ताइपिंग विद्रोह के कारणों और परिणामों पर प्रकाश डालिये

ताइपिंग विद्रोह

चीन में कमजोर पड़ती केन्द्रिय शासन और देश में बढ़ती बेरोजगार, भ्रष्टाचार, अव्यवस्था, आर्थिक समस्या जैसे समस्याओं ने चीन की जनता में असंतोष की भावना बढ़ा दिया. साथ ही साथ चीन में विदेशी शक्तियों का बढ़ता प्रभाव देखकर चीन के जनमानस में असंतोष उभरने लगी. वे किसी भी हालत में चीन की सत्ता और देश की स्थिति में बदलाव चाहने लगे. लोगों की ये भावना धीरे-धीरे चीन में एक विद्रोह में बदलने की संभावनाएं भावना प्रबल होने लगी. यह भावना एक दिन विद्रोह में बदल गई. इस विद्रोह को ताइपिंग विद्रोह कहा जाता है.

ताइपिंग विद्रोह

ताइपिंग विद्रोह के कारण

1. चीन में विद्रोह की परंपरा

चीन में प्राचीन काल से अवस्था भ्रष्टाचार और असफलता के विरोध में विद्रोह करने की परंपरा रही है. उनके अनुसार जब कोई राजवंश शासन करने की शक्ति खो देता है तो समझ लेना चाहे कि ईश्वर ने अपने अधिकारों को वापस ले लिया है. अतः चीन की जनता उस शासक को उखाड़ फेंकने के लिए विद्रोह करते रहती है. अतः चीन में कमजोर मंचू  शासकों उखाड़ फेंकने के लिए चीन के विभिन्न इलाकों में समय-समय पर विद्रोह होते आ रही थी. इस वजह से ताइपिंग विद्रोह को बल मिला. 1796 से 1803 के बीच में श्वेत कमल समाज के द्वारा विद्रोह किया गया था.

2. मंचू शासकों की दुर्बलता

चीन के कुछ वर्गों के द्वारा मंचू वंश के शासकों के द्वारा किए जा रहे शासन का विरोध कर रहे थे. उनके अनुसार मंचू वंश शासन चीन के स्वर्गीय साम्राज्य के खिलाफ था. इस प्रकार मिंग वंश के शासन के समर्थकों ने भी मंचू शासन को उखाड़ फेंकने और मिंग वंश के शासन को पुनर्स्थापना करने की कोशिश करने लगे. इस समय चीन के मंचू शासक अत्यंत कमजोर थे. अत: उन्होंने विद्रोह के कारण बिगड़ती स्थिति पर नियंत्रण नहीं रख पाया.  प्रथम अफीम युद्ध में हुई हार बाद चीन में लगातार भ्रष्टाचार जैसी अव्यवस्था बढ़ती चली गई. 

ताइपिंग विद्रोह

3. आंतरिक अव्यवस्था

सिएन फेंग नामक मंचू शासक के कार्यकाल में भ्रष्टाचार बहुत तेजी से बढ़ती चली गई. इस वजह से प्रशासनिक एवं सैन्य अधिकारीयों में विलासिता की भावना बढ़ती चली गई.  राजकीय अधिकारी अपने नैतिक कर्तव्य से गिर गए. इस वजह से देश में समुद्री डाकुओं और लुटेरों की गतिविधियां बढ़ती चली गई. धीरे-धीरे मंचू शासक की नियंत्रण  साम्राज्य से ख़त्म होता चला गया. यही कारण था कि चीन के चावल की निर्यात रोकने के लिए 1843 को विद्रोह हुआ. इस वजह से बहुत से क्षेत्त्रों में आराजकता क स्थिति बनी  रही. 

4. सामजिक एवं आर्थिक असंतोष 

चीन में लगातार सामजिक और आर्थिक अव्यवस्था बढ़ती चली गई. इस समय चीन के लोग दो वर्गों में विभक्त जो गए थे. एक वर्ग उच्च अधिकारीयों और संपन्न वर्ग का था तथा दूसरा वर्ग निर्धन, गरीब और लाचार वर्गों का था. संपन्न वर्ग के लोग गरीब और निर्धनों का शोषण कर रहे थे. अत:  निर्धन वर्गों ने विरोध करना शुरू कर दिया. निर्धनों के द्वारा विरोध आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती गई. कृषि उत्पादन भी घटनी चली जा रही थी और जनसंख्या लगातार बढ़ती जा  रही थी. इसी बीच नानकिन की संधि के परिणामस्वरूप चीन की छतिपूर्ति के रूप में भारी कीमत अदा करनी पड़ रही थी. इसकी पूर्ति के लिए किसान वर्ग पर भारी कर लगाए गए. उनको साहूकारों से ऋण लेना पड़ गया. ऋण न चुका पाने की स्थिति में उनको जमीन बेचना पड़ गया.  ऐसी दयनीय स्थिति ने ताइपिंग विद्रोह की  पृष्टभूमि तैयार की. 

5. बाढ़ का प्रकोप

बिगड़ती हुई आर्थिक स्थिति के बीच चीन को भीषण बाढ़ जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा. मंचू शासक बाढ़  पीड़ित लोगों की सहायता करने में नाकाम रहे. इस के बाद गरीबी, महामारी, उत्पीड़न जैसी समस्याओं ने जन्म लिया. इससे भीषण जन असंतोष ने जन्म लिया. 

ताइपिंग विद्रोह

6. गुप्त समितियों की क्रियाशीलता 

कमजोर केंद्रीय शासन ने बहुत सी गुप्त समितियों को जन्म दिया. इन गुप्त समितियों के सदस्य क्रन्तिकारी विचारधाराओं के थे. अत: इन्होंने बहुत से संगठन बना लिए थे. ये समितियां नानकिंग की  कट्टर विरोधी थे. उन्होंने चीन में विदेशी हस्तक्षेप और उनकी उपस्थिति का विरोध करना आरम्भ कर दिया. ये समितियां विदेशी व्यापारियों के हक़ में होने वाली प्रशासनिक निर्णयों का विरोध करने के लिए अपने सैन्य संगठन भी बना लिए. यही समितियां ताइपिंग के विद्रोह को हवा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

7. सैन्य दुर्बलता

कमजोर केंद्रीय शासन के कारण  बढ़ती हुई भ्रष्टाचार ने सैन्य शक्ति को बहुत ही कमजोर कर दिया. बहुत से सैन्य अधिकारी भ्रष्ट हो गए. वे सैनिकों को मिलनेवाली वेतन को भी खुद रखना शुरू कर दिए. धीरे-धीरे सैन्य कुशलता ख़त्म होने लगी. लोगों का विश्वास सेना से उठता चला गया. प्रथम अफीम युद्ध से सैन्य कमजोरी को पूरी तरह स्पष्ट कर दिया. गुप्त समितियों में सेना का भय बिलकुल ख़त्म हो गया और उनमें विद्रोह करने की भावना तीव्र होती चली गई. 

ताइपिंग विद्रोह के  परिणाम

1. चीन की कम्युन प्रथा का पूर्वगामी स्वरूप

1854 ईसवी में ताइपिंग विद्रोहियों ने नानकिंग पर अपना अधिकार कर लिया था. उन्होंने 1864 ईसवी तक नानकिंग पर अपना शासन चलाया. उनका शासन 6 समितियों के द्वारा संचालित होता था. उन्होंने परिवारों को संगठित कर प्रशासनिक इकाई बनाई. इस प्रशासनिक इकाई को स्वायत्तता का अधिकार प्राप्त था. उन्होंने भूमि का राष्ट्रीयकरण कर आवश्यकतानुसार परिवारों में बांट दिया. उनके अनुसार भूमि पर किसानों का अधिकार है. उन्होंने फसल उत्पादन पर जोर दिया अतिरिक्त होने पर फसल रखने की व्यवस्था की गई.

ताइपिंग विद्रोह

2. राष्ट्रीयता की भावना का विकास

ताइपिंग विद्रोह ने चीन की जनमानस में राष्ट्रीयता की भावना का विकास कर दिया. अब चीनी लोग खुलकर विदेशियों का बहिष्कार करने की बात कहने लगे और सरकार के नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने लगे.

3. चीन विदेशी प्रभुत्व का बढ़ना

ताइपिंग विद्रोह को कुचलने में चीनी सरकार असमर्थ थी. अतः विदेशी शक्तियों में हस्तक्षेप किया इसके कारण चीन में विदेशी शक्तियों का प्रभाव बढ़ता गया.

4. स्त्रियों की दशा में बदलाव

ताइपिंग विद्रोह से पहले स्त्रियों के पैरों पर पैरों को बांधकर रखने की प्रथा थी. ताइपिंग विद्रोह ने विद्रोहियों में स्त्रियों की स्थिति सुधारने का प्रयास किया. उन्होंने इस प्रथा का खात्मा किया. उन्होंने स्त्रियों को पुरूषों के समान शिक्षा और संपत्ति अधिकार दिए. स्त्रियों के क्रय विक्रय पर भी प्रतिबंध लगाया. इस प्रकार चीन में स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए ताइपिंग विद्रोह का बहुत बड़ा योगदान रहा है.

ताइपिंग विद्रोह

5. नहीं कर पद्धति का जन्म

ताइपिंग विद्रोह के समय चीन भीषण आर्थिक समस्या से गुजर रही थी. अतः उन्होंने चीनी प्रशासन ने अपनी आर्थिक दशा सुधारने के लिए आंतरिक पारगमन कर लगाया. इस करने चीन के विकास के मार्ग को अवरुद्ध कर दिया.

6. चीन की अपार क्षति

ताइपिंग विद्रोह को दबाने के लिए विदेशी शक्तियों ने जिस प्रकार हस्तक्षेप किया. उससे चीन की आर्थिक व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई. जगह-जगह पर विद्रोह होने लगे. गरीबी, भूखमरी, बीमारी आदि से लोग त्रस्त हो गए. ताइपिंग विद्रोह को दबाने के लिए होने वाले खर्च चीनी सरकार को ही वहन करने पड़े. इससे चीन की आर्थिक स्थिति और ही खराब हो गए. इसके साथ ही मंचू शासकों का पतन होना शुरू हो गया.

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इन्हें भी पढ़ें

  1. ताइपिंग विद्रोह के असफलता के क्या कारण हैं?
  2. बॉक्सर विद्रोह के क्या कारण थे? इस विद्रोह के क्या परिणाम हुए?
  3. 1911 में हुई चीन की क्रांति के क्या कारण थे?

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3 thoughts on “ताइपिंग विद्रोह के कारणों और परिणामों पर प्रकाश डालिये”

  1. ताइपिगं की नीतियों का विश्लेषण कीजिए। उनका क्रियान्वयन किस सीमा तक हुआ?

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