मंचूरिया संकट के कारण
मंचूरिया पर कब्जे को लेकर चीन और जापान के बीच हुए संघर्ष को मंचूरिया संकट कहा जाता है. मंचूरिया संकट के कारण विश्व के अन्य शक्तियां सकते में थी. मंचूरिया संकट विश्व इतिहास की एक बहुत बड़ी घटना थी.
1. जापानी साम्राज्यवाद का पुनरूद्भव
मंचूरिया संकट का सबसे प्रमुख कारण जापान में साम्राज्यवाद का पुनरुद्भव था. 1928 से ही जापान में सैन्यवादी प्रवृत्तियों ने सिर उठाना आरंभ कर दिया था. उन्होंने जापान में सैन्य शासन की स्थापना करने की दिशा में कार्य करना शुरू कर दिया. उनके इस अभियान को जापान के पूंजीपति वर्ग ने सहयोग करना आरंभ कर दिया. अतः जापान की शासन नीति में सैन्यवादी प्रवृत्तियां हावी होती चली गई. इसके बाद जापान के प्रधानमंत्री तनाका ने भी सैन्यवाद से प्रेरित होकर उनका समर्थन करते हुए एक महत्वपूर्ण तनाका स्मार पत्र प्रकाशित कर दिया. इस पत्र में उसने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि विश्व विजय के लिए सर्वप्रथम एशिया की विजय आवश्यक है, एशिया पर विजय के लिए चीन की विजय आवश्यक है, चीन की विजय के लिए मंचूरिया विजय एवं मंचूरिया विजय के लिए कोरिया की विजय आवश्यक है. अतः इस बात से स्पष्ट था कि उन्होंने अपने लिए मंचूरिया पर जीत हासिल करना आवश्यक घोषित कर दिया था.
2. मंचूरिया में जापानी हित
1894 ई. से ही जापान मंचूरिया पर अपनी नजर गड़ाए हुए था. इसका मुख्य कारण मंचूरिया का तेल तथा इंधन जैसे प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होना था. जापान के बढ़ते औद्योगीकरण एवं साम्राज्यवाद के लिए उन्हें तेल, कोयला तथा अन्य ऊर्जा के स्रोतों की काफी जरूरत महसूस हो रही थी. इसके अतिरिक्त जापान की जनसंख्या काफी तेजी से बढ़ रही थी. उनकी जरूरत को पूरा करने के लिए कच्चे मिल की भी आवश्यकता थी. इसके अलावा जापान को अपना माल खपाने के लिए बाजार की आवश्यकता थी. मंचूरिया उनकी जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकती थी. अतः वह किसी भी हालत में मंचूरिया पर अपना कब्जा करना चाहता था.
3. कोरियाईयों का प्रश्न
मंचूरिया प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होने के साथ-साथ कृषि की दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्व क्षेत्र था. अत: इसे देखकर बहुत से कोरियाई मंचूरिया आकर बसने लगे थे. 1910 ई. में जापान ने कोरिया में अपना प्रांत बना लिया था तथा यहां की प्रजा जापानी कही जाने लगी थी. इन्हीं कोरियाई नागरिकों में से लगभग 8 लाख कोरियाई नागरिक मंचूरिया में बस गए थे. इन्होंने मंचूरिया में जमीनें खरीदनी आरंभ कर दी. इस पर चीनी सरकार को मंचूरिया पर जापानी प्रभाव के बढ़ जाने का भय सताने लगा. अत: चीन इन कोरियाई नागरिकों का विरोध करने लगा, जिससे मंचूरिया में इन कोरियाई नागरिकों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ा. इस वजह से चीन और जापान के बीच तनाव उत्पन्न होने लगे.
4. चीन की राजनीति
मंचूरिया पर चीन का अधिकार होने के कारण चीन इसे हमेशा अपने एक प्रांत के रूप में मानता था. चीन की सरकार ने मंचूरिया के सूबेदार से समझौता कर मंचूरिया पर अपना स्थाई रूप से अधिपत्य स्थापित करने में भी सफलता प्राप्त कर ली थी. इन सब के कारण मंचूरिया से विदेशी शक्तियों को अपने कुछ पट्टे के अधिकारों को छोड़ना पड़ा था. जापान को भी चीन में अपने कुछ पट्टे के अधिकारों को छोड़ना पड़ा था. चीन के इस प्रकार के उग्र राजनीति के कारण जापान के कान खड़े हो गए. अत: रणनीति रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण क्षेत्र मंचूरिया पर जापान अपना अधिकार स्थापित करने के लिए उतावला हो उठा.
5. साम्यवाद का डर
डॉक्टर सुनायात सेन की मृत्यु के बाद चीन और रूस के संबंधों में खटास उत्पन्न हो गई. मंचूरिया में रूस के प्रभाव को कम करने के लिए चीन की च्यांग-काई-शेक की सरकार ने जो नीति अपनाई थी, उससे नाराज होकर उसने मंचूरिया पर आक्रमण कर दिया और उसने चीन को रूसी-चीनी संधि करने के लिए बाध्य किया. इस संधि के बाद मंचूरिया में रूस के प्रभाव में वृद्धि हो गई. मंचूरिया पर रूस की लोकप्रियता बढ़ता देखकर जापान चिंता में पड़ गया. उसे लगने लगा कि यदि समय रहते कोई उचित कदम ना उठाया जाए तो मंचूरिया रूस के नियंत्रण में आ जाएगा. अतः उसने मंचूरिया पर हमले करने की योजना बनाने लगा.
6. नाकामुरा की हत्या
नाकामुरा एक जापानी कप्तान था. जून 1921 में कुछ चीनियों ने मंचूरिया में उसकी हत्या कर दी. जापान ने इस हत्या के लिए चीन से क्षतिपूर्ति की मांग की और अपराधी को दंडित करने के लिए चीन के अधिकारियों को कहा. चीन ने जापान की मांग यह कहकर ठुकरा दिया कि नाकामुरा मंचूरिया में जासूसी कर रहा था. इसके बाद जापान में घोर प्रतिक्रिया हुई और जापानी सैन्यवादियो ने तुरंत युद्ध करने की मांग की. जापान भी मंचूरिया पर आक्रमण करने का बहाना खोज रहा था. अतः उसे इस मंचूरिया पर हमला करने के लिए इससे अच्छा मौका नजर नहीं आया. अतः उसने पूरी तैयारी के साथ मंचूरिया पर आक्रमण कर दिया. इसीलिए के साथ मंचूरिया संकट आरंभ हो गया.
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