इल्तुतमिश की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन करें

इल्तुतमिश: दिल्ली सल्तनत का संस्थापक

इल्तुतमिश को दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक माना जाता है. हालांकि दिल्ली सल्तनत की स्थापना कुतुबद्दीन ऐबक के द्वारा की गई थी लेकिन वह पूरी तरह तरह इसे साम्राज्य के रूप में स्थापित नहीं कर पाया. इल्तुतमिश के द्वारा दिल्ली की सत्ता सँभालते ही उसे बहुत से अंदरूनी तथा बाहरी चुनौतियों से सामना करना पड़ा. लेकिन कुछ समय के बाद उसने अपनी सूझ-बूझ, कूटनीति और बहादुरी से इन चुनौतियों का सामना किया और उनको सुलझा कर दिल्ली को एक स्थिर और सशक्त साम्राज्य के रूप में स्थापित किया.

इल्तुतमिश की चारित्रिक विशेषता

इल्तुतमिश की चारित्रिक विशेषताएं

1. राज्य निर्माता और महान विजेता

मोहम्मद गोरी ने भारत में जिस समय अपने साम्राज्य की स्थापना की उस समय उसके राज्य में कोई स्थिरता नहीं थी. गौरी के मध्य एशिया के उलझन समस्याओं से घिरे होने के कारण उसे एक स्थिर साम्रज्य के निर्माण करने का वक्त उसे नहीं मिल पाया। गोरी की मृत्यु के बाद उसका गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने साम्राज्य की सत्ता संभाली. उसके सत्ता सँभालते ही उसे भी कुतुबुद्दीन को 4 वर्षों तक कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. इस कारण वह भी साम्राज्य की स्थिरता की ओर कोई विशेष ध्यान नहीं दे पाया. उसके पश्चात दिल्ली की सिहांसन पर इल्तुतमिश बैठा. डॉ आर एस त्रिपाठी लिखते हैं भारत में मुसलमान प्रभुसत्ता का प्रारंभ वास्तविक रूप में इल्तुतमिश के राज्य से ही होता है. इल्तुतमिश एक कुशल सैनिक और महान विजेता था उसने दास के रूप में अपना जीवन आरंभ किया और अपनी योग्यता के बदौलत दिल्ली का सुल्तान का पद हासिल किया और वह अपनी सूझ बूझ से अपने साम्राज्य को स्थिरता प्रदान किया.

इल्तुतमिश की चारित्रिक विशेषता

2. योग्य शासक

इल्तुतमिश एक योग्य शासक था. वह दूरदर्शी होने के साथ-साथ एक कुशल कूटनीतिज्ञ था. गुलाम का गुलाम होते हुए भी उसने अपनी योग्यता से अपने साम्राज्य को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया और काफी उन्नति की. उसने अपनी योग्यता से अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों और दुश्मनों जैसे कि यल्दौज, कुबाचा, लखनौती (बंगाल) के अलीमर्दान तथा अन्य विरोधियों का दमन करते हुए सुल्तान के पद को प्राप्त किया.

3. साहित्य एवं कला प्रेमी

इल्तुतमिश साहित्य एवं कला प्रेमी भी था. वह कलाकारों और विद्वानों का काफीसम्मान करता था. उसके दरबार में विद्वान् मिन्हाज-उस्स-सिराज, मलिक ताजुद्दीन, निजामुल मुल्क, मुहम्मद जुनैदी, मलिक कुतुबुद्दीन, हसन औरी और फखरूल मुल्क इसामी जैसे विद्वानों की गरिमामय उपस्थिति होती थी. इस प्रकार के विद्वानों के कारण उसका दरबार सुल्तान मोहम्मद गजनबी के दरबार की भांति ही गौरवशाली बन गया. इल्तुतमिश ने लाहौर के स्थान पर दिल्ली को अपना राजधानी बनाया और उसे सुंदर और भावपूर्ण बनाया. उसने दिल्ली में बहुत से तालाब, मदरसे, मस्जिदें और इमारत बनवाएं. उसने कुतुबुद्दीन के कुतुबमीनार को भी पूरा किया जो कि प्रारंभिक इस्लामिक कला का एक श्रेष्ठ नमूना के रूप में आज भी पहचाना जाता है.

इल्तुतमिश की चारित्रिक विशेषता

4. धार्मिक विचार

इल्तुतमिश कट्टर असहिष्णु सुन्नी मुसलमान था. उसका व्यवहार शिया मुसलमानों और हिंदुओं के प्रति अच्छा नहीं था. वह धार्मिक कट्टरता वाले विचारों वाला व्यक्ति था. वह रात्रि को पर्याप्त समय प्रार्थना और चिंतन व्यक्तित्व व्यतीत करता था. एक अन्य निजामी के अनुसार उसकी राजनीति और धार्मिक विचारों से पृथक रहिया ठीक प्रतीत होता है वह अपने धार्मिक कट्टरता वाले विचारों के कारण सल्तनत कालीन धर्म नेताओं का समर्थन प्राप्त करके अपने राज्य को नैतिक समर्थन दिलवाने में सफल रहा. वह हर बात पर उलेमा वर्ग से सलाह लेना आवश्यक नहीं मानता था. ये बात उसके द्वारा अपने पुत्री रजिया को अपना उत्तराधिकारी बनाने से स्पष्ट होता है.

5. वीर एवं साहसी

इल्तुतमिश एक साहसी और अनुभवी शासक के साथ-साथ एक वीर भी सेनापति था. मोहम्मद गौरी के समय में खोखरों  के विद्रोह को दबाने, यल्दौज और कुबाचा के साथ युद्ध करके उनके द्वारा अपने साम्राज्य में आनेवाले खतरे को समाप्त करने तथा बंगाल को अपनी वीरता और बहादुरी से अपने नियंत्रण करने की घटनाओं एवं कई अन्य युद्धों से उसकी बहादुरी एवं वीरता की  बात की पुष्टि होती है.

इल्तुतमिश की चारित्रिक विशेषता

6. दूरदर्शी एवं कूटनीतिज्ञ

इल्तुतमिश दूरदर्शी एवं कूटनीतिज्ञ था. उसने शक्तिशाली मंगोल आक्रमणकारी चंगेज खां और ख्वारिज्म के शासक जलालुद्दीन मंगबरनी के साथ कूटनीति पूर्वक व्यवहार करते हुए अपने साम्राज्य को उनसे होनेवाले बहुत बड़े खतरों से बचाने से उसके कूटनीतिक ज्ञान का पता चलता है. इल्तुतमिश भारत के महान शासकों में से एक था. उसे भारत में मुस्लिम साम्राज्य के वास्तविक संस्थापक कहा जा सकता है. डॉ एके निजामी ने लिखा है कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत की रूपरेखा के बारे में जो दिमागी आकृति बनाई थी, उसे  इल्तुतमिश ने उसे अपनी कुशलता से आकार प्रदान किया.

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