इटली के एकीकरण में मैजिनी, कैवूर और गैरीबाल्डी के योगदान
यूरोप के इतिहास में इटली के एकीकरण में मैजिनी, कैवूर और गैरीबाल्डी के योगदान का बहुत ही बड़ा महत्व है. इन्होंने न सिर्फ इटली का एकीकरण किया बल्कि अन्य यूरोपीय देशों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन गए. 19वीं सदी के आरंभ में इटली अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था. प्रत्येक राज्य में अलग-अलग कानून लागू थे. बंटे हुए इटली के विभिन्न भागों में रहने वाले इटली वासियों के मन में राष्ट्रीयता की भावना बढ़ती जा रही थी. वे किसी भी सूरत में संपूर्ण इटली को फिर से एकीकरण करना चाहते थे. इटली के एकीकरण के लिए बहुत से लोगों ने अपना बहुमूल्य योगदान दिया. इटली के एकीकरण में मुख्य रूप से मैजिनी, कैवूर तथा गैरीबाल्डी का बहुत बड़ा महत्वपूर्ण योगदान था.

मैजिनी का योगदान
मैजिनी एक विख्यात लेखक था. उनका जन्म 1850 ई. में हुआ था उसके पिताजी एक प्रसिद्ध डॉक्टर थे. उसने बचपन में ही अपने पिता से फ्रांस की क्रांति की घटनाएं सुन रखी थी. इस कारण उसके मन में बचपन में ही देश सेवा की भावना अंकुरित हो गई थी. मैजिनी का उद्देश्य संपूर्ण इटली का एकीकरण कर एक विशाल एवं संगठित राष्ट्र का निर्माण करना था. उसने अपने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए कार्बोनरी संस्था में सदस्य के रूप में शामिल हो गया. कार्बोनरी संस्था का सदस्य बन कर उसने 1830 ई. की क्रांति में भाग लिया. क्रांति का दमन हो जाने के बाद उसे बंदी बनाकर उसे सेवोना दूर्ग भेज दिया गया. जेल से छूटने के बाद उसे इटली से निष्कासित कर दिया गया. चूंकि वह कार्बोनरी संस्था का सदस्य था, लेकिन वह उसके कार्यप्रणाली को अपर्याप्त एवं असंतोष समझने लगा था. इसीलिए निर्वासित जीवन बिताते हुए उसने 1831 ई. में यंग इटली नामक संस्था का निर्माण किया. यह एक गुप्त संस्था थी. इस संस्था का उद्देश्य निश्चित एवं स्पष्ट थी कि ऑस्ट्रिया का प्रभाव संपूर्ण इटली से पूरी तरह समाप्त किया जाए. मैजिनी तथा उसके साथियों का मानना था कि बिना युद्ध किए इटली से ऑस्ट्रिया का प्रभाव को समाप्त नहीं किया जा सकता है. मैजिनी का यह भी मानना था कि इटली का उद्धार सिर्फ नवयुवकों से हो सकता है. अतः उसने नवयुवकों को यह शिक्षा देना शुरू किया कि मजदूरों की भांति साधारण भोजन करो, पर्वतों पर चढ़ों तथा कारखानों में जाकर उपेक्षित मजदूरों से मिलो. उनका कथन “शहीदों के रक्त से सिंचित होकर ही विचार रूपी पौधे बढ़ते और पनपते हैं” ने समस्त इटली वासियों के मन में एकता की भावना उत्पन की. उसके क्रांतिकारी विचार तथा वाणी का इटली वासियों पर बहुत ही आश्चर्यजनक प्रभाव डाला जिसके कारण उसके संस्था यंग इटली के सदस्यों की संख्या लगभग 60 हजार तक पहुंच गई.

मैजिनी गणतंत्रात्मक शासन व्यवस्था के समर्थक थे. वह छोटे-छोटे राज्यों को मिलाकर एक शक्तिशाली इटली राष्ट्र का निर्माण करना चाहते थे. यद्यपि इटली के निर्माण उनकी इच्छा के अनुसार नहीं हो पाया, लेकिन सही मायनों में वही इटली का निर्माता था. उसके लिए उसने अनेक क्रांतियों में भाग लिया. अपने क्रांतिकारी विचारधाराओं के कारण उनको निर्वासित जीवन जीना पड़ा. उनके पास सीमित संसाधन थे, फिर भी वह अपने साहित्यों के माध्यम से लोगों को जागृत करता था. उनके विचारों के द्वारा ही इटली वासियों के मन में देशभक्ति की भावना का उत्थान हुआ.
गैरीबाल्डी का योगदान
इटली के एकीकरण में गैरीबाल्डी का भी बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान था. इनका जन्म 1807 ई. में हुआ था बचपन से ही उनके मन में देशभक्ति की भावना थी. देश के लिए कुछ करने की भावना से वह यंग इटली का सदस्य बन गया. सन 1833 ई. में मैजिनी के साथ मिलकर उसने इटली में गणतंत्र स्थापित करने का प्रयत्न किया, लेकिन इसमें वे असफल रहे. उनको मृत्युदंड दिया गया. लेकिन वह किसी तरह भागकर दक्षिण अमेरिका चला गया. दक्षिण अमेरिका में वह 14 वर्ष तक प्रवासी जीवन व्यतीत करता रहा तथा गुप्त रूप से दक्षिण अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लेता रहा. 1848 ई. में मैटरनिख के पतन के बाद सार्डीनिया और ऑस्ट्रिया के बीच युद्ध हुआ. इस युद्ध में गैरीबाल्डी ने अपने तीन हजार सैनिकों के साथ सार्डीनिया के ओर से लड़ा. इस युद्ध में सार्डीनिया के शासक को ऑस्ट्रिया के साथ संधि करने पड़ी, लेकिन गैरीबाल्डी ने युद्ध जारी रखा. इसके बाद गैरीबाल्डी ने 1849 ई. में हुई रोम की क्रांति में भी भाग लिया और मैजिनी के साथ मिलकर रोमन गणराज्य की स्थापना की. रोम में गणतंत्रात्मक शासन की स्थापना होते देखकर नेपोलियन रोम की रक्षा के लिए फ्रांसीसी सेना भेजी. गैरीबाल्डी ने फ्रांसीसी सेना का डटकर मुकाबला किया लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा और उसे फिर से अमेरिका भागना पड़ गया. इस बार वह 6 वर्षों तक अमेरिका में रहा फिर वह इटली आकर कैपोरा नामक टापू में रहने लगा. वहां 1856 ई. में उसकी मुलाकात कैवूर से हुई. कैवूर से मिलकर उसने अपने गणतंत्र वादी विचारधारा को बदल दिया.

गैरीबाल्डी के द्वारा इटली के एकीकरण का अभियान का वास्तविक काल 1860 ई. से आरंभ होता है. 1860 ई. में उसने सिसली को स्वतंत्र कराया. इसके बाद 1860 ई. में ही उसने नेपल्स पर भी अधिकार कर लिया. गैरीबाल्डी और कैवूर के बीच समझौता हो चुकी थी, लेकिन वह कैवूर की नीतियों से संतुष्ट नहीं था. अतः वह उसका साथ देने से इनकार कर दिया. इसके बाद वह विक्टर इमानुएल से मिला और अपनी जीती हुई भूमि इमानुएल को दे दी. यह उसका एक महान त्याग था. कैवूर की मृत्यु के बाद उसने फिर से रोम पर आक्रमण किया, लेकिन वह असफल रहा. इसके बाद उसने अपना शेष जीवन कैपरेरा टापू में व्यतीत किया और 1882 ई. में उनकी मृत्यु हो गई. इटली के एकीकरण के लिए इतिहास में उसके इस महान योगदान को हमेशा याद किया जाता है.
कैवूर का योगदान
कैवूर का जन्म 1810 ई. में सार्डीनिया के एक कुलीन परिवार में हुआ था. जब उसकी उम्र 10 वर्ष की हुई तो उसकी शिक्षा के लिए उसे ट्यूरिन की एक मिलिट्री एकेडमी में भेजा गया. उसकी शिक्षा खत्म होते ही उसका चयन सेना के इंजीनियर में हो गया. लेकिन उसकी इच्छा एक राजनीतिज्ञ बनने की थी. अतः उसने इंजीनियर पद से इस्तीफा दे दिया. राजनीति के जीवन की शुरुआत करने से पहले उसने फ्रांस, जर्मनी और इंग्लैंड जैसे देशों की यात्राएं की और राजनीति का ज्ञान प्राप्त किया.

कैवूर लोकप्रियता के मामले में मैजिनी और गैरीबाल्डी से कम परंतु इटली के एकीकरण में सबसे अधिक शक्तिशाली व्यक्ति था. कैवूर कूटनीतिक मामलों में बिस्मार्क से कम नहीं था. इसी कूटनीति की मदद से उसने इटली वासियों के सदियों पुराने स्वप्न को पूरा किया. वैदेशिक मामलों में उसकी तुलना डिजरैली से की जाती है. इनका काम करने का तरीका भी अलग था. वह अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए जोश एवं तलवारबाजी के स्थान पर राजनीतिक दांव-पेंचों तथा कूटनीति का इस्तेमाल करता था. वर्ष 1815 ई. इटली का मामला ऑस्ट्रिया का घरेलू मामला माना जाता रहा था. लेकिन कैवूर ने अपनी कूटनीति के द्वारा इसे अंतर्राष्ट्रीय समस्या बना दिया. इसके साथ ही उन्होंने विश्व के तमाम देशों के साथ भी अपने संबंध स्थापित किए. इसकी वजह से ऑस्ट्रिया पर विश्व का दबाव पड़ने लगा. उसने इटली से विदेशियों को निकालने के लिए सार्डीनिया-पीडमाण्ट राज्य के नेतृत्व को महत्व दिया. इसके अलावा उन्होंने राजनीतिक प्रश्नों के साथ-साथ समाजिक, आर्थिक तथा बौद्धिक समस्याओं की ओर भी ध्यान दिया और इन्हीं दृष्टिकोण से इटली को एक आदर्श राष्ट्र बनाने का प्रयास किया. इस प्रकार हम पाते हैं कि उसने बहुत होशियार के साथ ऐसा जाल बिछाया कि ऑस्ट्रिया उसमें फंसे बिना रह नहीं सका और इटली एक राष्ट्र के रूप में स्थापित हो गया.
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Sir mujhe itali ka ekikaran me mujje ye bata dijia ki esme kitne logo ka ip
Important yogdaan raha unke bata. Dijia
Sir vebside bahut hi achha hai esse bahut hamko madad mil Raha hai
Sir all subjects ka test lijiye esse hamko bahut acchi tarah tayari ho payega