प्लासी युद्ध के कारणों का वर्णन करें | प्लासी के युद्ध का वर्णन कीजिए

प्लासी युद्ध

प्लासी युद्ध सिराजुद्दौला और अंग्रेजों के बीच 23 जून 1757 ई. को प्लासी नामक गांव में हुआ था. इस युद्ध में सिराजुद्दौला के पास लगभग 50,000 सेना थी जबकि अंग्रेजों के पास मात्र 32,00 सेना थे. इस युद्ध के दौरान सिराजुद्दौला के कुछ सेनापतियों अंग्रेजों के साथ मिल जाने के कारण सिराजुद्दौला के साथ विश्वासघात किया और उसके साथ युद्ध में भाग नहीं लिया. इस बात का पता चलते ही सिराजुद्दौला घबरा गया और वह युद्ध भूमि से भाग गया. लेकिन उसे शीघ्र ही बंदी बना लिया गया और उसकी हत्या कर दी गई. 

प्लासी युद्ध के कारण

प्लासी युद्ध के कारण

1. सिराजुद्दौला के अनिश्चित उत्तराधिकारी और राज्य में आंतरिक कलह

अलीवर्दी खां के तीन पुत्रियां थी उसके कोई पुत्र नहीं थे. सिराजुद्दौला उसकी सबसे छोटी बेटी का पुत्र था. अतः अलीवर्दी खां के द्वारा अपनी छोटी पुत्री के बेटे सिराजुद्दौला को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया. लेकिन इसपर उसके अन्य पुत्रियां एवं उनके पुत्र नाराज थे. अलीवर्दी खां की मृत्यु के बाद उसकी एक पुत्री घसीटी बेगम तथा शौकतजंग अपनी-अपनी दलीलें पेश करने लगे. बहुत से दरबारियों ने भी उनको समर्थन देना आरंभ कर दिया. इसके परिणामस्वरूप सिराजुद्दौला की स्थिति अत्यंत अनिश्चित एवं शिथिल हो गई. अंग्रेज दीर्घकाल से बंगाल पर अपने दृष्टि लगाए हुए था. इसीलिए उन्होंने बंगाल में व्याप्त आंतरिक कलह का फायदा उठाने का प्रयास किया.

प्लासी युद्ध के कारण

2. सिराजुद्दौला के विरोधियों के द्वारा अंग्रेजों की सहायता

अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला को उसके गद्दी ने हटाने के लिए हरसंभव प्रयास किए. इसके लिए उन्होंने उसके विरोधियों को भी मदद देना शुरू किया. इस कारण सिराजुद्दौला के मन में अंग्रेजों के प्रति नफरत की भावना पनपने लगी थी.

3. सिराजुद्दौला द्वारा किलेबंदी पर प्रतिबंध

अलीवर्दी खां के समय में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों ने जो किलेबंदी करने आरंभ कर दी थी, उसे अलीवर्दी खां ने बंद करवा दिया था. किंतु उसकी मृत्यु के बाद उत्तराधिकारी के प्रश्न को लेकर आंतरिक कलह का लाभ उठाकर अंग्रेजों और फ्रांसीसियों ने पुनः अपनी-अपनी बस्तियों की किलेबंदी आरंभ कर दी. इस पर सिराजुद्दौला ने सभी यूरोपीय जातियों को अपनी-अपनी किलेबंदी समाप्त करने का आदेश दिया. फ्रांसीसी तो उसके आदेश का पालन किया, परंतु अंग्रेजों ने उसके आदेशों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया. इस वजह से अंग्रेजों और सिराजुद्दोला के बीच में शत्रुता बढ़ने लगी.

प्लासी युद्ध के कारण

4. अंग्रेजों द्वारा व्यापारिक सुविधाओं का दुरुपयोग

मुगल सम्राट  फर्रूखसियर ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को मात्र ₹3000 के वार्षिक कर के बदले बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा के प्रदेशों में निशुल्क व्यापार करने की अनुमति दी थी. परंतु कंपनी के कर्मचारियों ने इन सुविधाओं का अनुचित प्रयोग करना आरंभ कर दिया. उन्होंने अपने दस्तक तथा अनुमति पत्र भारतीय व्यापारियों को रिश्वत लेकर बेच दिए. परिणामस्वरूप भारतीय व्यापारी भी अब एवं संपूर्ण प्रदेश में मुफ्त व्यापार करने लगे. सिराजुद्दौला के लिए ये स्थिति असहनीय थी क्योंकि इससे उसके राजकोष को भारी हानि उठानी पड़ रही थी.

5. सिराजुद्दौला का कासिम बाजार, कोलकाता पर अधिकार तथा ब्लैक होल की घटना

सिराजुद्दौला अंग्रेजों की बढ़ती मनमानी से नाराज हो गए थे. अतः 4 जून, 1756 ई. को उसने कासिम बाजार पर अपना अधिकार कर लिया तथा 16 जून को कोलकाता की पहुंच गया. 20 जून 1756 ई. को कोलकाता पर भी अधिकार कर लिया. कोलकाता का गवर्नर डेक वहां से भाग गया. इस घटना ने अंग्रेजों और सिराजुद्दोला के बीच की दुश्मनी खाई को और बढ़ा दिया.

प्लासी युद्ध के कारण

6. अंग्रेजों द्वारा कोलकाता पर पूरा अधिकार तथा चंद्र नगर प्राधिकार

कासिम बाजार तथा कोलकाता में अंग्रेजों की पराजय की समाचार जब मद्रास काउंसिल के सदस्यों तथा अन्य अंग्रेज अधिकारियों को मिला तो उन्होंने क्लाइव के नेतृत्व में सेना की एक टुकड़ी बंगाल की ओर भेजी. इस समय सिराजुद्दौला अपने विरोधी शौकतजंग के विरुद्ध कार्रवाई कर रहा था. उसने अपने सेनापति मानिकचंद को कोलकाता का उत्तरदायित्व सौंप रखा था, लेकिन मानिकचंद पहले ही अंग्रेजों की ओर मिल गया था. अतः थोड़े से युद्ध का दिखावा करके वह कोलकाता से भाग गया. इसीलिए जनवरी 1757 ई. में कोलकाता पर पुनः अंग्रेजों का अधिकार हो गया. अंग्रेजों को आशंका थी कि कहीं सिराजुद्दौला फ्रांसीसियों मिल न जाए. इसी कारण उन्होंने सिराजुद्दौला से अलीनगर की संधि कर ली. नवाब से संधि के बाद क्लाइव ने चंद्रनगर पर आक्रमण करके उसे भी अपने अधिकार में ले लिया. इस परिस्थिति में सिराजुद्दौला को फ्रांसीसियों की मदद करनी चाहिए थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया यह उसकी बहुत बड़ी राजनीतिक भूल थी. इस प्रकार कूटनीति युद्ध में नवाब अंग्रेजों से पराजित हुआ.

प्लासी युद्ध के कारण

7. नवाब के विरुद्ध षड्यंत्र

क्लाइव ने नवाब की शक्ति समाप्त करने के लिए कूटनीति और उस के दरबार में षड्यंत्र करने आरंभ कर दिए. क्लाइव ने नवाब के मुख्य सेनापति मीरजाफर तथा अन्य एक महत्वपूर्ण सेनापति रायदुर्लभ को अपनी ओर कर लिया. मीरजाफर को नवाब बनाने का लालच दिया गया. जिससे वह षड्यंत्र करने को तैयार हो गया. अमीरचंद नामक एक समृद्ध व्यापारी के माध्यम से अंग्रेजों तथा मीरजाफर के बीच 1957 ई. में एक गुप्त संधि हुई. जिसके द्वारा मीरजाफर को नवाब बनाना निश्चित हुआ. मीरजाफर ने आश्वासन दिया कि वह अपनी सेना सहित अंग्रेजों का साथ देगा. इस संधि द्वारा यह सुनिश्चित हुआ कि कोलकाता के विनाश की क्षतिपूर्ति हेतु मीर जाफर एक करोड रुपए कंपनी को, ₹50 लाख अंग्रेजों को तथा ₹20 लाख कोलकाता की हिंदुओं को देगा. दूसरी बात यह है कि मीरजाफर कोलकाता की किलेबंदी में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेगा और कोलकाता के निकटवर्ती क्षेत्रों को अंग्रेजों को दे देगा. यदि मीरजाफर उन सभी नियमों का पालन करेगा तो अंग्रेज उनके शत्रुओं के विरूद्ध उनकी सहायता करेंगे, परंतु इन सबका व्यय मीरजाफर को ही सहन करना पड़ेगा. मध्यस्थ करने वाले धोखेबाज अमीरचंद ने इस रहस्य को छुपाए रखने के लिए 30 लाख रुपया मांगा. क्लाइव ने इस संधि की दो प्रकार की प्रतियां तैयार कराई थी. लाल प्रतियां जो नकली थी, इन पर अमीरचंद को ₹30 लाख दिए जाने का उल्लेख था. परंतु सफेद प्रतियां जो वास्तविक थी, उसमें अमीरचंद को रुपए दिए जाने कोई उल्लेख नहीं था. वाटसन ने लाल रंग की प्रतियों पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था. अतः क्लाइव ने ही वाटसन के हस्ताक्षर कर दिए. इतिहासकारों के अनुसार जून महीने के मध्य तक सिराजुद्दौला को संधि के विषय में पता चल गया था, परंतु वह किसी प्रकार का कार्रवाई करने में असफल रहा. इस प्रकार अनुभवहीन और अल्पआयु होने के कारण धोखेबाज परामर्श दाताओं के धोखे का शिकार बन गया.

प्लासी युद्ध के कारण

प्लासी युद्ध के परिणाम, सैन्य दृष्टि से कोई विशेष महत्व नहीं है. क्योंकि इस युद्ध  में सैन्य शक्ति नहीं बल्कि षड्यंत्र का सहारा लिया गया था. लेकिन परिणामों की दृष्टि से प्लासी युद्ध भारतीय इतिहास के महान युद्धों में की जाती है. क्योंकि इसके स्थाई और दूरगामी परिणाम हुए. इसने भारतीय इतिहास की धारा को ही मोड़ दिया. एडमिरल वाटसन ने युद्ध के महत्व पर प्रकाश डालते हुए लिखा कि प्लासी का युद्ध कंपनी के लिए नहीं, अपितु सामान्य रूप से ब्रिटिश जाति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था.

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