भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने वाले प्रमुख स्रोतों वर्णन कीजिए

भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने वाले प्रमुख स्रोत

किसी भी देश के प्राचीन इतिहास को जानने के लिए कई स्त्रोत होते हैं. उसी प्रकार भारत के प्राचीन भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने वाले कई स्रोत हैं. इन स्रोतों में साहित्यिक स्रोत और पुरातात्विक स्रोत दोनों प्रकार के स्रोत हैं.

भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने वाले प्रमुख स्रोत

साहित्यिक स्रोत

साहित्यिक स्रोतों में विभिन्न लेखकों के द्वारा लिखे गए अनेक ग्रंथ और साहित्य आते हैं. इन ग्रंथों और साहित्यों को अध्ययन की सुविधा की दृष्टिकोण से इनको धार्मिक तथा धर्मनिरपेक्ष साहित्य के रूप में वर्गीकृत करते हैं.

1. धार्मिक साहित्य

धार्मिक साहित्य को भी अध्ययन में सुविधा के दृष्टिकोण से तीन भागों में बांटा गया  हैं- ब्राह्मण ग्रंथ, जैन ग्रंथ तथा बौद्ध ग्रंथ.

ब्राह्मण ग्रंथ-ब्राह्मण ग्रंथों में वेद, उपनिषद, वेदांग, स्मृति, महाकाव्य, पुराण आदि आते हैं. वेदों का भारतीय संस्कृत में बहुत बड़ा महत्व है. वेद चार हैं-ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद. इनमें ॠगवेद सबसे प्राचीन है. इन सब का ऐतिहासिक रूप से बहुत बड़ा महत्व है. इन में आर्यों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है. वेदांग 6 है- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद एवं ज्योतिष. इन से तत्कालीन समाज एवं धर्म पर विस्तृत प्रकाश पड़ता है. महाकाव्य दो है- रामायण और महाभारत. इन से तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक दशा पर प्रकाश पड़ता है. पुराणों की संख्या 18 है. इनसे भारत के प्राचीन इतिहास पर व्यापक प्रकाश पड़ता है.

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जैन ग्रंथ- जैन साहित्य भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि है. जैन धर्म के साहित्य की रचना मुख्य रूप से प्राकृत भाषा में की गई. प्राकृत भाषा में रचित जैन साहित्य में अंग, उपांग, पैन, मूलसुत्त, नंदीसुत्त तथा छायसुत्त आदि प्रमुख हैं. दक्षिण भारत में भी जैन धर्म के प्रचार के लिए तमिल, तेलुगू, कन्नड़ जैसे दक्षिण भारतीय भाषा में जैन साहित्य की रचना की गई. जैन विद्यालय में धार्मिक साहित्य के अलावा व्याकरण, काव्य और गणित जैसे विषयों पर भी बहुत से ग्रंथों की रचना की गई. इस प्रकार जैन धर्म में भी साहित्यिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जैन साहित्य भारतीय इतिहास को जानने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्रोत है.

बौद्ध ग्रंथ- बौद्ध ग्रंथों से भी भारत के प्राचीन इतिहास पर प्रकाश पड़ता है. बौद्ध ग्रंथों में जातक, पीटक और अन्य ग्रंथ है. पिटक तीन हैं- विनय पिटक, सूत्र पिटक अभिधम्म पिटक. इनमें महात्मा बुद्ध के उपदेशों का संकलन है. जातक में महात्मा बुध के पूर्व जन्मों का विवरण कथाओं के रूप में वर्णित है. इन सभी से तत्कालीन भारतीय समाज के राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति पर प्रकाश पड़ता है. जैन ग्रंथों में भद्रबाहु रचित, परिशिष्ट पर्व और कथाकोष आदि है. इनसे भी भारत के विभिन्न गणराज्यों एवं राजतंत्रों पर व्यापक प्रकाश पड़ता है.

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2. धर्मनिरपेक्ष साहित्य

धर्मनिरपेक्ष साहित्य साहित्य ऐसे ग्रंथ और रचना है जो किसी धर्म से सीधा संपर्क नहीं रखते. इन को दो भागों में विभाजित किया जाता है. कल्पना प्रधान और लोक साहित्य तथा विदेशी यात्रियों का वृत्तांत. 

कल्पना प्रधान और लोक साहित्य लोक साहित्य में अर्थशास्त्र, मुद्राराक्षस, कालिदास की रचनाएं, हर्षचरित, महाभाष्य, गार्गी संहिता, राज तरंगिणी, पृथ्वीराज रासो आदि साहित्य  हैं. अर्थशास्त्र चाणक्य द्वारा ईसा पूर्व  चौथी शताब्दी में रचना की गई. इससे तत्कालीन शासन व्यवस्था पर व्यापक प्रकाश पड़ता है. इस ग्रंथ से मौर्य काल के विषय में विस्तृत जानकारी मिलती है. मुद्राराक्षस की रचना विशाखदत्त ने की थी. इनमें राजा नंद के पतन और चंद्रगुप्त को राजा बनाए जाने का उल्लेख है. कालिदास की रचनाओं में पुष्यमित्र और यवनों  के बीच युद्ध का उल्लेख है. इस प्रकार अन्य ग्रंथों से भारत के प्राचीन इतिहास के बारे में ऐतिहासिक जानकारी मिलती है.

विदेशी यात्रियों का वृत्तांत- प्राचीन काल से ही बहुत से विदेशी यात्री और लेखक भारत की यात्रा करते आ रहे थे. उन्होंने अपनी यात्रा वृतांतों में भारत के ऐतिहासिक, राजनीतिक, संस्कृति और धार्मिक दशा का उल्लेख किया है. इन विदेशी यात्रियों में मुख्य रूप से यूनानी, चीनी, तिब्बती और मुसलमान है. यूनानी लेखक हेरोडोटस सबसे प्राचीनतम लेखक है. उसने तत्कालीन भारतीय राजनीति पर व्यापक प्रकाश डाला है. चीनी यात्रियों में फाह्यान, ह्वेनसांग, इतसिंग आदि प्रमुख हैं. इसके अलावा तिब्बत यात्रा यात्री तारानाथ तथा अलबरूनी जैसे मुसलमान यात्रियों  के द्वारा लिखे गए किताब भारतीय इतिहास पर बहुत ही महत्वपूर्ण प्रकाश डालता है.

पुरातात्विक स्रोत

प्राचीन भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने के लिए पुरातात्विक स्रोतों का भी बहुत बड़ा महत्व है. पुरातात्विक स्रोत साहित्यिक स्रोतों की तुलना में अधिक प्रमाणित माने जाते हैं क्योंकि वक्त के साथ इन पर फेरबदल करना असंभव होता है. पुरातत्व पुरातात्विक स्रोतों में मुख्य रूप से अभिलेख, स्मारक, मुद्राएं, कलाकृतियां एवं मिट्टी के बर्तन आते हैं. यह सभी पुरातात्विक स्रोत भारत के विभिन्न स्थानों पर किए गए उत्खनन के परिणाम स्वरूप प्राप्त हुए हैं.

भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने वाले प्रमुख स्रोत

अभिलेख- अभिलेख प्राचीन भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने वाले सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है. इन पर लिखें लेखों से लेखन से हमें तत्कालीन भारतीय शासकों, राज्यों, किसी राज्य की सीमा का विस्तार, राजा के चरित्र, व्यक्तित्व, धार्मिक एवं सामाजिक स्थिति आदि के बारे में जानकारी मिलती है. अभिलेख मुख्य रूप से शिलाओं, स्तंभों, धातु-पत्रों, मंदिर की दीवारों आदि पर लिखे मिलते हैं. प्राचीन भारत पर प्रकाश डालने वाले अभिलेख मुख्य रूप से पाली प्राकृत और संस्कृत भाषा में लिखे मिलते हैं. इसके अलावा कुछ अभिलेख तमिल मलयालम कन्नड़ तेलुगू आदि भाषाओं में भी लिखे मिलते हैं. अधिकांश अभिलेखों की लिपि ब्राह्मी लिपि है. यह लिपि बाएं से दाएं की ओर लिखी जाती है. कुछ अभिलेख खरोष्ठी लिपि में भी मिले हैं. इसके अलावा कुछ विदेशी अभिलेखों से भी भारत के इतिहास पर व्यापक प्रकाश पड़ता है. एशिया माइनर में बोगाज़कोई का अभिलेख इनमें से प्रमुख है.

भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने वाले प्रमुख स्रोत

स्मारक- स्मारकों में प्राचीन भवन उन मूर्तियों, भग्नावेशों आदि का बहुत बड़ा महत्व है. इनसे तत्कालीन अध्यात्म धर्म अब कला के बारे में जानकारी मिलती है. मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में हुए उत्खनन से हमें प्राचीन सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में पता चला.

मुद्राएं- मुद्राओं से हमें तत्कालीन राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक स्थिति एवं कला पर भी प्रकाश पड़ता है. इन मुद्राओं पर अंकित तिथि, राजा का नाम, उन पर उत्कीर्ण चित्रों से हमें तत्कालीन समाज के बारे में जानकारी मिलती है. इन सिक्कों के प्राप्त स्थान से हमें राज्य की विस्तार के बारे में भी जानकारी मिलती है. भारतीय मुद्राओं के विदेशों  से प्राप्त होने से हमें भारत का विदेशों से व्यापारिक संबंध के बारे में भी हमें जानकारी मिलती है.

भारतीय इतिहास पर प्रकाश डालने वाले प्रमुख स्रोत

कलाकृतियां एवं मिट्टी- इसके अलावा विभिन्न कलाकृतियां तथा मिट्टी के बर्तन हमें उत्खनन के द्वारा प्राप्त हुए हैं. इन पर अंकित कलाकृतियां तत्कालीन धर्म, सामाजिक स्थिति, लोक कला आदि के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है.

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