महमूद गजनवी के भारतीय अभियान पर प्रकाश डालिए

महमूद गजनवी का भारत पर आक्रमण

महमूद गजनवी ने भारत पर पहला आक्रमण 1000 ई. में में किया. उन्होंने पेशावर (अब पाकिस्तान) के कुछ भागों पर कब्ज़ा करके वापस अपने देश लौट गया. वह अपने देश में पुन: भारत पर आक्रमण करने के लिए सैन्य तैयारी में लगा रहा. वह अच्छी तैयारी करके 1000 ई. में  फिर से भारत पर आक्रमण किया. उनके द्वारा विभिन्न भारतीय शासकों पर आक्रमण किया गया. 

महमूद गजनवी

महमूद गजनवी के भारतीय अभियान

1. जयपाल पर आक्रमण

अपनी सैन्य तैयारी करने के बाद उसने सर्वप्रथम पंजाब के शाही वंश के शासक जयपाल पर 1001 ई. पर हमला किया. इस युद्ध में जयपाल को हार का सामना करना पड़ा  बंदी बना लिया गया. जयपाल ने काफी धन देकर खुद को छुड़ाया. लेकिन वह अपनी हार का अपमान सहन नहीं कर पाया और 1002 ई. में उसने आत्मदाह कर लिया. 

2. भटिंडा पर आक्रमण

महमूद गजनवी ने 1004 से 1005 ई. के बीच भटिंडा पर आक्रमण किया. भटिंडा के शासक बाजीराव ने डटकर उसका सामना किया. शुरुआत में महसूद को पराजय के लक्षण दिखने लगे थे, लेकिन उन्होंने जल्दी ही हालात पर नियंत्रण प्राप्त कर विजय हासिल कर ली और भटिंडा पर अधिकार कर लिया. हार का अपमान सहन नहीं कर पाने के कारण बाजीराव ने आत्महत्या कर लिया. महसूद ने भटिंडा पर कब्जा कर वहां लूटपाट की और लोगों पर अत्याचार किए.

महमूद गजनवी के भारतीय अभियान

3. मुल्तान पर आक्रमण

महसूद के भारतीय अभियान के दौरान मुल्तान के शासक दाऊद ने महसूद की सेना को अपनी राज्य से होकर गुजरने की अनुमति नहीं थी. इसके अलावा दाऊद के सिया होने के कारण महसूस उससे नाराज था. अतः 1005-1006 ई. में महसूद गजनवी की सेना ने मुल्तान पर आक्रमण कर दिया और उस पर अधिकार कर लिया. इसके बाद महसूद ने जयपाल की पुत्री के पुत्र सुखपाल को मुल्तान का शासक बनाया. इतिहासकारों के मुताबिक सुखपाल ने संभवत: इस्लाम अपना लिया था. 1007 ई. में सुखपाल ने महसूद के खिलाफ विद्रोह कर दिया. इस वजह से महसूद ने 1008 ई. में पुनः मुल्तान पर आक्रमण कर दिया और उसने सुखपाल को मुल्तान से भागने पर मजबूर किया.

महमूद गजनवी के भारतीय अभियान

4. आनंदपाल पर आक्रमण

पंजाब के शासक जयपाल के द्वारा अग्नि में आत्मदाह करने के बाद उसका पुत्र आनंदपाल पंजाब का शासक बना. ममहमूद गजनवी ने आनंदपाल पर भी आक्रमण करने का निश्चय किया. इसके लिए उन्होंने सर्वप्रथम भातियाह किले पर आक्रमण करके वहां के शासक विजयराज को परास्त किया. इसके बाद उसने आनंदपाल पर हमला करके उसके राज्य को लूटा. 1008 ई. में उसने फिर से आनंदपाल पर आक्रमण किया. इस बार महमूद का सामना करने के लिए उज्जैन, ग्वालियर, कलिंग, कन्नौज, दिल्ली तथा अजमेर तथा मुल्तान के शासक दाऊद व खोखर ने भी आनंदपाल का साथ दिया लेकिन दुर्भाग्यवश घमासान युद्ध के बाद इस बार भी भारतीय शासकों को पराजय का सामना करना पड़ा.

महमूद गजनवी के भारतीय अभियान

5. नगरकोट पर आक्रमण

1009 ई. में महमूद ने नगरकोट पर आक्रमण किया.  तीन दिनों की भीषण लड़ाई के बाद उसने नगरकोट पर कब्जा कर लिया. यहां से लूट के रूप में उसे अपार धन-संपत्ति प्राप्त हुई.

6. नारायणपुर पर आक्रमण

1009 ई. में महमूद गजनवी ने नारायणपुर (अलवर) पर आक्रमण किया. उसने वहां के मंदिरों को तोड़ा और धन लूटा.

7. त्रिलोचन पाल पर आक्रमण

आनंदपाल की मृत्यु 1012 ई. में हुई. इसके बाद पंजाब के शाही वंश से त्रिलोचनपाल पंजाब का शासक बना. महमूद ने त्रिलोचनपाल पर भी कई बार आक्रमण किया. 1013-14 ई. में महमूद ने नंदन का दुर्ग जीतकर त्रिलोचनपाल को काश्मीर भागने पर विवश किया. काश्मीर के राजा संग्राम सिंह की मदद से उसने पुनः महमूद का सामना किया परंतु उसे सफलता नहीं मिली. 1018-19 ई. में त्रिलोचनपाल ने चंदेलों की मदद से महमूद का सामना किया, लेकिन फिर भी उसे सफलता नहीं मिली. त्रिलोचन पाल की मृत्यु के बाद उसका उत्तराधिकारी भीम 1021 ई. में पंजाब का शासक बना. वह भी लगातार महमूद का सामना करता रहा. 1026 ई. में भीम की मृत्यु हो जाने के बाद पंजाब से शाही वंश समाप्त हो गया.

महमूद गजनवी के भारतीय अभियान

8. मथुरा पर आक्रमण

1018 ई. में महमूद ने बुलंदशहर पर अधिकार कर लिया. उसके बाद मथुरा पर भी आक्रमण किया. मथुरा के मंदिरों की भव्यता देखकर वह आश्चर्यचकित रह गया. उसने इन मंदिरों को तोड़कर अपार धन राशि को लूटा.

9. कन्नौज पर आक्रमण

1019 ईस्वी में महमूद ने कन्नौज पर आक्रमण किया. वहां का प्रतिहार वंश के शासक राज्यपाल भयभीत होकर बिना युद्ध किए भाग गया. इसके बाद उसने कन्नौज क लूटा और लोगों की हत्याएं की.

10. चंदेल शासक से संघर्ष

कन्नौज को जीतने के बाद महमूद गजनवी अपने राज्य गजनी लौट गया. गजनी पहुंचने पर उन्हें पता चला कि चंदेल शासक विद्याधर ने कन्नौज शासक राज्यपाल की महमूद से बिना युद्ध किए भाग जाने के कारण उसकी हत्या कर दी. अतः क्रोधित होकर महमूद गजनवी ने विद्याधर पर भी 1019 ई. में आक्रमण किया, परंतु यह युद्ध अनिर्णित रहा. महमूद ने फिर से 1022 ई. में विद्याधर पर आक्रमण किया. यह युद्ध भी अनिर्णित रहा और अंततः दोनों में संधि हो गई.

11. पंजाब पर अधिकार

महमूद ने 1021 ई. में पंजाब पर अधिकार करके उसे अपने साम्राज्य में मिला कर उसको अपने राज्य का अपने साम्राज्य का अभिन्न अंग बना लिया.

महमूद गजनवी के भारतीय अभियान

12. सोमनाथ पर आक्रमण

महमूद गजनव का सबसे प्रमुख आक्रमण सोमनाथ पर हुआ. सोमनाथ शैव मंदिर में अतुल्य संपत्ति थी. महमूद गजनवी इस संपत्ति को लूटना चाहता था. अतः उन्होंने 1025-25 ई. में अहिलवाड़ पर आक्रमण किया. इस समय गुजरात का चालुक्य शासक भीम राजधानी छोड़कर युद्ध की तैयारी करने के लिए अन्य स्थान पर चला गया था. महमूद अहिलवाड़ को जीतने के पश्चात सोमनाथ पहुंचा. वहां उसने सोमनाथ की मूर्ति तोड़ डाली और वहां से अपार धन-संपत्ति को लूट लिया. इस समय तक भीम युद्ध की तैयारी कर चुका था और अब महमूद गजनवी से युद्ध करने के लिए उसके रास्ते पर तैयार खड़ा था. महमूद गजनवी को उसकी युद्ध की तैयारी का पता चल गया. अत: वह अपने मार्ग बदल कर अत्यंत बीहड़ और कठिन रास्तों से होकर अपने राज्य वापस लौट गया.

13. जाटों पर आक्रमण

महमूद गजनवी जिस समय सोमनाथ से लूटी हुई संपत्ति के को लेकर अपने साम्राज्य की ओर लौट रहा था. उस समय रास्ते में जाटों में उसे बहुत परेशान किया था. अतः इसी का प्रतिशोध लेने के उद्देश्य से 1027 ई. में उसने सिंधु नदी और मुल्तान के समीप जाटों पर हमला करके उनको परास्त किया. महमूद गजनवी का जाटों पर आक्रमण करना उसका भारत पर अंतिम आक्रमण था. 1030 ई. में महमूद गजनवी की मृत्यु हो गई. इतिहासकारों के मुताबिक महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण धन की लालच में किया था.

इन्हें भी पढ़ें:

Note:- इतिहास से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल रहे हैं तो कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करें. आपके प्रश्नों के उत्तर यथासंभव उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी.

अगर आपको हमारे वेबसाइट से कोई फायदा पहुँच रहा हो तो कृपया कमेंट और अपने दोस्तों को शेयर करके हमारा हौसला बढ़ाएं ताकि हम और अधिक आपके लिए काम कर सकें.  

 धन्यवाद.

Leave a Comment

Telegram
WhatsApp
FbMessenger