औद्योगिक क्रांति के सामाजिक प्रभाव का वर्णन करें

इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति 

इंग्लैण्ड के इतिहास में 18 वीं शताब्दी में हुई औद्योगिक क्रांति का बहुत ही महत्वपूर्ण महत्व है. यह युद्ध बिना किसी खून-खराबा का बहुत ही शांतिपूर्ण तरीके से हुआ. यह क्रांति इंग्लैण्ड ही नहीं वरन सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित किया. इंग्लैंड के समाज पर इस क्रांति का बहुत ही व्यापक प्रभाव पड़ा.

औद्योगिक क्रांति के सामाजिक प्रभाव

औद्योगिक क्रांति के सामाजिक प्रभाव

1. पूंजीवादी वर्ग का जन्म

औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में उद्योग और कल-कारखानों की स्थापना की गई. कल-कारखानों के बढ़ने से समाज में पूंजीपति वर्ग का जन्म हुआ. पूंजीपतियों का रहन-सहन अन्य वर्गों की तुलना में काफी ऐशो-आराम था. वे आलीशान भवन और मकानों में रहते थे जहाँ उनके लिए हर तरह की सुख-सुविधाएं मौजूद होती थी. उनके पास अपार धन-संपत्ति होती थी. वे अपने ऐशो-आराम में इतना व्यस्त रहते थे कि उनको समाज के अन्य वर्गों से कोई लेना-देना नहीं होता था.

औद्योगिक क्रांति के सामाजिक प्रभाव

2. मजदूर वर्ग का जन्म

औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में उद्योगों की स्थापना की जाने लगी. इन उद्योगों में काम करने के लिए बड़ी संख्या में मजदूरों की जरूरत थी. इसके परिणाम स्वरूप मजदूर वर्ग का जन्म हुआ. कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की स्थिति काफी दयनीय थी. रहने के लिए उनके लिए छोटी-छोटी कोठियों होती थी. खाने के लिए रूखा-सूखा भोजन नसीब होता था. मजदूरों की बस्तियां काफी गंदगी हुआ करती थी. जिसके कारण बीमार पड़ जाते थे. कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को कोई सुविधा नहीं मिलती थी. मशीनों के चपेट में आकर घायल कर होने या बीमार पड़ने वाले मजदूरों को काम से निकाल दिया जाता था तथा उनको किसी प्रकार की मुआवजा भी नहीं दी जाती थी.

औद्योगिक क्रांति के सामाजिक प्रभाव

3. सामाजिक फूट

औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप इंग्लैंड के तत्कालीन समाज में दो वर्गों- पूंजीपति वर्ग तथा मजदूर वर्ग का जन्म हुआ. इन दोनों वर्गों के रहन-सहन, खानपान तथा अन्य बातों में आसमान जमीन का फर्क था. पूंजीपति वर्ग के पास किसी चीज की कमी नहीं थी. वहीं मजदूर वर्ग बड़ी कठिनाई से अपने जीवन यापन करते थे. पूंजीपति वर्ग मजदूर वर्ग का शोषण करते थे. इन कारणों से दोनों वर्गों के बीच बड़ी खाई बन गई. इस कारण इंग्लैंड के तत्कालीन समाज पूंजीपति और मजदूरों के बीच संघर्ष की स्थिति आरंभ हो गई.

औद्योगिक क्रांति के सामाजिक प्रभाव

4. नगरों की संख्या में वृद्धि

कल-कारखानों के स्थापित होने से इनमें रोजगार की तलाश में बड़ी संख्या में मजदूर शहरों की ओर पलायन करने लगे. नतीजतन शहरों में आबादी तेजी से बढ़ने लगी. इन मजदूरों को बसाने के लिए बड़ी संख्या में मकान बनना शुरू हो गया. इससे शहरी आबादी भी काफी तेजी से बढ़नी शुरू हो गई. बढ़ती आबादी को बसाने के लिए नए स्थानों में शहरों को बसाया जाने लगा. शहरों के काफी तेजी से निर्माण होने के कारण इनकी जल निकास प्रबंध, साफ-सफाई और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं पर कोई विशेष ध्यान दिया गया. बढ़ती आबादी को बसाने के लिए इंग्लैंड के सरकार के पास एक बड़ी चुनौती बनना शुरू हो गई. जिसके कारण साम्राज्यवाद का जन्म हुआ.

5. स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां

 

कारखानों से निकलने वाले गंदे पानी के सुरक्षित निकास का कोई उचित प्रबंध नहीं था. इस कारण से स्वस्थ्य संबंधित चुनौतियां आने शुरू हो गए. इसके संपर्क में आकर मजदूर बीमार पड़ने लगे. शहर के तेजी से निर्माण होने से उसकी साफ-सफाई, गंदे पानी की निकासी व्यवस्था पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया. इस कारण से शहर में जगह-जगह  बजबजाती नालियां, कूड़े का ढेर नजर आने शुरू हो गए. इससे बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ने लगे. जिसके कारण इंग्लैंड के तत्कालीन समाज को स्वस्थ्य संबंधी चुनौतियों का काफी सामना करना पड़ा.


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