ब्रिटिश शासन का भारतीय संचार एवं परिवहन व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?

ब्रिटिश शासन का भारतीय संचार एवं परिवहन व्यवस्था पर प्रभाव 

ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से आई थी, लेकिन उसने भारत की तत्कालीन राजनीतिक दुर्दशा का फायदा उठाया और उसने भारत में अपनी राजनीतिक सत्ता स्थापित कर ली. इसी के साथ उसने भारत में अपने व्यापारिक और राजनीतिक स्थिति को दृढ़ता प्रदान करने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया. इसके लिए कंपनी ने अच्छे परिवहन और संचार प्रणाली स्थापित करने के लिए बड़े पैमाने पर काम करना शुरू कर दिया. इसके माध्यम से अंग्रेज व्यापारियों को आंतरिक भारत के नये बाज़ारों और ब्रिटिश साम्राज्य के द्वारा कब्ज़ा किये गये प्रदेशों के बाज़ारों तक पहुँचना आसान हो गया. अंग्रेजों ने इसके लिए मुख्य रूप से रेलमार्ग, सड़क मार्ग, बंदरगाहों के निर्माण और संचारपत्र तथा डाक सेवा के विस्तार पर ध्यान दिया.

ब्रिटिश शासन का भारतीय संचार एवं परिवहन व्यवस्था पर प्रभाव 

1. रेल मार्ग का निर्माण

अंग्रेजों ने देश के अंदर माल ढोने के लिए बड़े पैमाने पर रेलवे नेटवर्क बिछाना शुरू कर दिया. रेल नेटवर्क के माधयम से अंग्रेजों ने बड़े-बड़े महानगरों और औद्योगिक नगरों को एक-दूसरे से जोड़ा. इससे बड़े पैमाने पर माल एक महानगर से दूसरे महानगर तक आसानी से पहुंचना आरम्भ हो गया. इसके अलावा उन्होंने बंदरगाहों को भी रेलवे नेटवर्क से जोड़ा ताकि माल को बंदरगाहों तक आसानी से पहुचाये जा सके. इस क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देख्नते हुए ब्रिटिश बैंकरों और निवेशकों ने भी रेलवे के निर्माण में धन और सामग्री का बड़े पैमाने पर निवेश करना शुरू कर दिया. रेलवे के विस्तार होने से कम समय में ही अधिक सामानों को एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाना आसान हो गया.

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2. सड़क मार्ग का निर्माण

उस समय भारत में सडकों की स्थिति बहुत खराब थी. हर जगह रेलमार्ग के द्वारा माल पहुँचाना संभव नहीं था. अत: ईस्ट इंडिया कंपनी को बाजारों तक सामानों को पहुंचने में कठिनाइयां होने लगी. अतः उसने नए सड़क मार्गों का निर्माण करना शुरू कर दिया. उन्होंने सड़क मार्गों के द्वारा शहरों को एक-दूसरे से जोड़ा. इससे उनका माल सड़क मार्ग के माध्यम से नए बाजारों तक आसानी से पहुँचने लगा. इसके अलावा उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में भी सड़कों का जाल बिछाना शुरू किया. इससे उनका सामान ग्रामीण क्षेत्रों के आम जनता के बीच पहुंचना शुरू हो गया. इससे ईस्ट इंडिया कंपनी का व्यापार के कई गुना वृद्धि होती चली गई. इस प्रकार सड़क मार्गों के निर्माण होने से अंग्रेजों का व्यापार देश के कोने-कोने तक पहुँच गया.

ब्रिटिश शासन का भारतीय संचार एवं परिवहन व्यवस्था पर प्रभाव 

3. बंदरगाहों का निर्माण

अंग्रेजों ने बंदरगाहों का भी निर्माण करना शुरू कर दिया. इन बंदरगाहों के माध्यम से ही अंग्रेज बड़े बड़े पानी जहाजों के द्वारा भारत से कच्चा माल इंग्लॅण्ड ले जाते थे और इंग्लॅण्ड में बने माल भारत लाते थे। इसके अलावा अंग्रेजों ने इन बंदरगाहों का इस्तेमाल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए भी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. इससे अंग्रेजों को बड़े पैमाने पर आर्थिक लाभ होने लगा और उनका व्यापार दुनिआ के कोने-कोने तक फ़ैल गया.

4. डाक सेवा

भारत में डाक सेवा 1 अक्टूबर 1854 में गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी के द्वारा शुरू की गई थी. इसके माध्यम से काम समय में एक जगह से दूसरी जगह सन्देश पहुंचाया जाने लगा. डाक सेवा के माध्यम से लोगों का व्यापारिक संपर्क एक-दूसरे से तेजी से बढ़ने लगा. इससे व्यापारिक सम्बन्ध भी तेजी से बढ़ने लगा और व्यापार की उन्नत्ति तेजी से होने लगी.  

ब्रिटिश शासन का भारतीय संचार एवं परिवहन व्यवस्था पर प्रभाव 

5. समाचारपत्र

किसी भी देश की जनता के मन को नियंत्रण समाचार पत्रों के द्वारा आसानी की किया जा सकता है. इसी उदेश्य से 1684 ई में ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की. हालांकि भारत का पहला समाचार पत्र निकालने का श्रेय भी जेम्स ऑगस्टस हिकी नामक एक अंग्रेज को प्राप्त है. उसने वर्ष 1780 ई में ‘बंगाल गजट’ का प्रकाशन किया था. इस प्रकार भारत में समाचार पत्रों का इतिहास 232 वर्ष पुराना है. प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना होने से भारतीय जनता देश में होने वाली ख़बरों से अवगत होने लगी. यह संचार के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति थी क्योंकि बाद में भारतीयों ने भी अपनी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश के जनता के मन में राष्टप्रेम जगाने और स्वतंत्रता संग्राम के सन्देश जनता तक पहुँचाने के लिए बड़े पैमाने पर समाचार पत्रों का इस्तेमाल किया.

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