तिन्तसीन की संधि के प्रावधानों का वर्णन करें

तिन्तसीन की संधि

द्वितीय अफ़ीम युद्ध में चीन को करारी हार का सामना करना पड़ गया. इंग्लैंड और फ्रांस ने चीन के कई स्थानों पर अधिकार कर लिया. युद्ध रोकने के लिए चीन को मजबूरन संधि करनी पड़ गई. इस संधि को तिन्तसीन की संधि के नाम से जाना जाता है. इस संधि के प्रावधान निम्नलिखित हैं.

तिन्तसीन की संधि

तिन्तसीन की संधि के प्रावधान

1. चीन इस बात को मानने को तैयार हो गया कि वह विदेशी व्यापार क लिए 11 नए बंदरगाह खोल देगा. 

2. पश्चिमी देशों को पीकिंग में अपना राजदूत रख सकेंगे. 

3. धर्म प्रचारकों की सुरक्षा का उत्तर्दयित्वा चीन का होगा और चीन में विदेशी यात्रियों को भ्रमण करने की सुविधा दी जाएगी. 

4. अफीम की व्यापार को वैध हो गया. 

5. चीन के द्वारा युद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में 40 लाख तायल, और २० लाख २० लाख तायल फ़्रांस को देना पड़ा. 

तिन्तसीन की संधि

तिन्तसीन की संधि चीन के लिए राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत ही घातक सिद्ध हुआ. इस संधि के बाद बहुत से यूरोपिय देश चीन की ओर आकर्षित हुए. बहुत से देशों के लिए चीन के दरवाजे खुल गए जिससे पश्चिमी देश चीन में अपना-अपना प्रभाव बढ़ाने में लग गए.  बहुत से पश्चिमी धर्म प्रचारक और पादरी चीन में जमीन खरीद कर अपना आलीशान भवन बनाने लगे. चीन धीरे-धीरे विदेशी व्यापारियों का अड्डा बनता चला गया और लूट खसोट जैसी घटनाओं की वृद्धि होती चली गई.

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