नानकिंग की संधि
प्रथम अफीम युद्ध नानकिंग की संधि के साथ ख़त्म हो गया. इस युद्ध में चीन की करारी हार हुई थी. अतः चीन संधि करने पर मजबूर होना पड़ गया. नानकिंग की संधि में मुख्य रूप से छह प्रावधान थी.
नानकिंग की संधि के प्रावधान
- संधि के तहत अंग्रेजों को हांगकांग का द्वीप प्राप्त हो गया.
- कैंटन, अमाय, फूचाओ, निंगपो एवं संघाई नामक पांच बंदरगाहों को ब्रिटिश व्यापारियों के लिए खोल दिया गया. इन बंदरगाहों पर ब्रिटेन अपने वाणिज्य दूत नियुक्त करेगा.
- ब्रिटिश व्यापारियों को चीनी व्यापारियों से सीधे क्रय-विक्रय का अधिकार दे दिया गया.
- आयात निर्यात पर सम्मान एवं नर्म शुल्क पद्धति लागू होगी शुल्क की वसूली का उत्तरदायित्व वाणिज्य दूतों का होगा.
- चीन ने क्षतिपूर्ति के रूप में 2 करोड़ 10 लाख डॉलर देना स्वीकार कर लिया.
- अंग्रेजों के मुकदमे उन्हीं की अदालतों में अंग्रेजी कानून के अनुसार होगी.
मूल्यांकन
यह संधि चीन के लिए एक कड़वे विष के समान थी क्योंकि इस संधि के सारे प्रावधान ब्रिटेन के पक्ष में थी. इस संधि के परिणामस्वरूप चीन के दरवाजे यूरोपीय देशों के लिए खुल गए और चीन विदेशी व्यापारियों का अड्डा बन गया.
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