क्रांतिकारी आंदोलन की असफलता के कारणों का वर्णन कीजिए

क्रांतिकारी आंदोलन की असफलता

क्रांतिकारी आंदोलन भारतीय इतिहास में न केवल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई बल्कि भारतीयों को एक नई दिशा देने का भी प्रयास किया. क्रांतिकारियों ने देश को ब्रिटिश साम्राज्य के अन्याय और अत्याचार से मुक्त कराने के यथासंभव प्रयास किया. इसके लिए क्रांतिकारियों ने अपनी जान की परवाह नहीं की. क्रांतिकारियों के द्वारा अपना सब कुछ देश के लिए अर्पित करने के बाद भी दुर्भाग्यवश अपने उद्देश्य में सफल ना हो सके.

क्रांतिकारी आंदोलन की असफलता के कारण

इस क्रांतिकारी आंदोलन की असफलता के कारण                            

1. संगठन का अभाव

क्रांतिकारी देश के विभिन्न हिस्सों पर एक साथ अपने आंदोलन को चला रहे थे, लेकिन इनके बीच कोई तालमेल नहीं था. क्रांतिकारियों के बीच को भी संगठित संस्था नहीं थी जिस के निर्देशन में यह कार्य करते. किसी भी संगठन की सफलता के लिए आंदोलन को संगठित रूप से तथा योजनाबद्ध चलाया जाना चाहिए. लेकिन क्रांतिकारियों के पास एक भी निश्चित कार्यक्रम और नीतियां नहीं थी. इस वजह से पूरे भारत के क्रांतिकारी एक साथ संगठित ना हो पाए. इसके कारण वे अपने आंदोलन को सुचारु रुप से चला नहीं सके.

2. पूरी तरह जनसर्थन न मिल पाना

क्रांतिकारी अपने साहसिक कार्यों के द्वारा लोगों में देशभक्ति की भावना को जागृत करने में सफल हो पाए थे, लेकिन उनकी हिंसावादी नीतियों के कारण भारत की संपूर्ण जनता का समर्थन उन्हें प्राप्त नहीं हो पाया. क्रांति को ज्यादातर युवा वर्गों का ही समर्थन प्राप्त था. उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग तथा बुद्धिजीवी वर्गों का समर्थन पूरी तरह इनको नहीं मिल पाया. इस वजह से क्रांतिकारी अपने योजना में नाकाम रहे.

क्रांतिकारी आंदोलन की असफलता के कारण

3. शस्त्रों का अभाव

क्रांति करने के लिए हथियारों की भारी मात्रा में जरूरत थी, लेकिन उनकी जरूरतें पूरी नहीं हो पाई. अंग्रेजों के मुकाबले के समय उनके हथियार पर्याप्त नहीं होते थे. इसलिए अंग्रेजों के सामने टिक नहीं पाते थे. हथियारों के अभाव में वे अंग्रेजों के मन में पूरी तरह डर नहीं बैठा पाए. इस वजह से आंदोलन सफल ना हो पाया.

4. महात्मा गांधी की अहिंसावादी नीति

महात्मा गांधी इस समय लोगों के नेता बन चुके थे. वे कट्टर अहिंसावादी थे तथा भारत को अहिंसात्मक तरीकों से ही स्वतंत्र कराना चाहते थे. वहीं क्रांतिकारी आंदोलन चलाने वाले हिंसात्मक तरीका अपना रहे थे. अत: महात्मा गांधी और क्रांतिकारियों के विचार एकदम विपरीत थे. इस समय देश की लगभग आधी जनता महात्मा गांधी के अहिंसावादी विचारों से प्रभावित थे. ऐसे में क्रांतिकारी आंदोलन को लोगों का पूर्ण समर्थन नहीं मिल पाया.

क्रांतिकारी आंदोलन की असफलता के कारण

5. अंग्रेजों की कूटनीति

अंग्रेज भारत पर शासन करने के लिए हमेशा से ही कूटनीति सिद्धांतों का उपयोग करते थे. क्रांतिकारी आंदोलन को शक्तिशाली होते देख अंग्रेजों ने पूरा कूटनीति का प्रयोग किया. इस कूटनीति के तहत बहुत से भारतीयों को संतुष्ट करने के लिए अनेक अधिनियम पारित किए. इन अधिनियमों के द्वारा हिंदू मुस्लिम के द्वारा बीच में फूट डालने का भी कार्य किया गया. अंग्रेजों ने हिंदू और मुस्लिमों के बीच में दूरी बढ़ा कर मुसलमानों को अपनी ओर करने का प्रयास किया. अंग्रेजो की यह कूटनीति काम कर गई और क्रांतिकारी आंदोलन को कमजोर कर दिया.

6. अंग्रेजों की कठोर नीति

अंग्रेजों ने क्रांतिकारी आंदोलन को कुचलने के लिए कठोर नीति का पालन किया. इसके लिए उन्होंने अनेक कानून पारित किए. 1907 ई. में सेडीशियस मीटिंग्स एक्ट पारित करके राजद्रोहात्मक सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया. 1908 ई. में फौजदारी कानून में संशोधित करके समाचार पत्रों तथा प्रेस पर कठोर प्रतिबंध लागू कर दिए. 1911 ई. इसमें विद्रोहात्मक सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसके साथ ही बहुत से राजनीतिज्ञों, क्रांतिकारियों और देशभक्तों को कठोर दंड दिया गया. अंग्रेजों के इस कठोर नीति के कारण जनसाधारण में भय का माहौल उत्पन्न हो गया और इस कारण क्रांतिकारियों की सहायता करने से डरने लगे.

क्रांतिकारी आंदोलन की असफलता के कारण

7. समाजिक और आर्थिक नीति का न होना

क्रांतिकारी देश को आजाद कराना चाहते थे लेकिन आजादी के बाद देश के लिए सामाजिक और आर्थिक नीति किस प्रकार होगी, इस पर उन्होंने कभी ध्यान नहीं दिया. इस कारण वे जनता के सामने आने वाले समय में देश की परिस्थिति के लिए कोई आर्थिक और सामाजिक नीति प्रस्तुत करने में असफल रहे. इसीलिए उन्हें जनता का पूर्ण समर्थन प्राप्त नहीं हो सका.

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