बोल्शेविक क्रांति से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों और परिणामों का वर्णन करें

बोल्शेविक क्रांति (Bolshevik Revolution)

बोलशेविक क्रांति (Bolshevik Revolution) को अक्टूबर 1917 ई. की क्रांति के नाम से भी जाना जाता है. इस क्रांति की सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह क्रांति बिना किसी खून खराबे से लड़ा गया. इसमें किसी भी व्यक्ति की जान नहीं गई. यह क्रांति पत्रों तथा समाचार पत्रों के माध्यम से लड़ा गया. इस क्रांति का नेतृत्व लेनिन के द्वारा किया गया था. इस क्रांति के दौरान उसने अपने पत्रों के माध्यम से अपना संदेश जनता तक पहुँचाया था. इस क्रांति के विषय में ट्राटस्की ने सोवियत के पेट्रोगाड को भेजे अपनी रिपोर्ट में कहा कि लोग कहते थे कि जब बलवा होगा तो क्रांति रक्त की नदियों से डूब जाएगी, परंतु हमने एक भी व्यक्ति की मृत्यु की खबर नहीं सुनी. इतिहास में ऐसा कोई भी उदाहरण नहीं है कि किसी क्रांति में इतने लोग सम्मिलित हो और वह रक्तहीन हो.

बोल्शेविक क्रांति से आप क्या समझते हैं?

क्रांति की घटनाएं (Rvents of Revolution)

बोल्शेविकों ने प्रावदा नामक समाचार पत्र के माध्यम से अपने विचारों का प्रचार एवं प्रसार करना शुरू कर दिया. इसके प्रभाव से संपूर्ण रूस में यह स्वर गूंजने लगा कि युद्ध समाप्त हो, किसानों को खेती मिले और गरीबों को रोटी. 3 अप्रैल को लेनिन पेट्रोगाड पहुंचा. मई 1917 ई. को एक अन्य दल का नेता ट्राटस्की अमेरिका से पेट्रोगाड पहुंचा. उसने बोल्शेविक दल को अपना सहयोग दिया. जुलाई में करेंस्की की सरकार ने बोल्शेविकों को गिरफ्तार करना शुरू किया. इस पर लेनिन भाग कर फिनलैंड चला गया. उसने वहां से उसने बोल्शेविकों को पत्र लिखकर उनका मार्गदर्शन किया. उसने अपने नीतियों के विचारों से उन्हें गुप्त पत्रों के द्वारा अवगत कराया. लेनिन ने 23 अक्टूबर को सशस्त्र क्रांति की शुरुआत करने का आदेश दिया. इस क्रांति को दबाने के लिए सेना ने भी युद्ध लड़ने से इनकार कर दिया. मजदूरों ने भी हड़ताल कर दी. 6 नवंबर को बोल्शेविक दल के स्वयं सेवकों (लाल रक्षकों) ने पेट्रोगाड के रेलवे स्टेशनों, टेलीफोन केन्द्रों और सरकारी भवनों पर अधिकार कर लिया. इनकी संख्या लगभग लगभग 25000 थी. ऊपर से इनको सेना का भी सहयोग मिला जिससे उनकी शक्ति बहुत बढ़ गई. स्थिति केरेन्स्की की नियंत्रण से बाहर हो गई और वह 7 नवंबर को रूस छोड़कर भाग गया. इस प्रकार लेनिन ने बोल्शेविक क्रांति में सफलता प्राप्त की.

बोल्शेविक क्रांति से आप क्या समझते हैं?

बोल्शेविक क्रांति के कारण (Cause of the Bolshevik Revolution)

1. निरंकुश निकोलस का शासन

जार निकोलस द्वितीय बहुत ही आरोग्य और अंधविश्वासी था. वह दुर्बल, हठी और मंदबुद्धि स्वभाव का था. उसमें घटनाओं का महत्व और व्यक्तियों के चरित्र समझने की शक्ति नहीं थी. उस पर महारानी अलेक्जेंड्रा का विशेष प्रभाव था. वह स्वेच्छाधारी शासन के पक्षपाती थी और वह जरीना रासपुतिन नमक साधु के हाथ की कठपुतली बनी हुई थी. साधू रासपुतिन ने अपने व्यापक प्रभाव को लाभ उठाकर प्रशासन में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया. उच्च अधिकारियों की नियुक्ति एवं पद्चुत करना रासपुतिन के हाथ में आश्रित हो गया. इससे प्रशासनिक अव्यवस्था फैलने लगी. इसके कारण दरबार में रासपुतिन के विरोध में एक दल बन गया.

2. सामाजिक और आर्थिक स्थिति

सामाजिक और आर्थिक स्थिति पूरी तरह दयनीय हो चुकी थी. समाज में उच्च-नीच का भेदभाव चरम पर था. उच्च वर्ग के लोग निम्न वर्ग के लोगों का शोषण करते थे और उन पर तरह-तरह के जुल्म करते थे. इसके अलावा समाज के इन वर्गों के बीच आर्थिक विषमता का भी काफी बड़ा अंतर था. एक ओर जहां उच्च वर्ग के लोग काफी धनवान थे, वहीं निम्न वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय हो चली थी. इससे धीरे-धीरे जनता में असंतोष बढ़ता चला गया.

बोल्शेविक क्रांति से आप क्या समझते हैं?

3. प्रथम विश्व युद्ध

प्रथम विश्व युद्ध में रूस ने मित्र राष्ट्रों की ओर से लड़ना स्वीकार किया. इसका लगभग संसद के सभी सदस्यों ने भी समर्थन स्वीकार किया था. लेकिन जार और जारिन के विवेकहीनता और युद्ध में अनावश्यक हस्ताक्षर के कारण रूस की सेना का मनोबल काफी गिर गया. युद्ध लड़ने वाले सैनिकों के पास युद्ध सामग्री तथा खाद्य सामग्री का घोर अभाव रहा. इस कारण रूस को पराजय का सामना करना पड़ा. इन कारणों से रूस की जनता में असंतोष उभरने लगा और हालात क्रांति की ओर बढ़ते चले गए.

4. रूस और जापान की युद्ध

बोलशेविक क्रांति (Bolshevik Revolution) का एक और करण रूस और जापान युद्ध में रूस के हार का भी बहुत बड़ा योगदान था. इस युद्ध के बाद जापान ने रूस के बहुत से क्षेत्रों पर अपना अधिकार कर लिया था. इसके कारण रूस की जनता में असंतोष उभरने लगा और बाद में यही असंतोष बोल्शेविक क्रांति के रूप में सामने आया.

5. समाजवादी विचारधारा का उदय

सामान्य जनता के अभावग्रस्त परिस्थितियों के कारण रूस में समाजवादी प्रवृत्ति का तेजी से विकास होने लगा. समाजवादी विचारों से प्रभावित होकर लोगों ने आंदोलन चलाना शुरु कर दिया. आंदोलनकारियों ने अपना आंदोलन कृषक और निम्न वर्ग के समर्थन में किया. लोग रूस में सुधार तथा शासन परिवर्तन के चरण इच्छुक थे. धीरे-धीरे मांग यही क्रांति की ओर अग्रसर होता चला गया.

बोल्शेविक क्रांति से आप क्या समझते हैं?

बोल्शेविक क्रांति की सफलता के कारण (Reasons for the success of the Bolshevik Revolution)

  1. युद्ध के विरोध: 1905 ई. से 1917 ई. तक के समय में जारशाही नीतियों में कोई परिवर्तन होते न देखकर जनता सशंकित होने लगी. अब जनता का यह विचार बन चुका था कि जारशाही का अंत करके ही रूस की शासन व्यवस्था को ठीक किया जा सकता है. जैसे-जैसे क्रांतिकारी भावना देश में बढ़ती चली गई वैसे-वैसे उनको दबाने के प्रयास में जारशाही निरंकुश होता चला गया. आंदोलन के दबाव में अंततः रूस में अस्थायी सरकार की स्थापना हुई, किंतु अस्थायी सरकार ने भी युद्ध जारी रखने की नीति अपनाई. कैटलबी ने लिखा है युद्ध और क्रांति दोनों को एक साथ जारी रखने के लिए सफल प्रयास के पश्चात करेन्स्की की सरकार को 1917 ई. में लेनिन और ट्राटस्की के नेतृत्व में बोल्शेविकों द्वारा पलट दी गई.
  2. यूरोपीय राष्ट्रों का हस्तक्षेप नहीं: प्रथम विश्व युद्ध में व्यस्त होने के कारण रूस की आंतरिक स्थिति में कोई भी यूरोपीय राष्ट्र हस्तक्षेप नहीं कर सका. इस कारण रूस की जनता के द्वारा की गई क्रांति में सफलता मिली.
  3. शासन में आपसी फूट: शासन में आपसी फूट होने के कारण उनमें एकता नहीं थी. इस फूट का बोल्शेविकों ने भरपूर फायदा उठाया जिसके कारण ने सफलता मिली.
  4. लगातार प्रयास: कठिन समय में भी बोल्शेविकों ने चुपचाप अपना प्रसार अभियान चलाते रहे और वे लेनिन के निर्देशन का पालन करते रहे. इसके बाद बोल्शेविकों उचित समय में क्रांति करके सत्ता पर अधिकार करके सफलता प्राप्त की.
  5. जनता का समर्थन: डेविड थॉमसन के अनुसार लेनिन द्वारा बोल्शेविकों का कार्यक्रम चार सूत्रीय था- कृषकों को भूमि, भूखों को भोजनसोवियतों को शक्ति तथा जर्मनी के साथ संधि.

इस प्रकार की घोषणाओं से सेना, मजदूर, कृषक सभी बोल्शेविकों के समर्थक बन गए. लेनिन ने शासन संबंधी सुधार करके रूस को समाजवादी सोवियत का लोकतांत्रिक देश बना डाला.

बोल्शेविक क्रांति से आप क्या समझते हैं?

बोलशेविक क्रांति का महत्व (Importance of Bolshevik Revolution)

फ्रांस की क्रांति के समान ही रूस की इस क्रांति ने संपूर्ण विश्व को प्रभावित किया.

  • रूस की 1917 ई. की क्रांति ने 300 वर्षों से चले आ रहे निरंकुश एवं प्रतिक्रियावादी शासन को हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया.
  • रूस में सर्वहारा वर्ग की सरकार की स्थापना हुई. इसने रूस में एक नये प्रकार का समाजवादी ढांचा तैयार किया.
  • रूस में स्थापित हुई साम्यवादी सरकार ने पूंजीवाद का घोर विरोध किया. नतीजतन रूस में उद्योगों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया. जमींदारों और पूंजीपतियों को समाप्त कर दिया गया. कृषकों को उनकी जरूरत के अनुसार भूमि प्रदान की गई. इस प्रकार एक नई आर्थिक नीति का आह्वान किया गया. इस संबंध वेन्स के शब्दों में ये कहा जा सकता है कि यह रूस का वह आर्थिक जीवन एक राज्य सामानता और सरकारी पूंजीवाद एक विलक्षण चित्र था.
  • रूस की क्रांति ने रूस में ही नहीं वरन संपूर्ण विश्व को प्रभावित किया. रूसी क्रांति का सबसे प्रथम परिणाम विश्व युद्ध से रूस का हाथ खींचना था, जिसका संबंध 3 मार्च 1918 ई. की ब्रेस्ट लिटोवस्क की संधि के रूप में लेख देखा जा सकता है. यद्यपि इस संधि से रूस को अत्यधिक अपमान सहन करना पड़ा, किंतु युद्ध से अलग होकर वह देश की आर्थिक व्यवस्था एवं पुनर्निर्माण की ओर ध्यान दें सका. रूस ने जिस नवीन पद्धति का कार्य किया उसे आज हम समाजवादी सोवियत गणतंत्र संघ के नाम से जानते हैं.
  • रूसी क्रांति के महत्वपूर्ण उपलब्धि लेनिन का उदय भी कहा जा सकता है जिसने रूस के भावी नीति को पूर्णतया एक नई दिशा दे दी. आज भी रूस में लेनिन का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है.

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