भक्ति आंदोलन के प्रभावों का वर्णन करें

भक्ति आंदोलन के प्रभाव (Effects of Bhakti Movement)

भक्ति आंदोलन का बहुत ही व्यापक प्रभाव मध्यकालीन समाज पर पड़ा. भक्ति आंदोलन के प्रभाव के कारण तत्कालीन समाज में बड़े-बड़े बदलाव देखने को मिला. लोग अपने धार्मिक कट्टरताओं को छोड़कर आपसी मेलमिलाप करने लगे थे. भक्ति आंदोलन के निम्न प्रभाव थे:-

भक्ति आंदोलन के प्रभाव

1. हिंदुओं की आशा एवं साहस का संचार

तत्कालीन हिंदू समाज ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र जैसे वर्णों में बंटे हुए थे. वे एक दूसरे को अछूत समझते हुए आपस में कोई संबंध नहीं रखते थे. नीची जातियों के लोग ब्राह्मणों की मनमानी से त्रस्त थे. वे ब्राह्मणों के बिना कोई धार्मिक क्रियाकलाप संपन्न नहीं कर सकते थे. इससे नीची जाति के लोगों के मन में धर्म के प्रति कोई रुचि नहीं रह गई थी. ऐसे में भक्ति आंदोलन की शुरुआत हुई तो हिंदुओं में उम्मीद की नई किरण जाग गई. उसमें नई साहस का संचार हुआ तथा समाज में नए बदलाव की उम्मीद रखते हुए भक्ति आंदोलन में जुड़ने लगे.

2. मुस्लिम शासकों के अत्याचार में कमी

भक्ति आंदोलन का प्रभाव ना केवल हिंदुओं पर बल्कि इसका प्रभाव मुसलमान पर भी पड़ा. भक्ति आंदोलन से पहले मुस्लिम शासक हिंदुओं पर बहुत अत्याचार करते थे, लेकिन भक्ति आंदोलन से जुड़े संतो के प्रभावशाली उपदेशों से मुस्लिम शासकों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा. इससे उनके द्वारा हिंदुओं पर किए जा रहे अत्याचारों में भारी कमी आई. भक्ति आंदोलन ने हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोगों के बीच एकता स्थापित किया. इससे समाज में आपसी प्रेम और सौहार्द स्थापित हुए.

भक्ति आंदोलन के प्रभाव

3. बाहरी आडंबरों में कमी

मध्यकालीन समाज के हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के समाज के बीच बाहरी आडंबर बड़े पैमाने पर विद्यमान थे. भक्ति आंदोलन के शुरू होने के पश्चात इन आंदोलन से जुड़े संतो के उपदेशों के प्रभाव में आकर हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोगों बाहरी आडंबर को त्याग कर सरल जीवन की ओर अग्रसर होने लगे. उन्होंने बाहरी आडंबर उनका त्याग किया और चरित्र की शुद्धता की ओर ध्यान देने लगे. इससे एक चरित्रवान समाज कि निर्माण होने लगा.

4. उदारता का संचार

भक्ति आंदोलन के संतो के उपदेशों के प्रभाव से मध्यकालीन समाज के हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोगों के मन में उदारता की प्रवृत्ति ने जन्म लिया. वे अब आपसी भेदभाव को छोड़कर प्रेम और सहिष्णुता अपनाने लगे. समाज में अब परस्पर प्रेम और मेल-मिलाप का वातावरण बनने लगा.

भक्ति आंदोलन के प्रभाव

5. संकीर्ण मानसिकता में कमी

तत्कालीन समाज में ऊंच-नीच छुआछूत जैसे संकीर्ण भावना बड़े पैमाने पर विद्यमान थे. इन संकीर्ण भावनाओं ने समाज को कई भागों में विभक्त कर रखा था. जिससे लोगों के आपसी प्रेम और संबंध काफी कमजोर हो गए थे. भक्ति आंदोलन के संतों ने इन ऊंच-नीच, छुआछूत जैसे भेद-भाव वाली संकीर्ण भावनाओं का घोर विरोध किया. नतीजतन तत्कालीन समाज में इस तरह की संकीर्ण मानसिकता में भारी कमी आई और लोगों के आपसी संबंध मजबूत होने लगे. लोग समाज में ऊंच-नीच की भावना को त्याग कर आपस में प्रेम और मेल-मिलाप से रहने शुरू कर दिए.

6. समाजिक सद्भावना का उदय

भक्ति आंदोलन के द्वारा समाज में प्रेम और सद्भावना का उदय हुआ. भक्ति आंदोलन के संतों के प्रेम  भरे वाणी के द्वारा लोगों में सामाजिक सद्भावना के विचार उत्पन्न होने लगे. इससे समाज में व्याप्त आपसी द्वेष, कलह, लड़ाई-झगड़ा जैसी भावनाएं खत्म होने लगी. लोग परस्पर मिलजुल कर लोग रहने लगे. दुख-तकलीफों में वे एक-दूसरे की निस्वार्थ भावना से मदद करने लगे.

भक्ति आंदोलन के प्रभाव

7. राष्ट्रीयता की भावना में वृद्धि

भक्ति आंदोलन के कारण जनसाधारण के मन में राष्ट्रीयता की भावना में वृद्धि होने लगी. इस भक्ति आंदोलन के परिणामस्वरूप लोगों में राष्ट्र प्रेम जगने से आगे चलकर महाराष्ट्र, पंजाब आदि स्थानों में बहुत से राष्ट्रीय आंदोलनों का जन्म हुआ. 

8. स्थानीय भाषाओं में साहित्यों की उत्पत्ति

भक्ति आंदोलन में स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता था.  इस के परिणामस्वरूप स्थानीय भाषाओं में बहुत से साहित्यों का प्रकाशन होना शुरू हुआ. इससे स्थानीय भाषाओं का काफी विकास हुआ. इन स्थानीय, भाषाओं में मुख्य रूप से हिंदी, मराठी, बंगाली पंजाबी आदि शामिल थे. स्थानीय भाषाओं साहित्यों के प्रकाशन होने से बड़ी संख्या में लोग इनका अध्ययन करने लगे जिससे ज्ञान का काफी प्रचार-प्रसार हुआ.भक्ति आंदोलन के प्रभाव

भक्ति आंदोलन ने मध्यकालीन भारतीय समाज के हिंदू और मुस्लिम धर्म के अनुयायियों को एक-दूसरे के निकट लाने में बहुत बड़ा भूमिका निभाया. इसके अलावा समाज में व्याप्त विभिन्न प्रकार की कुरीतियां जैसे कि छुआछूत, ऊंच-नीच जैसे भावनाओं को समाप्त किया. ऐसा माना जाता है कि इसी आंदोलन के प्रभाव से आकर अकबर ने सहिष्णु की नीति का अनुसरण किया.

इन्हें भी पढ़ें:

Note:- इतिहास से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल रहे हैं तो कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करें. आपके प्रश्नों के उत्तर यथासंभव उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी.

अगर आपको हमारे वेबसाइट से कोई फायदा पहुँच रहा हो तो कृपया कमेंट और अपने दोस्तों को शेयर करके हमारा हौसला बढ़ाएं ताकि हम और अधिक आपके लिए काम कर सकें.  

धन्यवाद.

1 thought on “भक्ति आंदोलन के प्रभावों का वर्णन करें”

Leave a Comment

Telegram
WhatsApp
FbMessenger