फ्रांस की क्रांति के लिए उत्तरदायी राजनीतिक कारणों पर प्रकाश डालिए

फ्रांस की क्रांति

1789 ई. के फ्रांसीसी क्रांति के बहुत सारे कारण है. यह क्रांति अचानक होनेवाली घटना नहीं थी. इसकी चिंगारी कहीं ना कहीं अंदर ही अंदर सुलग रही थी. एक ऐसा समय आया जब यह चिंगारी एक बारूद की शक्ल ले ली और उन्हें विस्फोट हो गया. परिणाम स्वरूप फ्रांस की फ्रांस में एक ऐतिहासिक क्रांति हो गई. इस क्रांति को फ़्रांस की क्रांति  से जानी जाती है. इस क्रांति के विभिन्न कारण थे. इन कारणों में राजनीतिक कारण भी एक थी.

फ्रांस की क्रांति

फ्रांस की क्रांति के राजनीतिक कारण

1. लुई 14 वें के अयोग्य उत्तराधिकारी

प्राचीन काल से ही फ्रांस में राजा का शासन चला आ रहा था. सारी शक्तियां राजा के हाथ में ही केंद्रित थी. नतीजतन राजा निरंकुश होता चला गया. फ्रांस की क्रांति के पहले तक फ्रांस में लुई 14 का शासन काल चलता आ रहा था. वह अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए लगातार अपने पड़ोसी राज्यों के साथ युद्ध करता आ रहा था. हालांकि वह एक योग्य राजा था, परंतु उनके तानाशाही शासन तथा युद्ध में लगातार व्यस्त रहने के कारण फ्रांस की आर्थिक दशा बदतर होती चली गई. सप्तवर्षीय युद्ध के कारण उसकी आर्थिक स्थिति और ही दयनीय हो गई. उसने अपने मृत्यु के अंतिम समय में उनको इन बातों का एहसास हुआ और उसने अपने पोते 15 वें को सलाह दी कि यथासभव अपने पड़ोसियों से मेल-मिलाप और शांतिपूर्वक रहने की कोशिश करना और देश की आर्थिक स्थिति को ठीक करने पर ध्यान दो. 

फ्रांस की क्रांति

इसके पश्चात लुई 15 वें भी एक अयोग्य शासक निकला. उस के शासनकाल में फ्रांस का एक बड़ा भूभाग उसके हाथ से निकल गया इससे जनता के कष्ट में अपार वृद्धि हो गई. इसके पश्चात लुई सोलहवां भी एक अयोग्य शासक सिद्ध हुआ. उसको शासन में किसी प्रकार की रुचि ना थी. वह अपनी पत्नी एन्टोयनिटी के प्रभाव में था उसकी पत्नी ऐशोआराम की जिंदगी बिताती थी.  वो धन को बिना आवश्यकता के पानी की तरह बहा दिया करती थी. 

2. दोषी उपयुक्त शासन व्यवस्था

दोष युक्त शासन व्यवस्था फ्रांस की क्रांति का एक और प्रमुख  कारण था. तत्कालीन राजा देश का प्रधान हुआ करता था. उसका विचार था कि देश की सत्ता व्यक्तिगत रूप से उसी की हाथ में है. उसे कानून बनाने और न्याय करने का अधिकार प्राप्त है. वह जिसे चाहे, जैसे चाहे वैसे व्यवहार कर सकता है. वह देश के विभिन्न हिस्सों की स्थिति का जायजा लेने के लिए कभी दौरा नहीं करता था. वह  राजधानी तक ही सीमित रहा करता था. इसीलिए वह जनता के दुख तकलीफों से अनभिज्ञ था तथा उनके दुख-सुख से उन्हें कोई लेना देना नहीं था. उस के दरबार में सिर्फ पादरी और कुलीन वर्ग के लोग आते थे. उनके दरबार में निम्न  वर्ग के लोगों का कोई स्थान नहीं था. ऐसे में देश की साधारण वर्ग में असंतोष की भावना उत्पन्न होने लगी थी. राजा को अनेक भागों में के अपने देश की वास्तविक सीमाओं के बारे में भी जानकारी नहीं थी. ऐसे में उसके अधिकारीयों के बीच कार्य क्षेत्र के अधिकार के आधार पर आपसी  संघर्ष होने की प्रयास संभावना बनी रहती थी. देश के कानूनों भी बहुत ही दोष-युक्त थी. न्याय संबंधी कानून देश के विभिन्न हिस्सों पर अलग अलग थी. राजा के अधिकारी जब चाहे बिना कारण बताए किसी को भी कैद कर सकते थे. किसी व्यक्ति को अनिश्चितकाल के लिए बिना अदालती कार्यवाही के जेल में बंद रखा जा सकता था.

फ्रांस की क्रांति

इसके अलावा कर वसूली प्रणाली में भी बहुत ज्यादा खामियां थी. कर की वसूली राजा के अधिकारियों के द्वारा ना कर, बोली लगाकर सबसे ज्यादा बोली देने वाले व्यक्ति को कर वसूली का अधिकार दिया जाता था. वह किसानों और निम्न वर्ग के लोगों से मनमाना कर वसूलता था. जिसके वजह से जनता का अत्यधिक आर्थिक शोषण होता था. पादरी और कुलीन वर्ग कर से मुक्त होने के कारण कर नहीं देते थे. अतः कर का संपूर्ण बोझ  साधारण वर्ग के लोगों पर ही पड़ता था. ऐसे दोष मुक्त शासन व्यवस्था एवं भेदभाव पूर्ण कानूनों की वजह से जनता पूरी तरह त्रस्त हो गई थी. अतः जनता में बदलाव लाने की तीव्र इच्छा होने लगी थी. इन सब वजह से फ्रांस की क्रांति शुरुआत हुई.

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