पाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं क्या है?

पाषाण काल

भारत में पाषाण कालीन सभ्यता की खोज 1863 ई. में आरंभ हुई. इस सभ्यता की खोज की शुरुआत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के विद्वान रॉबर्ट ब्रूस फुट के द्वारा पल्लवरम (मद्रास) कुछ पूर्व पाषाण कालीन उपकरण प्राप्त करने के बाद हुई. इस खोज के अंतर्गत सबसे महत्वपूर्ण अनुसंधान 1935 ई. में हुई. इस अनुसंधान में येल कैंब्रिज विश्वविद्यालय के अध्ययन दल ने डी. टेरा तथा पीटरसन के नेतृत्व में शिवालिक की पहाड़ियों के तलहटी में स्थित पोतवार के पठार का व्यापक सर्वेक्षण किया. इसके पश्चात उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर तथा 1957-58 ई. में नर्मदा नदी घाटियों में व्यापक रूप से उत्खनन कार्य किए गए. उत्खनन कार्य में बड़े पैमाने पर पाषाण कालीन सभ्यता के उपकरण तथा अवशेष प्राप्त हुए.

पाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं

पाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं

1. पुरापाषाण काल (Paleolithic Age)

पुरापाषाण काल का कालखड 2.5 लाख ई.पू. से 10,000 ई.पू. तक माना जाता है. पुरापाषाण काल को तीन भागों में बांटा गया है- निम्न पुरापाषाण काल, मध्य पूर्व पाषाण काल तथा उच्च पुरापाषाण काल.

महाराष्ट्र के बोरी नामक स्थान की खुदाई करने पर निम्न पुरापाषाण काल के मानव के अवशेष प्राप्त हुए हैं. इस काल में आदिमानव तराशे हुए प्रस्तर उपकरण और प्रस्तर के टुकड़ों से शिकार करते थे. निम्न पुरापाषाण काल के गोल पत्थरों से निर्मित उपकरण ज्यादातर सोहन नदी घाटी अब पाकिस्तान में से प्राप्त हुए हैं. इस काल में मानव मुख्यता शिकार और खाद्य संग्रह कर अपना जीवन यापन करता था.

पाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं

सोहन नदी घाटी के बाद निम्न पुरापाषाण काल के सबसे उन्नत उपकरण मद्रास इंडस्ट्री से प्राप्त होते हैं. 1938 ई. में तमिलनाडु के चिंगलपेट में हुई. उत्खनन के परिणाम स्वरूप हस्त कुल्हाड़ी और क्लीनर मिले हैं. इसके अलावा मध्य भारत के नर्मदा नदी घाटी क्षेत्र के उत्खनन से हमें निम्न पाषाण काल के चॉपर-चॉपिंग, हस्त कुल्हाड़ी तथा अन्य उपकरण प्राप्त हुए हैं. उत्खनन नर्मदा नदी घाटी के हथनौरा से एक होमो इरेक्टस का कंकाल भी प्राप्त हुआ है. यह निम्न पुरापाषाण काल के एकमात्र मानव कंकाल है. इसके अलावा हमें उड़ीसा के मयूरभंज, पश्चिम बंगाल के बांकुरा तथा वीरभूमि से इस काल के कई उपकरण प्राप्त हुए हैं.

पाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं

भारत में मध्य पुरापाषाण काल के बहुत से स्थल देखने को मिलते हैं. इसमें महाराष्ट्र सबसे प्रमुख है. इसके अलावा पंजाब, मध्य प्रदेश, गोदावरी घाटी और बुंदेलखंड के क्षेत्र में भी इस काल के अनेक स्थल प्राप्त हुए हैं. मध्य प्रदेश के भीमबेटिका की गुफा में हुए उत्खनन से 200 से अधिक शैलकृत गुफाएं पाई गई हैं. इस काल के उपकरणों में मुख्य रूप से चॉपर-चॉपिंग, हस्त कुल्हाड़ी, बेधक, खुरचानियाँ आदि प्राप्त हुए हैं. इस समय संभवत मानव ने समूह में शिकार करना आरंभ किया. भारत में उच्च पुरापाषाण काल के प्रमुख स्थलों में इलाहाबाद स्थित बेलन घाटी है. इसके अलावा मुच्छलता चिंतमनु (कर्नूल), रेनिगुंटा ( चितूर आंध्रप्रदेश), कर्नाटक के शोरापुर तथा बीजापुर और मध्य प्रदेश के भीम बेटिका आदि स्थल आते हैं. इस काल के औजारों में तक्षिणी, छिद्रक, खुरचिनी और हड्डियों से बने औजार प्रमुख हैं. बेलन घाटी से एक किसी देवी की प्रतिमा भी प्राप्त हुई है.

पाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं

2. मध्य पाषाण काल (Mesolithic Age)

पुरापाषाण काल और नवपाषाण काल के बीच के काल को मध्य पाषाण काल कहा जाता है. मध्य पाषाण काल का काल खंड 10,000 ई.पू. से 4000 ई.पू. के मध्य है. इस काल में पेड़-पौधों, जीव जंतुओं के साथ-साथ जलवायु में भी भारी परिवर्तन हुए. उत्खनन के पश्चात गुजरात में इस काल के कुछ मानव बस्तियां प्राप्त हुई है. इस काल के उपकरण निर्माण के क्षेत्र में भी परिवर्तन हुए. इस समय मानव ने लघु उपकरणों का निर्माण करना शुरू कर दिया. इन औजारों का आकार आधे इंच से लेकर पौने इंच तक के बीच है. इस काल में मानव उपकरण का निर्माण करने के लिए कठोर चट्टानों के साथ-साथ मुलायम चट्टानों का प्रयोग करना शुरू कर दिया. इस काल के उपकरण में मुख्य रूप से ब्लड, छिद्रक, स्क्रैप, बेधक, चंद्रिका आदि है इसके अलावा हड्डी और सींग से बने उपकरण प्राप्त हुए हैं. त्रिभुज तथा चतुर्भुज के आकार के भी मिले हैं. इसके अलावा कीमती पत्थरों के भी प्राप्त हुए हैं.

पाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं

उत्खनन के दौरान मिले बस्तियों  से ऐसा लगता है कि इस काल में मानव ने दाह संस्कार की प्रक्रिया आरंभ कर दी थी. इस काल के अस्थियों के शीर्ष के पास पाषाण के उपकरण भी प्राप्त हुए हैं. इस काल में मानव अस्थियों के साथ कुत्ते की अस्थियां भी पाई गई है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि इस काल में मनुष्य ने पशु पालन करना आरंभ कर दिया. मध्य पाषाण काल के लोग शिकार मछली पकड़कर तथा खाद्य वस्तुएं इकट्ठा करके अपना पेट भरते थे.

भारत में मध्य पाषाण काल के स्थलों में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल तथा भारत के विभिन्न स्थानों में पाए गए हैं. राजस्थान में इस काल के सबसे प्रमुख स्थल भीलवाड़ा का बागोर है. मध्यप्रदेश की भीम बेटिका गुफा से भी इस काल के अवशेष प्राप्त हुए हैं. गुजरात के लंघनाज के उत्खनन करने पर 14 मानव कंकाल प्राप्त हुए हैं.

3. नवपाषाण काल (Neolithic Age)

भारत नवपाषाण काल 7000 ई.पू. से 1000 ई.पू. के बीच माना जाता है. भारतीय उपमहाद्वीप में मेहरगढ़ (पाकिस्तान के बलूचिस्तान) में नवपाषाण कालीन मानव बस्ती मिली. इस बस्ती का समय 7000 ई.पू. बताया जाता है. उत्खनन करने पर इस स्थान से कच्चे मकान पत्थर के कटोरे और पालतू जानवरों की अस्थियां प्राप्त हुई है. दक्षिण भारत में भी इस काल के कई मानव बस्तियां प्राप्त हुई है.

मैसूर (कर्नाटक) तथा आंध्रप्रदेश की कृष्णा तथा कावेरी नदी घाटियों, नर्मदा नदी घाटी, कश्मीर, सिंध तथा उत्तर प्रदेश के अनेक स्थानों पर इस काल के अनेक अवशेष प्राप्त हुए हैं. इस काल में लोग पालिशदार पत्थर के बने औजारों तथा हथियारों का इस्तेमाल करते थे. वह मुख्य रूप से पत्थर की कुल्हाड़ी का इस्तेमाल करते थे. इस प्रकार की कुल्हाड़ियाँ देश के कई भागों में प्राप्त हुई है. नवपाषाण काल के लोग शिकार और मछली पकड़ते थे. इसके अलावा वे खेती करना भी आरंभ कर दिए थे. इस काल के हड्डी से बने उपकरण चिरांद (पटना) से प्राप्त हुए हैं.

पाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं

नवपाषाण काल में मनुष्य ने अनेक आविष्कार किए. उन्होंने कृषि की कार्य की शुरुआत की. उत्खनन के परिणाम स्वरूप दो बैलों की सहायता से हल चलाते हुए कृषक की तस्वीर बनी हुई शिला मिली. इस काल के लोग जौ, गेहूं, बाजरा, मक्का आदि की खेती करने लगे थे. इस काल में कृषि के साथ-साथ पशुपालन का भी विकास हुआ. मनुष्य ने गाय, बैल, भैंस, बकरी, कुत्ता, बिल्ली आदि जानवरों को पालन करना शुरू कर दिया. इस काल में लोगों के जीवन में स्थिरता आने लगी. इससे उनकी गृह-निर्माण कला विकसित होने लगी. रेशम के धागों से वस्त्रों का निर्माण करना भी शुरू कर दिए. इस काल के झोपड़ियों की छतें लकड़ी, पत्ती तथा छाल की होती थी. फर्श चिकनी मिट्टी का बना होता.

नवपाषाण काल में शव का दाह संस्कार किया जाता था. शव को गाड़ने तथा जलाने, दोनों प्रकार की प्रथाएं प्रचलित थी. इस समय चित्रकला का भी विकास हो चुका था. उनके चित्र मुख्यत: बर्तनों तथा पत्थर की दीवार पर बने प्राप्त होते हैं.

—————————-

इन्हें भी पढ़ें:

  1. भारत में लौह युगीन संस्कृति पर प्रकाश डालिए
  2. नवपाषाण कालीन संस्कृति की प्रमुख विशेषताएं बताइए
  3. पूर्व पाषाण कालीन संस्कृति पर प्रकाश डालिए

——————————

Note:- इतिहास से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल रहे हैं तो कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करें. आपके प्रश्नों के उत्तर यथासंभव उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी.

अगर आपको हमारे वेबसाइट से कोई फायदा पहुँच रहा हो तो कृपया कमेंट और अपने दोस्तों को शेयर करके हमारा हौसला बढ़ाएं ताकि हम और अधिक आपके लिए काम कर सकें.  

धन्यवाद.

1 thought on “पाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं क्या है?”

  1. वैदिक सभ्यता के सामाजिक आर्थिक राजनीति धार्मिक स्थिति का वर्णन कीजिए

    Reply

Leave a Comment

Telegram
WhatsApp
FbMessenger