द्वितीय विश्वयुद्ध में रूस की भूमिका का वर्णन करें

द्वितीय विश्वयुद्ध में रूस की भूमिका (Russia’s role in World War II)

1 सितंबर 1939 ई. को जर्मनी के द्वारा पोलैंड पर आक्रमण कर देने से द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हो गया. सोवियत रूस और जर्मनी के बीच संधि होने के कारण रूस ने युद्ध में जर्मनी का साथ दिया. सोवियत रूस और जर्मनी पोलैंड में घुस गए और कई क्षेत्रों पर अधिकार कर लिए. दोनों देशों में अपने साम्राज्य का विस्तार करना जारी रखा. इसी बीच दोनों शक्तियों के बीच अपने-अपने स्वार्थ को लेकर टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई. उनकी आपसी कटुता इतनी बढ़ गई कि 22 जून 1941 को जर्मनी ने रूस पर आक्रमण कर दिया. इस आक्रमण ने रूस के समक्ष एक विषम परिस्थिति उत्पन्न कर दी. ऐसी स्थिति में रूस को मित्र राष्ट्रों की सेनाओं का साथ मिल गया और उनकी मदद से जर्मनी को पराजित करने की कोशिश करने लगा.

द्वितीय विश्वयुद्ध में रूस की भूमिका

1939 ई. में जब जर्मनी और रूस ने मिलकर पोलैंड पर आक्रमण किया, तब दोनों ने काफी सफलता प्राप्त की. लूट के हिस्से के बंटवारे करने पर रूस को लिथुआनिया, लाटविया और इस्टोनिया का क्षेत्र मिल गया. इसी बीच फ्रांस ने जून 1940 ई. को हिटलर के समक्ष हथियार डाल दिया. इन परिस्थितियों को देखकर स्टालिन ने बाल्टिक राज्यों को हड़पने की योजना बना डाली. फिर उसने अपनी सेना भेजकर वहां की सरकारों को भंग कर दिया. इस प्रकार उसने बाल्टिक क्षेत्र में अपना अपनी पकड़ मजबूत कर ली. इसके बाद रूस ने अपना ध्यान काला सागर की ओर केंद्रित किया. धीरे-धीरे रूस ने बैसेरोबिया और उत्तरी बुशोविना पर अधिकार कर लिया.

द्वितीय विश्वयुद्ध में रूस की भूमिका

सोवियत रूस के बाल्कन क्षेत्र में बढ़ते प्रभाव को देखकर जर्मनी के कान खड़े हो गए. बाल्कन क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण था. अतः जर्मनी की निगाहें भी उन पर थी. इसीलिए वह भी इन क्षेत्रों पर अपने नियंत्रण स्थापित करना चाहता था. जर्मनी की निगाहें विशेषकर वहां के तेल के कुओं पर थी. अत: जर्मनी ने भी उन क्षेत्रों पर अपना हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया. जर्मनी के हस्तक्षेप करते देख रूस को चिंता हुई. आपसी टकराव को रोकने के लिए जर्मनी और रूस के बीच नवंबर 1940 ई. को बर्लिन में वार्ता शुरू हुई. वार्ता शुरू होते हुए स्पष्ट हो गया कि दोनों देशों के अपने-अपने स्वार्थ हैं, जिनकी वजह से टकराव होना निश्चित है. जर्मनी चाहता था कि रूस अपना ध्यान यूरोप से हटाकर फारस की खाड़ी और एशिया की ओर केंद्रित करें और यूरोप में जर्मनी के बढ़ते प्रभाव पर रुकावट ना खड़ी करें. दूसरी तरफ रूस चाहता था कि जर्मनी बाल्टिक क्षेत्रों पर उसकी नियंत्रण को मान्यता प्रदान करें और उसकी सेना को इस क्षेत्र में जाने से ना रोके. लेकिन दोनों देशों ने एक-दूसरे की शर्तों को मानने से इंकार कर दिया और इस कारण से दोनों के बीच हुए रूसी-जर्मन समझौता का अंत हो गया.

द्वितीय विश्वयुद्ध में रूस की भूमिका

22 जून 1941 ई. को जर्मन सेना रूस पर आक्रमण करने के लिए कूच कर गई. जर्मन सेना ने योजनाबद्ध तरीके से रूस पर आक्रमण करने की योजना बनाई. उसने अपनी सेना को तीन भागों में विभक्त किया. उसकी सेना में रूमानिया, हंगरी और इटली की सेना भी सम्मिलित थी. उन्होंने अपनी योजना के अनुसार उस पर आक्रमण कर दिया. 1941 ई. के जुलाई महीने तक जर्मनी की सेनाओं ने नेपियर नदी के इलाकों को अपने अधिकार में ले लिया. उन्होंने लगभग 7 लाख रूसियों को बंदी बना लिया तथा उनके युद्ध टैंकों को जब्त कर लिए.

द्वितीय विश्वयुद्ध में रूस की भूमिका

शुरुआती सफलता से उत्साहित होकर जर्मन सेना ने सोवियत रूस के प्रमुख नगरों पर अधिकार करने का प्रयास करना शुरू कर दिया. लेकिन धीरे-धीरे मौसम के जर्मन सेना के प्रतिकूल होने लगी. इस कारण जर्मन सेना के अभियान में कठिनाई आने लगी. हिटलर के सैन्य कमांडरों में अभियान जारी रखने से असमर्थता जाहिर कर दिया. लेकिन फिर भी हिटलर ने सेना के अभियान को जारी रखने तथा यूक्रेन पर आक्रमण करने का आदेश दे डाला. इसी समय बारिश आरंभ हो गई. जिसके कारण सप्लाई के सारे रास्ते बंद हो गए. हिटलर ने फिर भी अपना अभियान जारी रखते हुए मॉस्को पर आक्रमण किया. लेकिन मॉस्को पर कब्जे करने की उसकी योजना नाकाम हो गई. इस युद्ध में दोनों पक्षों को काफी जानमाल की क्षति उठानी पड़ी. इधर जर्मन सेना भी लड़ते-लड़ते तथा खराब मौसम के कारण बुरी तरह थक चुकी थी. अपने सेना की खराब स्थिति को देखते हुए जर्मन सेना के कमांडरों में अभियान जारी न रखने की सलाह दी, लेकिन हिटलर ने उनकी सलाह को अवहेलना करते हुए स्टालानग्राद तथा काकेशस में आक्रमण करने का आदेश दे डाला. जर्मन से युद्ध करते-करते स्टालानग्राद तक तो पहुंच गई, लेकिन उनको भारी नुकसान उठाना पड़ा. यहां रूसी सैनिकों ने जर्मन सैनिकों को घेर लिया और उनको हथियार डालने पर मजबूर कर दिया. लगभग एक लाख जर्मन सैनिकों ने रूसी सैनिकों के सामने आत्मसमर्पण कर दिये. इसके साथ ही जर्मनी की पराजय के रास्ते खुलते चले गए.

द्वितीय विश्वयुद्ध में रूस की भूमिका

रूस को युद्ध इस युद्ध में मित्र राष्ट्र का साथ मिला. अमेरिका से आर्थिक तथा सैन्य सहायता मिलने लगी थी. इसकी मदद से रूस ने जर्मनी कि सेना को अपनी सीमा से बाहर खदेड़ दिया तथा अपने खोए हुए क्षेत्रों पर पूरा अधिकार कर लिया. अपने सीमाओं को सुरक्षित रख करने के बाद रूस में मित्र राष्ट्रों की मदद से 1945 ई. में बर्लिन पर आक्रमण कर दिया. मई 1945 ई. में बर्लिन का पतन हो गया और जर्मनी ने मित्र राष्ट्रों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. इसके साथ ही द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हो गया.

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