मौर्य साम्राज्य की पतन और अशोक
सम्राट अशोक के शासनकाल में मौर्य साम्राज्य एक शक्तिशाली राज्य हुआ करता था. अशोक ने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया और अपने साम्राज्य का विस्तार किया. अपनी सीमाओं को सुरक्षित किया. इस समय कलिंग भी एक शक्तिशाली साम्राज्य के रूप में उभरने लगा था. उसकी बढ़ती हुई शक्ति मौर्य साम्राज्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहे थे. ऐसे में मौर्य साम्राज्य को कलिंग से भविष्य में आने वाली चुनौतियों से बचाना जरूरी था. इसके अलावा भविष्य में कलिंग समुद्री और स्थल मार्ग से होने वाले मौर्य साम्राज्य के व्यापार पर बाधा उत्पन्न कर सकता था.
इन सभी भविष्य में होने वाली समस्याओं से मौर्य साम्राज्य को बचाने के लिए सम्राट अशोक ने 261 ईसा पूर्व में कलिंग पर हमला कर दिया. भीषण युद्ध के बाद अशोक ने कलिंग पर जीत हासिल की. इस युद्ध में लाखों लोग मारे गए और लाखों घायल हुए. इस युद्ध में हुए भीषण रक्तपात को देखकर सम्राट अशोक का ह्रदय द्रवित हो गया. इसके बाद उसने युद्ध की नीति को हमेशा के लिए त्याग दिया और उसने बौद्ध धर्म को अपना लिया तथा अहिंसा वाद की नीति पर चलने लगा.
सम्राट अशोक मौर्य साम्राज्य का अंतिम शक्तिशाली शासक था. इसके बाद मौर्य साम्राज्य के पतन होना शुरू हो गया. कई इतिहासकार मौर्य साम्राज्य के पतन के लिए अशोक की अहिंसावादी नीति को मानते हैं. उनके अनुसार सम्राट अशोक के बौद्ध बनने के बाद मौर्य सेना अनअभ्यस्त और शिथिल पड़ गई और लोगों के मन में सैन्य प्रवृत्ति खत्म होते चली गई. उसने यूनानियों को भी अपना मित्र तथा शांति वादी बनाने का प्रयत्न किया. लेकिन वे सम्राट अशोक के धर्म उपदेश से नहीं बल्कि उसकी सैन्य शक्ति के कारण दबे रहे. फिर वे धीरे-धीरे भारत की कमजोर होते सैन्य शक्ति को देखकर आक्रमण करना शुरू कर दिया. ऐसे समय में देश की रक्षा के लिए शक्तिशाली सेना की जरूरत थी ना कि धर्मोपदेश की.
वहीं कई इतिहासकार मानते हैं कि सम्राट अशोक ने भले ही अहिंसा वादी नीति को अपना लिया लेकिन वह पूर्णत: मौर्य साम्राज्य के पतन के लिए जिम्मेवार नहीं था. उनका कहना है कि सम्राट अशोक ने ना कभी सेना को भंग किया था और ना उसकी शक्ति को घटाया था. इसके अलावा सम्राट अशोक ने पशु वध और मृत्यु दंड को भी खत्म नहीं किया था. इन इतिहासकारों ने अशोक के 13वें अभिलेख का भी जिक्र किया है जिसमें उसने आटविक जातियों को चेतावनी देते हुए लिखा कि वे उनके प्रति दया की दृष्टि रखते हैं. उन्हें धर्म में लाने का प्रयास करते हैं और उनके क्षमा योग्य अपराधों को क्षमा करने के लिए भी प्रस्तुत है. किंतु यदि वे धर्म अनुशासन की अवहेलना करेंगे तो उसे सम्राट को बहुत पश्चाताप होगा. यदि अपराध करना बंद न करेंगे तो कलिंग को जीतने वाली सेना उनका विनाश कर देगी. अतः सम्राट अशोक ने शांतिप्रिय नीति अपनाने के बाद भी अपनी शक्ति को कम नहीं होने दिया था.
इन सब बातों से स्पष्ट है कि सम्राट अशोक ने शांतिप्रिय नीति के पालन करते हुए अपने सैन्य शक्ति को बनाए रखा था. उसकी सीमाएं सुरक्षित थी. साम्राज्य के आंतरिक भाग भी सुरक्षित थी. उसने युद्ध बंद कर सदा शक्ति के स्थान पर न्याय व कानून के राज्य को स्थापना करके मानवता को हिंसा के अभिशाप से बचाना चाहता था. यदि हम मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों की अध्ययन करते हैं तो हम पाते हैं कि मौर्य साम्राज्य के पतन के लिए बहुत से अन्य कारण जिम्मेवार थे अतः इन हम मौर्य साम्राज्य के पतन के लिए सम्राट अशोक को पूर्णता दोषी नहीं ठहरा सकते हैं.
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