महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारणों का वर्णन करें

महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारण

इतिहासकारों ने भारत पर महमूद गजनवी के द्वारा भारत पर आक्रमण करने के कारणों के बारे में भिन्न-भिन्न मत प्रकट किए. उनके अनुसार भारत पर महमूद गजनी के द्वारा आक्रमण करने के निम्नलिखित कारण थे:

1. इस्लाम धर्म की प्रतिष्ठा को स्थापित करना

बहुत से इतिहासकारों के अनुसार महमूद गजनवी के द्वारा भारत पर आक्रमण करने के पीछे उसका उद्देश्य संपूर्ण भारत पर इस्लाम धर्म की प्रतिष्ठा को स्थापित करना था. परंतु कुछ इतिहासकार इस बात का खंडन करते हैं. इस विषय पर प्रोफ़ेसर हबीब ने कहा है कि महमूद पूरी तरह सांसारिक व्यक्ति वह मुस्लिम उलेमाओं की बात को मानने के लिए तैयार नहीं था. उसके बर्बरता पूर्ण कार्यों ने इस्लाम का प्रचार नहीं किया बल्कि संसार की दृष्टि में इस्लाम को गिरा दिया.

महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारण

इतिहासकर जाफर ने कहा है कि महमूद का उद्देश्य भारत में इस्लाम का प्रचार करना नहीं बल्कि ध्यान लूटना था. इसलिए उन्होंने हिंदू मंदिरों पर आक्रमण किया क्योंकि वहां काफी धन जमा था. प्रोफेसर नाजिम ने लिखा है यदि उसने हिंदू राजाओं को तंग किया तो उसने ईरान और ट्रांस अक्सियना के मुस्लिम शासकों को भी नहीं छोड़ा. जिस प्रकार उसने गंगा के मैदानों में लूटपाट की वैसे ही एक्सेस नदी के किनारे पर भी की. मि. हैवेल का कथन है वह बगदाद को भी वैसे ही लूटता जैसे कि उसने सोमनाथ को लूटा था अगर उसे वहां धन मिलने की आशा होती. इस प्रकार विभिन्न इतिहासकारों के अनुसार महमूद के भारत आक्रमण का उद्देश्य धार्मिक न होकर धन हासिल करना था. वहीं महमूद के दरबारी इतिहासकार उतबी का कथन भिन्न है. उसने महमूद गजनवी के आक्रमण को जिहाद माना था. उसके अनुसार इस आक्रमण का मूल उद्देश्य इस्लाम का प्रचार करना तथा मूर्ति पूजा को खत्म करना था. तुर्कों के नवीन धार्मिक जोश और उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए भी यह माना जा सकता है कि उसका उदेश्य इस्लाम की प्रतिष्ठा को स्थापित करना था क्योंकि उसने न सिर्फ मंदिरों को लूटा बल्कि उसे नष्ट भी किया.

महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारण

2. धन संपत्ति को लूटना

इतिहासकारों का मानना था कि महमूद के उद्देश्य भारत पर हमला करने के पीछे सन संपत्ति को लूटना था. इस बात से कोई इतिहासकार इनकार नहीं करता. वास्तव में महमूद धन का लालची था और उसे गजनी के ऐश्वर्य तथा राज्य विस्तार के लिए धन की काफी आवश्यकता थी. उसके प्रारंभिक आक्रमण की सफलता एवं धन की लूटमार ने उसे और अधिक लालची बना दिया. उसके हर आक्रमण से उसे अपार धनराशि भारत से प्राप्त हुई. उससे उसे भारत के संपदा से परिचित करा दिया और प्रत्येक आक्रमण को उसने अधिक से अधिक धन प्राप्त करने का साधन बनाया.

3. हिंदू राज्य को नष्ट करना

इतिहासकारों के मुताबिक महमूद गजनवी का उद्देश्य हिंदू राष्ट्र को भी नष्ट करना था. गजनी और हिंदू शाही राज्य के झगड़े अल्पकालीन समय से चल रहे थे और तीन बार हिंदू शाही राज्य गजनी पर आक्रमण कर चुका था. इसलिए उसके लिए अपने इस शत्रु को समाप्त करना महमूद के लिए आवश्यक था. इस कारण महमूद ने आक्रमण करने की नीति अपनाई. हिंदू शाही राज्य को समाप्त करने के बाद उसका साहस और बढ़ गया और उसने भारत में दूर-दूर तक आक्रमण किया.

महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारण

4. यश की लालसा

महमूद गजनी के द्वारा भारत पर आक्रमण करने के पीछे उसकी यश की लालसा और महत्वकांक्षी होना भी एक कारण था. उसकी पूर्ति के लिए उसने पश्चिम की ओर अपने साम्राज्य के विस्तार किया. पूर्व में स्थित हिंदू शाही राज्य को समाप्त करना उसका महत्वपूर्ण उद्देश्य था.

5. हाथी को प्राप्त करना

डॉ. एबी पांडे जैसे कुछ इतिहासकारों का मानना था कि महमूद गजनी के द्वारा भारत पर आक्रमण करने के पीछे उसका उद्देश्य हाथी को प्राप्त करना था. वह हाथियों का प्रयोग मध्य एशिया में अपने शत्रुओं के विरुद्ध करना चाहता था.

महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के कारण

इन तथ्यों से स्पष्ट है कि महमूद गजनवी के आक्रमण का मुख्य धन लूटना था क्योंकि पड़ोस के हिंदू राज्य को नष्ट करने के लिए और अपने साम्राज्य के विस्तार की महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए उसे अधिक धन की आवश्यकता थी.  धन की पूर्ति मंदिरों से की जा सकती थी. वह यह बात भली भांति जानता था क्योंकि उसमें भारतीय मंदिरों में संचित धन बारे में उसने काफी पहले सुन रखा था और प्रत्येक आक्रमण के अवसर पर भारतीय मंदिरों से प्राप्त होने वाली धनराशि ने उसे भारत की सम्पन्नता से परिचित करा दिया था तथा प्रत्येक सफलता ने उसे और अधिक लालची बना दिया. अगर वह धर्मांध होता तो ईरान और ट्रांस ऑक्सियना के मुस्लिम शासकों को परेशान न करता. इस प्रकार वह बग़दाद को भी वैसे ही निर्दयता से लूटता जैसे उसने सोमनाथ को लूटा अगर उसे वहां से भी धन मिलने की उम्मीद होती. अगर वह वास्तव में धर्मांध होता तो उलेमाओं की आज्ञा का उलंघन भी नहीं करता. उसके बर्बरतापूर्ण कार्यों ने इस्लाम को उठाने के बदले और अधिक गिराया.

इन्हें भी पढ़ें:

Note:- इतिहास से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल रहे हैं तो कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करें. आपके प्रश्नों के उत्तर यथासंभव उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी.

अगर आपको हमारे वेबसाइट से कोई फायदा पहुँच रहा हो तो कृपया कमेंट और अपने दोस्तों को शेयर करके हमारा हौसला बढ़ाएं ताकि हम और अधिक आपके लिए काम कर सकें.  

धन्यवाद.

Leave a Comment

Telegram
WhatsApp
FbMessenger