खुश्चेव की गृहनीति का वर्णन करें

खुश्चेव की गृहनीति (Khushchev’s Domestic Policy)

खुश्चेव ने सत्ता संभालते ही रूस की आंतरिक नीतियों में महत्वपूर्ण परिवर्तन करना शुरू कर दिया. उनकी नीतियों को खुश्चेव की गृहनीति के नाम से जाना जाता है. ये परिवर्तन में मुख्य रूप से कृषि उद्योग, सामाजिक, सास्कृतिक और राज्य आदि क्षेत्रों से संबंधित है. इन परिवर्तनों का मुख्य उद्देश्य रूस की शासन व्यवस्था पर से स्टालिन के प्रभाव समाप्त करके उसे एक नया स्वरूप प्रदान किया जाए.

खुश्चेव की गृहनीति

खुश्चेव और उसके सहायक सहयोगियों ने सबसे पहले कृषि क्षेत्र महत्वपूर्ण बदलाव लाने की कोशिश की. जिस समय खुश्चेव ने सोवियत रूस की शासन की बागडोर संभाली, उस समय रूस कृषि क्षेत्र में गंभीर संकटों से होकर गुजर रहा था. अर्थात कृषि के क्षेत्र में उत्पादन घट रहा था और कृषकों की स्थिति दिन-प्रतिदिन दयनीय होती जा रही थी. इसका मुख्य कारण यह था कि द्वितीय विश्वयुद्ध का रूस के कृषि क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े थे और युद्ध के पश्चात रूस इस संकट से निपटने का प्रयास ठीक तरह से नहीं कर सका था. स्टालिन की मृत्यु के बाद सत्ता संघर्ष ने भी कृषि क्षेत्र को काफी नुकसान पहुंचाया. कृषि संकट की इस विषम परिस्थितियों में भी सरकारी नीतियां कृषि उत्पादन को प्रोत्साहन देने में अपने योगदान पूरा नहीं कर सकी. बिगड़ती कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए कई नीतियों की घोषणा की गई. सबसे पहले कृषि क्षेत्र में लगने वाले कर के स्वरूप में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया गया. किसानों को कृषि पशुओं की खरीदारी के लिए प्रोत्साहन किया गया तथा लगान की दरें आधी कर दी गई. निजी खेत मालिकों को अनाज का उत्पादन कम करने का आदेश दिया गया. सोवियत रूस के अन्य भागों में जैसे युराल, साइबेरिया आदि क्षेत्रों में बेकार पड़ी भूमि में कृषि कार्य करने के लिए कृषकों को आर्थिक सहायता प्रदान की गई. इसके साथ में कृषि उपकरण की भी सहायता दी गई. किंतु फिर भी सोवियत रूस की कृषि के क्षेत्र में यथोचित विकास नहीं हो पाया. इस बीच बारिश कम होने के कारण 1955 ई. में अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई और इसने कृषि क्षेत्र के विकास योजनाओं की कमर तोड़ दी.

1955 ई. में पड़े अकाल के बाद सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार और विकास कार्य के लिए कई प्रयास किए. उन्हें सोवियत रूस की बढ़ती हुई जनसंख्या को दृष्टि में रखते हुए कई नए कार्यक्रमों को अपनाया. उसने कृषि में अपेक्षित सुधार के लिए विदेशों से कृषि विशेषज्ञों को रूस में आमंत्रित किया ताकि रूस की कृषि क्षेत्र में पर्याप्त सुधार किया जा सके. रूस ने सामूहिक कृषि क्षेत्रों के विकास पर भी पर्याप्त ध्यान दिया.

खुश्चेव की गृहनीति

खुश्चेव ने खेतों पर काम करने वाले मजदूरों की स्थिति सुधारने के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाया. उसने कृषकों को सम्मानजनक और यथोचित पारिश्रमिक प्रदान किया गया. अनेक सामूहिक कृषि की फार्मों को कर मुक्त कर दिया गया. इन फर्मों का सरकारी नियंत्रण में मशीनरी किया गया. ट्रैक्टर, मशीनों, कृषि उपकरणों आदि को खरीदने के लिए पर्याप्त सरकारी सहायता प्रदान की गई. लेकिन इन तमाम प्रयासों के बाद भी कृषि क्षेत्र पर्याप्त सुधार नहीं हो पाया. इसके लिए कुछ सरकारी अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए 1960 ई. के बाद उनको पदों से हटा दिया गया. कृषि क्षेत्र संबंधी एक नई योजना को 1958-59 ई. में लागू किया गया.

इसके बाद खुश्चेव ने औद्योगिक क्षेत्र में भी सुधार कार्य शुरू किया. जब उसने सोवियत रूस के शासन की बागडोर संभाली तो उसमें औद्योगिक क्षेत्र भी संक्रमण के दौर से गुजर रहा था. कृषि क्षेत्र की तरह ही औद्योगिक क्षेत्र में भी स्टालिन की योजनाओं का परित्याग कर दिया गया. पांचवी पंचवर्षीय योजना (1951-55), जो कि स्टालिन के समय आरंभ हुई थी, में उद्योगों के विकास पर अधिक ध्यान दिया गया था. इस योजना में भारी मशीनों, तेल क्षेत्र, कोयला और इस्पात के उत्पादन का प्रयास किया गया था. किंतु इस योजना में आम उपभोक्ताओं से संबंधित उत्पादों को बढ़ाने पर कुछ विशेष ध्यान नहीं दिया गया था. अतः स्टालिन के मृत्यु के बाद उद्योग मालिकों ने स्टालिन के भारी उद्योगों का विकास की नीति को त्याग दिया और उपभोक्ता सामग्री के उत्पादन पर अधिक ध्यान दिया. मालेनकोव ने इसका कारण यह बताया कि देश में चारों ओर जो अशांति का वातावरण तैयार हो रहा, उसका कारण स्टालिन की नीतियां है. इसलिए उनकी नीतियों का परित्याग करके  उपभोक्ता सामग्री के उत्पादन को बढ़ावा देने की नीति को अपनाया गया.

खुश्चेव की गृहनीति

जब खुश्चेव ने सत्ता की बागडोर संभाली तो उसने भी मालेनकोव की की नीतियों का परित्याग कर दिया. उसने उद्योगों को अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न कराने का आरोप लगाकर मालेनकोव को उसके पद से बर्खास्त करके सरकार से बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया. खुश्चेव ने स्टालिन की औद्योगिक नीति को पुनः अपना लिया. उसने छठी पंचवर्षीय योजना (1956-60) में फिर से बड़े उद्योगों की स्थापना पर बल दिया. खुश्चेव ने लौह इस्पात, तेल, कोयला तथा विद्युत के उत्पादन बढ़ाने पर अधिक जोर दिया. किंतु खुश्चेव की नीतियों और औद्योगिक क्षेत्र परिवर्तन करने के बाद भी सोवियत संघ की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को खड़ा नहीं किया जा सका. इसलिए सातवीं पंचवर्षीय योजना ( 1960-65 ई.) में भारी उद्योगों के अतिरिक्त उपभोक्ता सामग्रियों के उत्पादन को बढ़ावा देने की बात कही गई. आर्थिक क्षेत्र परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ाते हुए खुश्चेव ने समस्त सोवियत संघ को 105 आर्थिक जोन में विवेक कर दिया, जिससे कि औद्योगिक उत्पादन बढ़ाया जा सके. किंतु खुश्चेव की इस कदम ने क्षेत्रीय आर्थिक अलगाव की स्थिति उत्पन्न कर दी और चारों और अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई.

स्टालिन के बाद बने राजनीतिक समीकरण ने देश की सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को भी प्रभावित किया. रूस में स्टालिन के प्रभाव को समाप्त करने की प्रक्रिया का प्रभाव शिक्षा, साहित्य और मनोरंजन के क्षेत्र पर सबसे अधिक पड़ा. इसका कारण यह था कि इन सभी क्षेत्र में बुद्धिजीवी वर्ग सबसे अधिक रूचि रखते थे. अतः इन सभी क्षेत्रों में परिवर्तन की प्रक्रिया आरंभ हुई तो उसने नई बौद्धिक उत्तेजना को जन्म दिया. 1950-60 के दशक में ऐसे लेखों का प्रकाशन होना आरंभ हुआ जिसमें स्टालिन की नीतियों और योजनाओं की कटु आलोचना की गई. इन लेखों के माध्यम से साम्यवादी दल और सरकार, दोनों की जमकर आलोचना की गई. कुछ लेखकों ने लोगों को राजनीति के दलदल में जाने से मना किया. उन्होंने जनता से आह्वान किया कि वे साम्यवादी दल के बहकावे में ना आए, परन्तु इन लेखकों का ज्यादा प्रभाव जनता पर नहीं पड़ा. 

खुश्चेव की गृहनीति

खुश्चेव के शासनकाल में रूस में कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकों की प्रकाशन हुई. इनमें मुख्य रूप से डेनियल ए. ग्रेनीन की ‘ए पर्सनल ओपिनियन’, व्लादीमीर डी. जियागो की ‘नॉट बाई ब्रेड अलोन’ तथा बोरिस एल. पास्टरनक की ‘डाॅ. डिएगो’ आदि थी. इन सभी रचनाओं ने सोवियत रूस के सामाजिक जीवन की सच्चाई को लेखनी के माध्यम से उभारने का प्रयास किया था. साहित्य क्षेत्र के साथ-साथ संगीत और नाटकों के ऊपर भी स्टालिन के प्रभाव को समाप्त करने का प्रयास किया गया. साथ ही सोवियत संगीत से भी स्टालिन के प्रभाव को समाप्त करने का प्रयास किया गया, लेकिन यह प्रक्रिया ज्यादा सफल नहीं हो सकी.

इसके अलावा रूसी समाजिक, सांस्कृतिक जीवन के अतिरिक्त गैरों रूसी समाज में भी परिवर्तन करने के प्रयास किए गए. विदेशी कलाकारों तथा साहित्यकारों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया गया कि वर्तमान सोवियत सरकार की उपलब्धियों को रूस तथा विदेशों में प्रचारित करें.

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