मेईजी पुनर्थापना क्या है? जापान में मेईजी पुनर्स्थापना के कारणों की व्याख्या करें

मेईजी पुनर्थापना क्या है?

मेईजी पुनर्स्थापना का मतलब है सम्राट की शक्ति का पुनर्स्थापना. मेईजी जापानी सम्राट की उपाधि थी. 1768 ई. में जापानी सत्ता में महान परिवर्तन हुआ था. इसके बाद सम्राट मत्सुहितो ने सिंहासन संभाली और मेईजी की उपाधि ग्रहण की. 

मेईजी पुनर्स्थापना के कारण

मेईजी पुनर्स्थापना के कारण

1. पश्चिमी देशों का प्रभाव

19वीं शताब्दी में जापान के शोगुन सत्ता को पश्चिमी देशों के सामने झुकना पड़ा और उनको जापान में व्यापार करने की अनुमति देनी पड़ी. 1854 ई. में कनागावा संधि तथा 20 जून 1858 ई. को अमेरिका के साथ उनकी संधि हुई. इसके बाद अमेरिका को जापान में व्यापारिक एवं राज्यक्षेत्रातीत अधिकार मिल गया. अमेरिका के इस अधिकार को देखकर रूस, फ्रास, ब्रिटेन, हालैंड आदि देश भी जापान के साथ अलग-अलग संधि करके व्यापारिक और राज्यक्षेत्रातीत अधिकार प्राप्त कर लिए. पश्चिमी देशों के लिए जापान का द्वारा खुलना जापान के लिए ऐतिहासिक घटना थी. इस घटना के परिणामस्वरूप जापान में दो प्रकार की विचारधारा उभर कर सामने आई. पहली विचारधारा में पश्चिमी देशों का विरोध किया गया. लेकिन ये रूढ़ीवादी और पारंपरिक विचारधारा के कारण ये सफल नहीं हो पाई. दूसरी विचारधारा जापान का जापान का पश्चिमीकरण कर साम्राज्यवादियों का विरोध करना चाहती थी. लेकिन ऐसा करने के लिए जापान से शोगुन शासन का अंत करके मेईजी की पुर्नस्थापना जरूरी थी.

मेईजी पुनर्स्थापना के कारण

2. तत्कालीन समाजिक व्यवस्था

जापान के लोग तत्कालीन शासन व्यवस्था से असंतुष्ट थे. तोकूगावा शोगुन देश पर अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए अपने सामंतों पर कठोर नियंत्रण रखता था. उसने सान्किन कोताई नामक कानून पारित किया. इस कानून के अनुसार सामंतों को बिना अनुमति के किले बनाने, सिक्का ढालने, युद्ध के लिए जहाज बनाने और शादी करने की अनुमति नहीं देता था. इसके अलावा सामंतों को प्रत्येक दो वर्ष में चार माह के लिए राजधानी में रहना पड़ता था. सबसे ज्यादा सामंतीव्यवस्था से कृषक वर्ग भी पीड़ित थे. शोगुन शासन जब भी सामंतों पर आर्थिक दबाव डालता था तब सामांत इस दबा को कृषकों के ऊपर डालकर अपने बोझ को हल्का करने की कोशिश करते. शोगुन शासन की तरफ से कृषकों की स्थिति पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया जाता था. जापान के नवीन व्यापारी वर्ग और बुद्धिजीवी वर्ग भी शासन से बिल्कुल खुश नहीं थे. इस वर्ग से सामंत आवश्यकता के समय कर्ज लिया करते थे. लेकिन फिर भी इनका स्थान सामंतों के नीचे ही था. ऐसे में ये ऐसी व्यवस्था को अपना अपमान समझते थे और इसमें बदलाव लाना चाहते थे.

मेईजी पुनर्स्थापना के कारण

3. शोगुन शासन की निर्बलता

शोगुनों ने जापान पर लगभग 270 वर्षों तक शासन किया. उनके शांतिमय और एकाकी शासन ने जापान की स्थिति कमजोर कर दी. शोगुन शासक भोग-विलासी हो गए थे. इस वजह से वे कमजोर होते चले गए. उनके द्वारा फूट डालो और राज करो की नीति ने कभी जापान के कुलों और सरदारों के बीच कभी आपसी सहयोग की भावना को जगा नहीं पाया. इस बीच शोगुन शासन के नीतियों से त्रस्त सामंतों ने शोगुन सत्ता को कमजोर होते देखकर अपनी स्वतंत्रता की आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी. इसके अलावा पश्चिमी देशों के साथ की गई संधियों पर भी जनता ने सवाल उठाना शुरू कर दिया था.

मेईजी पुनर्स्थापना के कारण

4. विदेशी विरोधी भावना का जन्म

जापान में कमजोर शोगुन शासन के बीच पनप रही विदेशी शक्तियों को देखकर जापानी लोगों में विदेशी विरोधी भावना भी जन्म लेने लगी थी. जगह-जगह नारे सुनाई देने लगे कि सम्राट का सम्मान करो और विदेशियों को बाहर निकालो. सम्राट कोमेई विदेशी विरोधी विचारधारा से काफी प्रभावित थे. अतः उसने शोगुन को 25 जून 1863 ई. तक विदेशियों को निकालने का आदेश दिया. ये काम शोगुन के लिए असंभव था. अतः सामंतों ने अपने स्तर पर विदेशियों को बाहर निकालने के लिए प्रयास करने लगे और अपने कर्मचारियों को आदेश दिए कि यदि कोई भी जहाज शियोन्सकी की खाड़ी से गुजरे तो उसे नष्ट कर दिया जाए. इसी बीच  25 जून 1863 ई. को इस इलाके में गुजरती अमेरिकी जहाज को नष्ट कर दिया गया. इसके जवाब में अमेरिका ने 16 जुलाई 1863 को हमला करके जापान के किलों पर हमला करके उनको भारी नुकसान पहुंचाया. इसी बीच 14 सितम्बर 1863 ई. को एक ब्रिटिश नागरिक की हत्या कर दी गई. ब्रिटिश सरकार ने 1 लाख पौंड हर्जाने की मांग की और इसे वसूलने के लिए सात जहाजों को भेजा. इन जहाजों ने जापानी नगरों पर गोलीबारी करके एक जापानी जहाज को नष्ट कर दिया. इन दो घटनाओं ने जापान में विदेशी विरोधी भावना को और मजबूत कर दिया. इसके साथ ही विदेशियों के सामने झुकने वाले कमजोर सत्ता को भी बदलना चाहते थे.

मेईजी पुनर्स्थापना के कारण

5. सामंतों का संगठित होना

तोकूगोवा शोगुनों की फूट डालो और राज करो की नीति ने कभी जापान के सामंतों को और विभिन्न समुदायों के बीच एकता को पनपने नहीं दिया था. लेकिन शोगुनों की शासन को उखाड़ फेंकने की भावना ने सबको एक सूत्र में बंधने पर मजबूर कर दिया. उन्होंने ने संगठित होकर एक सेना का गठन किया और 1866 ई. को शोगुन सत्ता के खिलाफ विद्रोह कर दिया. यह विद्रोह शोगुन शासन के लिए बहुत भारी पड़ी. 3 जनवरी 1868 ई. को सम्राट की पुर्नस्थापना की घोषणा हुई और मेईजी पुनर्स्थापना की गई. इस प्रकार जापान से सदियों से चली आ रही शोगुनों की सत्ता का अंत हो गया. 

इन्हें भी पढ़ें:

Note:- इतिहास से सम्बंधित प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल रहे हैं तो कृपया कमेंट बॉक्स में कमेंट करें. आपके प्रश्नों के उत्तर यथासंभव उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी.

अगर आपको हमारे वेबसाइट से कोई फायदा पहुँच रहा हो तो कृपया कमेंट और अपने दोस्तों को शेयर करके हमारा हौसला बढ़ाएं ताकि हम और अधिक आपके लिए काम कर सकें.  

धन्यवाद.

1 thought on “मेईजी पुनर्थापना क्या है? जापान में मेईजी पुनर्स्थापना के कारणों की व्याख्या करें”

Leave a Comment

Telegram
WhatsApp
FbMessenger