मगध के उत्कर्ष
ई.पू. छठी शताब्दी में भारत में 16 महाजनपद हुआ करते थे. आज हम इन्हें राज्य कहते हैं. इन 16 महाजनपदों में से अवन्ति, वत्स, कोशल और मगध प्रमुख महाजनपद थे. इन महाजनपदों में से मगध धीरे-धीरे एक शक्तिशाली जनपद के रूप में उभरता चला गया.
मगध के उत्कर्ष के कारण
1. भौगोलिक स्थिति
मगध के उत्कर्ष में उसकी भौगोलिक स्थिति का बहुत बड़ा योगदान था. मगध साम्राज्य चारों ओर से घने जंगलों, नदी घाटियों से घिरा हुआ था. मगध की प्राचीन राजधानी राजगृह साथ पहाड़ियों से घिरी हुई थी. ऐसे में शत्रु के लिए मगध की राजधानी पर हमला करके जीतना लगभग नामुमकिन था. इसके बाद उनकी राजधानी पाटलिपुत्र बनी. राजधानी पाटलिपुत्र भी भी गंगा और सोन नदी के संगम पर स्थित होने के कारण सुरक्षित थी. इसके अलावा ये संपूर्ण उत्तर भारत के व्यापार की एक बहुत बड़ा केन्द्र भी थी. जिसके कारण मगध के व्यापार में काफी वृद्धि हुई.
2. प्रकृतिक संसाधन
मगध चारों ओर से जंगलों से घिरा हुआ था. जंगलों में उपलब्ध लकड़ी मकान, शस्त्र और विभिन्न प्रकार के हथियार बनाने में काफी सहायक सिद्ध हुए. इसके अलावा मगध के जंगलों में लोहा और तांबे की प्रचुर मात्रा में उपलब्ध थी. इससे मगध अपनी सेना के लिए उम्दा किस्म की हथियार बनाए. गंगा के तटीय क्षेत्रों के समतल मैदानों की भूमि काफी उपजाऊ हुआ करती थी जिसकी वजह से प्रचुर मात्रा में कृषि उत्पादन होने लगा. प्रचुर मात्रा में कृषि उत्पादन होने के कारण इसने मगध की आर्थिक संपन्नता में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इससे मगध की राजकीय आय में काफी वृद्धि हुई. मगध के जंगलों में हाथी भी पाए जाते थे. मगध के शासकों ने अपनी सेना में हाथियों का उपयोग करना शुरू किया जिसके कारण वह अपने शत्रुओं पर अपनी बढ़त बनाए रखें.
3. आर्थिक कारण
मगध राज्य उत्तर भारत का सबसे बड़ा व्यवसायिक केंद्र था. इसलिए मगध राज्य में व्यापार काफी फलता-फूलता चला गया. इससे मगध की काफी आर्थिक उन्नति होती गई. इसके अलावा मगध के शासक राज्य के कृषकों, मजदूरों और व्यापारियों पर कर लगाएं. इससे मगध की राज की आय में काफी वृद्धि होती चली गई. इस धन से मगध के शासक बिंबिसार ने अपनी स्थायी और शक्तिशाली सेना का गठन किया. इससे पहले मगध के पास स्थायी सेना नहीं थी.
4. शक्तिशाली राजवंश
मगध साम्राज्य में एक के बाद एक शक्तिशाली राज्य वंशों ने शासन किया. हर राजवंश के शासकों ने अपनी योग्यता काबिलियत से मगध साम्राज्य को उत्थान के मार्ग पर अग्रसर किया. बिंबिसार और अजातशत्रु के समय मगध साम्राज्य की नींव पड़ी. इन्होंने एक बड़े साम्राज्य के निर्माण की प्रेरणा पार्शिया साम्राज्य से प्राप्त की. पर्शिया के महान शासक साइरस ने बिंबिसार से केवल 16 वर्ष पहले पार्शिया को संसार के महानतम साम्राज्यों के के रूप में स्थापित करने में सफलता प्राप्त की. अजातशत्रु के बाद शिशुनाग वंश ने भी राज्य को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया. इसके बाद नंद वंश के शासकों ने मगध को भारत के प्रथम विशाल साम्राज्य के रूप में स्थापित किया.
5. सांस्कृतिक कारण
मगध साम्राज्य में आर्य और अनार्यों की सभ्यता का अद्भुत मिश्रण हुआ. जिसके कारण वहां उदारता और समन्वय का वातावरण बना रहा. तत्कालीन मगध साम्राज्य में ब्राह्मण और शूद्र आपस में मिल सकते थे. क्षत्रिय शूद्र कन्याओं को अपने रानीवास में रख सकते थे. एक नई राज्य में सम्मान प्राप्त करने की आकांक्षा रख सकता था. इसी उदारता के वातावरण के कारण मगध में बौद्ध और जैन धर्म का उत्थान हुआ. आर्य और अनार्य के मिश्रण से परिपूर्ण मगध के युद्ध प्रेमी निवासियों ने महात्मा बुद्ध और महावीर जैन के अहिंसा के विचारों को सुना. इसे कारण मगध एक महान साम्राज्य के रूप में उभरने लगा.
6. मगध की राष्ट्रीय शासन व्यवस्था
मगध की शासन व्यवस्था में राजा का पैतृक अधिकार था. इसकी वजह से राजा को अपनी शक्ति को विस्तार करने में सहायता मिली. इस राजतंत्र व्यवस्था के कारण राजा के अधिकारों में वृद्धि हुई. पहले जब कबायली व्यवस्था हुआ करता था, तब राजा और उसके अधिकारियों को लूटे हुए धन से ही कुछ भाग मिलता था. राजतंत्र शासन व्यवस्था स्थापित होने के बाद उन्होंने कृषि, उद्योग, व्यापार तथा अन्य स्थानों से कर वसूल करना शुरू कर दिया. इससे राजकीय आय में काफी वृद्ध हुई. इसकी वजह से साम्राज्य की आर्थिक संपन्नता बढ़ती चली गई. आर्थिक संपन्नता में वृद्धि होने के कारण राजा अपनी स्थायी सेना रखने में समर्थ हुए. इससे उसकी सैन्य शक्ति में काफी वृद्धि हुई. बिंबिसार पहला शासक था जो मगध की आर्थिक संपन्नता का लाभ उठाकर एक स्थायी सेना का गठन करने में सफल हो पाया. उसने इसी सेना के बल पर मगध साम्राज्य को उत्थान करने में सफलता प्राप्त की.
इस प्रकार हम पाते हैं कि मगध साम्राज्य के उत्कर्ष के लिए विभिन्न परिस्थितियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ऐसी परिस्थितियां अन्य जनपदों में नहीं थी, जिसके कारण मगध के समानांतर विकास नहीं कर पाई.
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