पुनर्जागरण काल में साहित्य की उन्नति (Advancement of Literature During Renaissance Period)
पुनर्जागरण से पहले इटली के विद्वानों के रूप की रुचि मुख्य रूप से प्राचीन यूनानी और लैट्रिन साहित्य की ओर थी. इस प्रकार इटली के विद्वानों का यूनानी और लैटिन साहित्यों के प्रति रुचि होने के कारण इटालियन लोक भाषा के विकास में काफी बाधा पहुंची. हेज का कहना है कि इटली के तत्कालीन विद्वान प्राचीन यूनानी और लैटिन भाषा को साहित्य की प्रस्तुतीकरण के दृष्टिकोण से काफी सम्मानीय भाषा समझते थे. वहीं दूसरी ओर वे इटली के लोक भाषाओं को असभ्य एवं हेय समझते थे. यही कारण है कि बड़ी संख्या में इटालियन साहित्यों को यूनानी और लैटिन भाषाओं में लिखा गया. इस वजह से इटली के लोक भाषाओं का पर्याप्त विकास नहीं हो पाया.
पुनर्जागरण के बाद इटली की स्थिति में काफी तेजी से परिवर्तन आने लगा. कठिन प्राचीन यूनानी एवं लैटिन भाषा के समझ में कठिनाई होने के कारण जनता का इन भाषाओं के प्रति मोह खत्म होने लगी. यही कारण लोक भाषाओं में लिखे साहित्यों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी. अतः उनकी मांग को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर साहित्य लोक भाषाओं में छपने शुरू हो गए. इससे इटली की लोक भाषाओं का विकास काफी तेजी से होने लगा.
इसका परिणाम यह हुआ कि अब बड़े पैमाने पर साहित्यों का अनुवाद लोक भाषाओं में होने लगा. मार्टिन लूथर ने बाइबिल का अनुवाद जर्मन भाषा में किया. क्रमर ने लोक भाषा में बुक ऑफ़ कॉमन प्रेयर रचना की. जॉन काल्विन ने इंस्टिट्यूट ऑफ द क्रिश्चियन रिलिजन की रचना की. इसके अलावा दांते, पेट्रार्क, शेक्सपियर, मिल्टन, स्पेंसर, थॉमस मूर और मार्लो आदि ने लोक भाषाओं पर काम करके राष्ट्रीय विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया. राष्ट्रीय साहित्य के विकास में मैकियावली ने बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया. वह फ्लोरेंस का निवासी था. वह अपने जीवन काल में सचिव के पद पर भी कार्य कर चुका था. इस कारण उसे राजनीति का भी अच्छा ज्ञान था. उसने अपने राजनीतिक अनुभव को डिस्कोर्सिस ऑफ लिवि, हिस्ट्री ऑफ फ्लोरेंस और द प्रिंस में काफी विस्तृत रूप से वर्णन किया. उसने स्पष्ट किया कि धर्म एवं राजनीति दोनों अलग-अलग है. धर्म को राजनीति से अलग रहना चाहिए क्योंकि धर्म राज्य की शक्ति को निर्बल करता है. उसकी दृष्टि में धर्म नैतिकता का संदेश देता है. जबकि राजनीति में राज्य के हित के लिए नैतिकता का कोई स्थान नहीं है. आवश्यकता अनुसार राज्य को कठोर एवं निर्णय साधनों का आश्रय लेना पड़ सकता है. राजनीति का मूल उद्देश्य सफलता प्राप्त करना है चाहे इसके लिए किसी भी नीति का आश्रय क्यों ना लेना पड़े. इस प्रकार राष्ट्रीय साहित्य ने मध्ययुगीन मान्यताओं को शहर के आधार पर स्पष्ट चुनौती दी और मान्यताओं का प्रतिष्ठित किया.
इस प्रकार हम देखते हैं कि पुनर्जागरण के बाद इटली में साहित्य के क्षेत्र में बहुत बड़ा बदलाव आया. प्राचीन यूनानी और लैटिन भाषाओं के स्थान पर अब लोक भाषाओं को प्राथमिकता दी जानी लगी. बड़े पैमाने पर साहित्य लोक भाषाओं में छपने शुरू हो गए. इसके परिणामस्वरूप इटली के लोक भाषाओं का काफी विकास हुआ.
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