्र 10 वर्ष की हुई तो शिक्षा प्राप्त करने के लिए उसे ट्यूरिन की मिलिट्री एकेडमी में भेजा गया. शिक्षा पूरी करने के बाद वह इनकी नियुक्ति सेना के इंजीनियर के पद पर हुई. लेकिन इनका झुकाव राजनीति की ओर थी. अतः उसने इंजीनियर के पद से इस्तीफा दे दिया. राजनीति का ज्ञान प्राप्त करने के लिए उसने कई वर्षों तक फ्रांस, इंग्लैंड तथा जर्मनी जैसे देशों की यात्राएं करता रहा और राजनीतिक ज्ञान को प्राप्त किया. उसे इंग्लैंड का द्वेध शासन बहुत पसंद आया. वह इंग्लैंड के संसदीय प्रणाली को अपने देश में स्थापित करना चाहता था. वह रातभर लोकसभा की दर्शक कक्ष में बैठे रहता था ताकि उसकी कार्यप्रणाली जान सके.
कैवूर के योगदान
1842 ई. में उसने एसोसिएजोन अग्रेरिया नामक संगठन की स्थापना की. कुछ समय बाद यह संगठन काफी प्रभावशील हो गया. जिसके कारण कैवूर का प्रभाव लगातार बढ़ता चला गया. 1847 ई. में कैवूर ने एक समाचार पत्र का प्रकाशन करना शुरू कर दिया. इस समाचार पत्र के माध्यम से उसने इटली के सुधारों तथा उसके एकीकरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना शुरू किया. 1848 ई. वह पीडमाण्ड के विधान परिषद का सदस्य बन गया. देश के मंत्रिमंडल बदलता गया, लेकिन वह हर बार निर्वाचित होता रहा. 1850 ई. में उसे कृषि एवं वाणिज्य मंत्री बनाया गया. 1852 ई. में उसे अर्थ और नौसेना का विभाग दिया गया. उसकी सफलता और विलक्षण प्रतिभा को देखकर 1852 ई. में विक्टर इमानुएल ने उसे अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया.
प्रधानमंत्री बनने के बाद उसने इटली के एकीकरण की कोशिश और तेज कर दी. सबसे पहले उसने यूरोपीय देशों के साथ मित्रता और सद्भावना का संबंध बनाया. अब तक इटली का मामला ऑस्ट्रेलिया का घरेलू मामला समझा जाता रहा, लेकिन कैवूर ने अपनी कूटनीति के दांव-पेंचों से इसे अंतरराष्ट्रीय समस्या बना दिया. इससे इटली में ऑस्ट्रिया की मनमानी पर अंतरराष्ट्रीय दबाव पड़ने लगा. कैवूर अब राजनीतिक प्रश्नों के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक समस्याओं के समाधान पर भी जोर देने लगा तथा इन्हीं की दृष्टिकोणों ध्यान देकर एक आदर्श राज्य बनाने का प्रयास करने लगा. कैवूर इस बात को अच्छी तरह जानता था कि सार्डीनिया- पीडमाण्ट राज्य ही इटली की स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व कर सकता है. उसको इस बात का भी पता था कि सशस्त्र युद्ध किए बिना इटली से विदेशियों को निकाला नहीं जा सकता. अतः इसकी तैयारी के लिए उसने सार्डीनिया-पीडमाण्ट के सैन्य संगठन को मजबूत करने की प्राथमिकता दी. सेना को संगठित करने के लिए उसने भारी धनराशि खर्च की. इसके अलावा आर्थिक उन्नति के लिए व्यापार-वाणिज्य के क्षेत्र में भी काफी ध्यान दिया. रेलवे, सड़क और नहरों के विस्तार किए. कृषि क्षेत्र में किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए उसने बैंकों की स्थापना की. धार्मिक क्षेत्रों में भी परिवर्तन किए. वह राजनीति में चर्च के हस्तक्षेप को पसंद नहीं करता था. उसने चर्च के कई विशेषाधिकारों को खत्म कर दिया. उसने राजनीतिक क्षेत्र में भी कई सुधार किए. उसने संसद की शक्ति बढ़ाई. मताधिकार को व्यापक बनाया. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान की. प्रेस को स्वतंत्रता पूर्वक विचारों को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया.
इस प्रकार उनकी कोशिशों के कारण हो रहे बदलावों को देखकर संपूर्ण इटली को लोगों का ध्यान सार्डीनिया-पीडमाण्ट की ओर आकृष्ट होने लगा. कैवूर ने इटली को एकीकृत करने के लिए प्रभावशाली विदेश नीति भी अपनाई. अब तक वह इस बात को भलीभांति समझ चुका था कि इटली से ऑस्ट्रिया को बिना किसी विदेशी मदद के बाहर निकाला नहीं जा सकता था. अतः उसे एक मित्र की तलाश थी. इसी बीच क्रीमिया का युद्ध शुरू हो गया. उसने यूरोपीय राज्यों की सहानुभूति प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड और फ्रांस की ओर से क्रीमिया युद्ध में भाग लिया. इस युद्ध में कैवूर की सेना ने बड़ी वीरता का प्रदर्शन किया. लगभग 2 वर्ष तक चले युद्ध में रूस की पराजय हुई. कैवूर के सैनिकों की वीरता से फ्रांस और इंग्लैंड बहुत प्रभावित हुए और वह उसके मित्र बन गए. इस प्रकार इटली के एकीकरण के संग्राम में उसे फ्रांस और इंग्लैंड की सहानुभूति प्राप्त हुई और यह भविष्य में इटली की स्वतंत्रता संग्राम में होने वाले विभिन्न घटनाओं में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
इस प्रकार हम पाते हैं कि कैवूर ने इटली के एकीकरण में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 6 जून 1861 ई. को 51 वर्ष की उम्र में ही उसकी मृत्यु हो गई. हालांकि वह संपूर्ण इटली के एकीकरण को देख ना सका लेकिन इटली के एकीकरण के लिए उसके द्वारा निभाई गई योगदान को इतिहास कभी भुला नहीं सकता.
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इन्हें भी पढ़ें:-
1. इटली के एकीकरण पर एक संक्षिप्त निबंध लिखिए
2. इटली के एकीकरण में मैजिनी, कैवूर और गैरीबाल्डी के योगदान का वर्णन करें
3. इटली के एकीकरण में क्या बाधाएं थी?
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