भक्ति आंदोलन के प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें

भक्ति आंदोलन (Bhakti Movement)

मध्यकाल में भक्ति आंदोलन का प्रचार-प्रसार बहुत ही व्यापक और प्रभावशाली रूप से हुआ. इसका प्रमुख कारण यह था कि इसका स्वरूप अत्यंत सरल था. साधारण और गरीब भी इसका सरलतापूर्वक पालन कर सकता था.

भक्ति आंदोलन के प्रमुख विशेषताएं

भक्ति आंदोलन के प्रमुख विशेषताएं (Main features of Bhakti movement)

1. सरल एवं आडम्बरहीन स्वरूप

भक्ति आंदोलन का स्वरूप अत्यंत सरल एवं आडम्बरहीन था. इसका पालन करना अत्यंत ही सरल था. मध्यकाल में लोग ब्राहमण धर्म की जटिलताओं से परेशान हो चुके थे. ऐसे में भक्ति आंदोलन का उत्पति हुआ. इसी क सरलता को देखकर बड़ी संख्या में लोगों का झुकाव इस ओर होने लगा. भक्ति आंदोलन में किसी भी प्रकार के अंधविश्वासों तथा कर्मकांडों का कोई स्थान नहीं था. भक्ति आंदोलन का आधार सरल रूप से ईश्वर के प्रति प्रेम तथा सच्चे हृदय से उसकी भक्ति करना था.

भक्ति आंदोलन के प्रमुख विशेषताएं

2. मूर्ति पूजा का विरोध

भक्ति आंदोलन में मूर्ति पूजा की कोई स्थान नहीं था. इसका मुख्य कारण भक्ति आंदोलन के संतों ने मूर्ति पूजा में कोई रुचि नहीं दिखाई. कबीर जैसे संतों ने भी मूर्ति पूजा का सख्त विरोध किया. अत: भक्ति आंदोलन में मूर्ति पूजा को जगह नहीं दी गई. यह भक्ति आंदोलन की दूसरी सबसे बड़ी विशेषता थी.

3. एक ईश्वर पर विश्वास

भक्ति आंदोलन में भाग लेने वाले संत विभिन्न देवी-देवताओं की उपासना करने के बदले केवल एक ईश्वर पर विश्वास करते थे. प्रत्येक संत व्यक्तिगत तौर पर कोई राम की उपासना करता था तो कोई कृष्ण की, लेकिन सब का मुख्य उद्देश्य केवल सर्वशक्तिमान ईश्वर की उपासना करना मात्र था. वे एक साथ अनेक देवी-देवताओं का उपासना नहीं करते थे.

भक्ति आंदोलन के प्रमुख विशेषताएं

4. जात-पात का विरोध

भक्ति आंदोलन में भाग लेने वाले संत जात-पात की भेदभाव का विरोध करते थे. वे लोगों को ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय और शुद्र मानने के बजाय प्रत्येक मनुष्य को एक ही दृष्टि से देखते थे. उनके अनुसार भगवान की शरण में आने के बाद मनुष्य-मनुष्य में कोई भेद नहीं रह जाता है. चैतन्य, रामानंद, नामदेव जैसे बहुत से संतों ने समाज में अछूत समझे जाने वाले लोगों को अपना शिष्य बनाकर उदाहरण पेश किए.

भक्ति आंदोलन के प्रमुख विशेषताएं

5. हिंदू-मुस्लिम एकता पर बल

भक्ति आंदोलन के संतों में हिंदू मुस्लिम एकता पर विशेष बल दिया. कबीर जैसे संतों ने बुराइयों के कारण हिंदुओं की आलोचना की तो मुसलमानों को भी नहीं छोड़ा. उन्होंने हिंदू और मुसलमानों के बीच बढ़ती कटुता को समाप्त करने के लिए दोनों की आलोचना की. उनके शिष्य हिंदू और मुसलमान दोनों थे. गुरू नानक और रैदास जैसे संतों ने भी हिंदू मुस्लिम एकता पर बहुत जोर दिया. चैतन्य तथा नामदेव के शिष्यों में हिंदू-मुस्लिम दोनों शामिल थे. गुरु नानक भक्ति काल के बहुत से प्रभावशाली कवियों  ने अपनी कविताओं के माध्यम से हिंदू-मुस्लिम एकता की भावना को मजबूत करने का कार्य किया.

भक्ति आंदोलन के प्रमुख विशेषताएं

6. जनभाषा का प्रयोग

भक्ति मन आंदोलन की एक और प्रमुख विशेषता यह थी कि इस आंदोलन में जन भाषा का प्रयोग किया गया. इसके कारण आंदोलन के सिद्धांतों का बहुत ही प्रभावशाली और व्यापक रूप से प्रचार हुआ. कबीर तथा नामदेव जैसे संतों ने हिंदी में, गुरु नानक ने पंजाबी में, मीरा ने राजस्थानी में काव्य की रचना की थी. इस कारण लोगों तक भक्ति आंदोलन के सिद्धांत आसानी से पहुंचने लगे. अपनी भाषा में संदेशों को पढ़ने के कारण लोगों में उत्सुकता और भी बढ़ गई और लोग इसमें रुचि लेने लगे. नतीजतन भक्ति आंदोलन का प्रचार-प्रसार व्यापक रूप से हुआ.

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7. सन्यास का विरोध

भक्ति आंदोलन के संत विभिन्न प्रकार के कर्मकांड तथा आडंबरों के सख्त खिलाफ थे, लेकिन साथ ही सन्यास लेने के पक्ष में भी नहीं थे. उनका मानना है कि ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा रखने वाला व्यक्ति को संन्यास लेने की जरूरत नहीं है. वह गृहस्थ में रहकर भी ईश्वर को प्राप्त कर सकता है. अतः उनके अनुसार ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सन्यास ग्रहण करना आवश्यक नहीं था.

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