द्वितीय अफीम युद्ध (1856 ई) के कारण और परिणामों पर प्रकाश डालिए

द्वितीय अफीम युद्ध (1856 ई)

प्रथम अफीम युद्ध के 14 साल बाद द्वितीय अफीम युद्ध (1856 ई) हुआ. इस युद्ध में भी चीन की करारी हार हुई, जिसके कारण चीन की बची खुची ताकत भी ख़त्म हो गई. द्वितीय अफीम युद्ध में हुए चीन की करारी हार के कारण चीन के दरवाजे अमेरिका तथा अन्य यूरोपीय महाशक्तियों के लिए पूरी तरह से खुल गए. इसके बाद चीन में विदेशी शक्तियों का जमावड़ा आरम्भ हो गया और लूट-खसोट का दौर आरम्भ हो गया. इसके कारण चीन की हालत दिन प्रति दिन दयनीय होती चली गई.

द्वितीय अफीम युद्ध (1856 ई)

द्वितीय अफीम युद्ध के कारण 

1. सीमा शुल्क संबंधी मामलों में चीन का अधिकार विहीन होना

1842 स्पीकर लॉन्चग की संधि चीन के लिए बहुत ही अपमानजनक विषय थे इस संधि के अनुसार चीनी सम्राट ने सीमा शुल्क धर्म को निश्चित कर दिया थ अब शास्त्रों के अनुसार शर्तों के अनुसार चीन उन धर्म को 1930 तक अपनी इच्छा के अनुसार परिवर्तन नहीं कर सकता थ. चीनी सम्राट के ताओ-ताई नामक एक अधिकारी को   निरक्षण करने के लिए नियुक्त किया गया. लेकिन समय के साथ साथ चीनी अधकारियों और विदेशी व्यापारियों ने आपसी सांठ- गाँठ कर विदेशी सीमा शूल का चोरी करना शुरू कर दिया. इसी क बाद २९ जून 1854 को चीनी अधिकारीयों और इंग्लैंड. फ्रांस और अमेरिका के बीच एक समझौता हुआ. इस समझौते के बाद सीमा शुल्क सम्बन्धी विदेशी निरीक्षालय की स्थापना की गई. इस स्थापनालय के अधिकारीयों की  नियुक्ति ये तीनों देश करते थे. इस ने संजोते ने चीनी प्रशासन को पूर्ण रूप से संधिरत राष्ट्रों पर निर्भर कर दिया. ऐसे में मनमुटाव बढ़ता  चला गया. 

द्वितीय अफीम युद्ध के कारण 

2. राज्य क्षेत्रातील अधिकार संबंधी व्यवस्था का अतिक्रमण

अब समझौते के मुताबिक विदेशी यापारियों के  न्यायिक मामलों का निर्णय उनके अपने ही देश के न्यायालयों में होना था. पर इनमें से कोई भी देश इस ओर ध्यान नहीं दिया. इस कारण चीन में उद्दण्ड, बेईमान, और उपद्रवी विदेशी नाविक और व्यापारी चीन में आकर बसने लगे. संधि के कारण चीनी प्रशासन इनको दण्डित नहीं कर सकता था. अत: ये विदेशी उपद्रवी चीन के लिए सर दर्द बन गए. 

3. संधियों की पुनरावृति का प्रश्न

प्रथम अफीम युद्ध के बाद की गई संधियों के कारण चीन की स्थिति बदतर हो चुकी थी. ऐसे में विदेशी शक्तियां आनेवाले वर्षों में इन संधियों की पुनरावृति की मांग की जाने लगी. ये मांग चीन  असहाय थी. चीन के द्वारा संधियों की पुनरावृति से इंकार करना हालत को द्वितीय  अफीम युद्ध की ओर अग्रसर करने में मदद मिली. 

द्वितीय अफीम युद्ध के कारण 

4. अफीम के व्यापार का प्रश्न

चीनी कानून के अनुसार चीन में अफीम पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध था. लेकिन नॉनकिन की संधि में इस विषय पर जिक्र तक नहीं किया  गया था. इसीलिए चीन में लगातार अफीम की आयात हो रही थी. इस वजह से चीन में अफीम का व्यापार लगातार बढ़ती जा रही थी. चीन का राजकीय खर्च चांदी के सिक्कों पर निर्भर थी. लेकिन अफीम व्यापार के कारण चीन की चांदी बड़े पैमाने पर देश से बाहर जा रही थी. ये चीनी प्रशासन के लिए सरदर्द बन गया था.   

द्वितीय अफीम युद्ध के कारण 

5. तत्कालिक कारण

द्वितीय अफीम युद्ध की शुरुआत करने में तत्कालीन कारण ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 8 अक्टूबर 1856 ई में चीनी अधिकारीयों ने एक विदेशी समुद्री जहाज में छापा मारकर समुद्री लूट के आरोप में 12 विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया. ब्रिटिश दूत ने इन विदेशी नागरिकों की  मांग की. 22 अक्टूबर 1850 को चीन ने इन विदेशी नागरिकों को रिहा कर दिया. लेकिन इन बंदियों को रिहा करने के लिए चीन का कोई उच्च अधिकारी नहीं आया और न चीन ने उनको गिरफ्तार करने के लिए कोई क्षमा याचना की. यह बात ब्रिटेन को नागवार गुजरा और उन्होंने कैन्टन पर आक्रमण कर अधिकार कर लिया.  फ़्रांस ने भी इस आक्रमण में ब्रिटेन का साथ दिया क्योंकि एक फ़्रांसिसी धर्म प्रचारक की हत्या चीन में कर दी गई थी. फ़्रांस ने भी तिन्तसीन पर कब्ज़ा कर लिया. अंत में विवश होकर चीन को युद्ध रोकने के लिए विदेशी राष्ट्रों के साथ संधि करनी पड़  गई. इस संधि को तिन्तसीन की संधि के नाम से जाना जाता है.   

द्वितीय अफीम युद्ध के कारण 

द्वितीय अफीम युद्ध का परिणाम

द्वितीय अफीम युद्ध का परिणाम चीन के लिए राजनीतिक रूप से अत्यंत दूरगामी सिद्ध हुआ. युद्ध के अंत में तिन्तसीन की संधि हुई. इसके पश्चात पीकिंग समझौते ने चीन के दरवाजे को पश्चिमी देशों के लिए पूर्ण रूप से खोल दिया. इनके बाद अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस जैसे देश चीन पर अपने अपने प्रभाव का विस्तार करने में लगे रहे. यह देखकर रूस ने भी चीन में अपने प्रभाव का विस्तार करने शुरू कर दिए. 1853 ईस्वी तक उन्होंने सखालिन द्वीप पर कब्जा कर लिया. 1807 ईस्वी तक रूस ने चीन की 3 लाख 50 हजार वर्ग मील की भूमि पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया. पश्चिमी धर्म प्रचारक चीन में अपना जमीन की चीन में जमीन खरीद कर अपना आलीशान भवन बनाने लग. पश्चिमी देशों का व्यापार भी दिन प्रतिदिन चीन में बढ़ता चला गया. धीरे-धीरे कुल चीन के कुल 16 बंदरगाह पश्चिमी देशों के व्यापारियों के लिए खुल गए. पश्चिमी व्यापारियों को राज्य क्षेत्रातीताधिकार प्राप्त हो गया. इस प्रकार द्वितीय अफीम युद्ध के कारण चीन में पूरी तरह पश्चिमी देशों को पूरी तरह अपना प्रभाव जमाने कि रास्ता खुल गए.

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2 thoughts on “द्वितीय अफीम युद्ध (1856 ई) के कारण और परिणामों पर प्रकाश डालिए”

  1. परिणाम के और प्वाइंट ap add करे बाकी सब बढ़िया h

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