भारत पर तैमूर के आक्रमण
तैमूर 33 वर्ष की आयु में समरकंद की सिहांसन पर बैठा. वह अत्यंत महत्वाकांक्षी व्यक्ति था. उसने फारस, मेसोपोटामिया और अफगानिस्तान पर अधिकार कर दिया. उसके बाद उसने भारत पर भी आक्रमण कर दिया. तैमूर का आक्रमण भारत के लिए अत्यंत विनाशकारी सिद्ध हुआ. यद्यपि तैमूर का मुख्य उद्देश्य हिंदुओं का नाश करना तथा धन संपत्ति लूटना था लेकिन इससे मुसलमानों को भी अत्यधिक हानि हुई.
भारत पर तैमूर के आक्रमण के प्रभाव
1. अपार जनधन की हानि
तैमूर ने आक्रमण करके हिंदुस्तान की जनता को बुरी तरह लूटा और लाखों व्यक्तियों को मौत के घाट उतार दिया. जिस समय तैमूर भारत से लौटा. उस समय समस्त उत्तरी भारत में घोर दुःख एवं अराजकता का माहौल था. तैमूर की सेना ने सिंध से दिल्ली तक के सड़क के दोनों किनारों पर लगी हुई खड़ी फसल पूरी तरह नष्ट कर दी. उन्होंने लोगों के अन्न भंडारों को लूटा और बर्बाद कर दिया. दिल्ली नगरी को पूरी तरह उजाड़ दी गई. दिल्ली की की स्थिति ऐसे हो गई थी जैसे किसी घर का देखभाल करनेवाला कोई स्वामी न हो. नगर में खाने-पीने तथा रोजमर्रा वस्तुओं का भारी अभाव हो गया था. दिल्ली के चारों ओर अकाल पड़ गया. बदायूनी ने लिखा है कि जो लोग इस हमले से बचे थे, वे भूख-प्यास से मर गए. 2 माह तक दिल्ली में किसी पक्षी ने भी पर तक नहीं मारा.
2. हिन्दू-मुस्लिम भेदभाव में वृद्धि
तैमूर गैर मुस्लिमों से काफी नफरत करता था. अत: वह हिन्दुओं को पूरी तरह नाश करना चाहता था. इसी कारण आक्रमणकारियों ने हिंदुओं पर भीषण अत्याचार किए और लाखों हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया. बड़ी संख्या में हिन्दुओं के मंदिरों को तोड़ डाला गया. इससे हिंदू लोग मुस्लिमों से नफरत करने लगे. तैमूर के इस अभियान के कारण फिर से हिंदू-मुस्लिम के बीच पहले से चले आ रहे नफरत की भावना को काफी बढ़ावा मिला.
3. तुगलक वंश का पतन
तैमूर के आक्रमण से पहले ही दिल्ली सल्तनत टूट कर टुकड़े-टुकड़े हो गई थी. अब दिल्ली सल्तनत राजधानी के आसपास तक ही सीमित रह कर एक छोटा सा राज्य बच गया था. सुल्तान नसीरुद्दीन महमूद प्राणों की रक्षा हेतु वहां से भाग गया था और 3 माह तक उसका का पता नहीं था. इसका फायदा उठा कर नुसरत शाह ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया, लेकिन महमूद के प्रधानमंत्री मल्लू ने उसे भगाकर महमूद को पुनः गद्दी पर बैठाया. अतः मल्लू सर्वे-सर्वा बन गया और सुल्तान महमूद उसके हाथ की कठपुतली हो गया. इकबाल एक विद्रोह दबाने पंजाब की ओर गया. वहां तैमूर के प्रतिनिधि खिज्रखां ने उसको मार डाला. 1413 ई. में महमूद की मृत्यु हो गई. महमूद की मृत्यु होते ही खिज्रखां ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया और 28 मई 1414 ई. को स्वयं को दिल्ली के सुल्तान घोषित करके सैयद वंश की नींव डाली.
4. भारतीय कला की क्षति
तैमूर के भारत पर आक्रमण करने से जानमाल की भारी नुकसान के साथ-साथ भारतीय कला को काफी नुकसान पहुंचा. तैमूर की सेना ने न केवल धनसंपदा को लूटा बल्कि यहां स्थित भव्य भवनों और मंदिरों को भी नष्ट कर दिया. इससे भारतीय कला कुमार भारी क्षति पहुंची.
5. भारतीय कला का प्रचार
तैमूर ने जब भारत पर आक्रमण किया. तो यहाँ के भवनों और मंदिरों की भव्यता और ख़ूबसूरती को देखकर उनसे प्रभावित हुए नहीं रह सका. अत: उसने भारत से अनेक शिल्पीकारों को अपने साथ गुलाम बना कर ले गया. उन गुलाम शिल्पीकारों से तैमूर ने मध्य एशिया में अनेक भवनों एवं मस्जिदों का निर्माण करवाया. इससे विदेशों में भारतीय कला का भी प्रचार हुआ.
6. बाबर को भारत पर हमले की प्रेरणा
तैमूर के आक्रमण के कारण ही बाबर को भारत पर आक्रमण करने की प्रेरणा मिली. बाबर, तैमूर का ही वंश था. भारत अभियान के प्रथम चरण में तैमूर ने पंजाब पर आक्रमण कर वहां अपना एक प्रतिनिधि नियुक्त किया था. अत: तैमूर के वंश के होने के नाते बाबर पंजाब पर अपना हक समझता था. यही कारण उसने भारत पर आक्रमण किया. भारत में बाबर ने भारत पर आक्रमण करके उसने भारत में मुगल साम्राज्य की नींव डाली.
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