चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रारंभिक जीवन का वर्णन करें

चन्द्रगुप्त मौर्य

चंद्रगुप्त मौर्य मौर्य साम्राज्य का संस्थापक था. चंद्रगुप्त के वंश संबंध में इतिहासकार में काफी मतभेद है. कोई उन्हें क्षत्रिय तो कोई शूद्र, तो कोई उन्हें वैश्य कहता है. लेकिन इनके बारे में किसी भी ग्रंथ में पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया है. अधिकांश लोग मानते हैं कि चंद्रगुप्त मौर्य क्षत्रिय वंश का था. चंद्रगुप्त मौर्य  के जीवन के बारे में ब्राह्मण, बौद्ध, जैन तथा यूनानी साहित्य में भी जिक्र मिलता है, परंतु किसी भी साहित्य में इन की विस्तृत जानकारी नहीं मिलती है. अत: इनके पूर्वजों अथवा जाति के बारे में अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो पाया है. चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की मदद से. शक्तिशाली मौर्य साम्राज्य की स्थापना की. चंद्रगुप्त मौर्य का सिहासनारोहण 322 ई. पू. में हुआ था. हालांकि यह तिथि भी विवादास्पद है, लेकिन अधिकांश लोग इसी को प्रमाणिक मानते हैं. चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में मौर्य साम्राज्य का विस्तार बहुत तेजी से हुआ. इन्होंने अपने शासनकाल में बहुत से उपलब्धियां प्राप्त की.

चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रारंभिक जीवन

चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रारंभिक जीवन

चंद्रगुप्त मौर्य के प्रारंभिक जीवन जानने के लिए ऐतिहासिक एवं प्रमाणित स्रोतों का अभाव है. जितने भी उपलब्ध स्रोत है, उनमें चंद्रगुप्त मौर्य के प्रारंभिक जीवन के विषय में परस्पर विरोधाभास है.

1. ब्राह्मण साहित्य

ब्राह्मण साहित्य के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म नंद राजा के शूद्र पत्नी से हुआ है, परंतु ब्राह्मण साहित्य के इस मत को साक्ष्यों के अभाव में स्वीकार नहीं किया जाता है.

चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रारंभिक जीवन

2. बौद्ध साहित्य

बौद्ध साहित्य महावंश टीका में चंद्रगुप्त मौर्य के बारे में दिलचस्प जानकारी मिलती है. इस ग्रंथ के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य, मोरिय नगर के राजा का पुत्र था. जब वह अपनी माता के गर्भ में था तब इस नगर पर एक शक्तिशाली राजा ने आक्रमण कर दिया. इस हमले में मोरिय नगर का राजा मारा गया. मोरिय की रानी भाग कर अपने भाइयों के पास पुष्पपुर (पाटलिपुत्र) पहुंची. वहां उसने अपने बच्चे को जन्म दिया और उसे एक मवेशीशाला के पास फेंक दिया. वहां चंद्र नामक एक वृषभ ने उनकी रक्षा की. उस चंद्र के नाम पर ही उसका नाम चंद्रगुप्त रखा गया. एक बार बालक चंद्रगुप्त बच्चों के साथ खेल-खेल में राजा बना हुआ था तथा उनका न्याय कर रहा था. इसी समय चाणक्य वहां से गुजर रहा था. तभी उसकी नजर राजा बने चंद्रगुप्त पर पड़ी और उसके न्याय से काफी प्रभावित हुआ. चाणक्य भी राजा नंद से अपने अपमान का बदला लेने का अवसर खोज रहा था. अतः उसने चंद्रगुप्त को शिकारी से खरीद लिया और उसे तक्षशिला में शिक्षा दिलवाई. बाद में चाणक्य ने इसी चंद्रगुप्त की मदद से राजा नंद के साम्राज्य के पतन कर दिया.

चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रारंभिक जीवन

3. जैन साहित्य

जैन साहित्य परिशिष्टपर्वन से भी चंद्रगुप्त के प्रारंभिक जीवन पर प्रकाश पड़ता है. हेमचंद्र कृत के द्वारा रचित इस ग्रंथ के अनुसार चंद्रगुप्त मयूर पोषकों के सरदार का पुत्र था. एक दिन वह अपने गांव के बच्चों के साथ खेल रहा था. इसी दौरान चाणक्य की नजर राजा बने बालक चंद्रगुप्त पर पड़ी. उसने चंद्रगुप्त की परीक्षा लेने के लिए उसने कहा कि हे राजन मुझे कुछ भेंट दो. इस पर चंद्रगुप्त ने गायों की ओर संकेत करते हुए कहा कि उन्हें ले जाओ तुम्हें कोई नहीं रोकेगा. उसके न्याय से चाणक्य उससे काफी प्रभावित हुआ और उसे अपने साथ ले गया. कालांतर में चंद्रगुप्त और चाणक्य राजा प्रवर्तक की सहायता से राजा नंद को परास्त किया.

चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रारंभिक जीवन

4. यूनानी वृतांत

यूनानी ग्रंथों में चंद्रगुप्त के प्रारंभिक जीवन का उल्लेख नहीं मिलता है. पर जस्टिन के अनुसार चंद्रगुप्त का जन्म साधारण स्थिति में हुआ था. इन बातों की पुष्टि जैन और बौद्ध ग्रंथ भी करते हैं. इन के अनुसार चंद्रगुप्त का जन्म किसी राजसी वैभव में नहीं बल्कि एक साधारण स्थिति में हुआ था.

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