मनसबदारी प्रथा क्या थी? मनसबदारी व्यवस्था के गुण और दोषों का वर्णन करें

मनसबदारी व्यवस्था

मनसबदारी प्रथा मुगल कालीन प्रसाशनिक व्यवस्था की एक विशिष्ट व्यवस्था थी. मनसब एक अरबी शब्‍द है. इसका अर्थ है पद या स्थान.  इस शब्द के द्वारा किसी व्यक्ति का प्रशासन में पद या स्‍थान का पता चलता है. मनसब का मुख्य उद्देश्‍य पद की श्रेष्‍ठता का निर्धारण तथा वेतन दर वर्गीकरण करना था. मुगल कालीन प्रशासन की व्यवस्था के अध्ययन करने पर यह पता चलता है कि लगभग शासन के सभी उच्च अधिकारियों को मनसब प्राप्त था.

मनसबदारी व्यवस्था के गुण

मनसबदारी व्यवस्था प्रणाली के द्वारा मुगलकालीन शासन में अनेक लाभ हुए, जो कि निम्न प्रकार से हैं:

  • मनसबदारों का भविष्य सम्राट के हाथों में निहित था. यही कारण वे अपने सम्राट के प्रति स्वामिभक्त होते थे. इस प्रकार सम्राटों को बड़ी संख्या में निष्ठावान और स्वामिभक्त अधिकारी मिल जाते थे.
  • मनसबदारी व्यवस्था प्रणाली के शासन में निरंतर जांच एवं निरीक्षण होते रहता था. इस कारण सैन्य व्यवस्था एवं प्रशासन में भ्रष्टाचार काफी कम हो गया था.
  • सैनिकों का पूर्ण दायित्व मनसबदारों पर होने से सम्राट अनेक प्रशासनिक दायित्व और परेशानियों से बच जाता था.
  • मनसबदारों को सैनिक अथवा असैनिक किसी भी कार्य के लिए नियुक्त किया जा सकता था.
  • मुगल सम्राट के समान मनसबदार भी कला और साहित्य को संरक्षण प्रदान करते थे. इनके पास भी बहुत से विद्वान और कलाकार होते थे.

मनसबदारी व्यवस्था के गुण और दोषों

मनसबदारी व्यवस्था के दोष

यद्यपि मनसबदारी व्यवस्था मुगलकालीन प्रशासन के लिए बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हुए, लेकिन फिर भी इनके भी कुछ दोष भी थे:

  • मनसबदारी प्रणाली पर आधारित सैन्य संगठन बहुत ही खर्चीला था. अत: इसकी रख-रखाव में काफी धन खर्च होता था.
  • मुगल मनसबदार भोग विलास और ऐय्याशी का जीवन व्यतीत करते थे. मनसबदार अपने भोग-विलास में राष्ट्रीय धन का इस्तेमाल करते थे.
  • मनसबदारी प्रणाली के कारण सैनिकों में सम्राट के प्रति निष्ठा का अभाव रहता था. वे केवल अपने मनसबदार के प्रति ही निष्ठावान होते थे क्योंकि उन्ही के द्वारा उन्हें नियुक्ति और वेतन मिलता था.
  • मनसबदारी प्रणाली के कारण सेना का केंद्रीकरण नहीं हो सका. इस कारण सैन्य शक्ति कमजोरी होती चली गई.
  • मनसबदार सम्राट के प्रति निष्ठावान तो रहते थे किंतु वे अपने उच्च अधिकारीयों की परवाह नहीं करते थे. इस कारण इस व्यवस्था से प्रशासन काफी कमजोर हुआ.
  • सैनिकों का वेतन मनसबदारों द्वारा विपरीत किया जाता था. अनेक बार मनसबदार सैनिकों का वेतन भी हड़प लेते थे. इस प्रकार अनेक तरह से मनसबदार भ्रष्टाचार करते थे. इससे प्रशासन कमजोर होता गया.
  • प्रत्येक मनसबदार युद्ध कला में दक्ष नहीं होते थे किंतु फिर भी इस व्यवस्था के तहत उन्हें युद्ध में भाग लेने के लिए भेज दिया जाता था. इससे युद्ध के परिणाम काफी प्रभावित होती थी. उदाहरणर्थ, बीरबल और टोडरमल कोई युद्ध में भाग लेने का अनुभव नहीं था न वे सैनिक थे, फिर भी उनको युद्ध में भाग लेने के लिए भेजा जाता था.

मनसबदारी व्यवस्था के गुण और दोषों

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