जापान में मेईजी पुनर्स्थापना
मेईजी पुनर्स्थापना जापान के इतिहास में बहुत ही बड़ा महत्व है. इसकी स्थापना के साथ ही जापान में नये युग की शुरुआत हुई. इसे आधुनिक जापान की आधारशिला भी कहा जाता है. यह परिवर्तन सिर्फ शोगुनों की सत्ता का अंत तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि यहां से परिवर्तनों की शुरुआत हुई. इस परिवर्तन ने जापान के भविष्य को ही बदलकर रख दिया.
जापान में मेईजी पुनर्स्थापना के परिणाम
1. जापान को नया विधान मिलना
6 अप्रैल 1868 ई को सम्राट मुत्सुहितो के द्वारा पांच अनुच्छेदों वाली विधान शपथ की घोषणा की गई. इस विधान शपथ की धाराएं निम्नवत थीं:-
- राज्य के मामलों पर विचार करने के लिए बड़े पैमाने पर सभाएं स्थापित की जाएगी. सरकार के द्वारा किए जाने वाले कार्यों का निर्णय जनमत के आधार पर होगा.
- राष्ट्र की प्रगति एवं उन्नति के लिए वर्ग विभेद नहीं होंगे, बल्कि सब एक होंगे.
- देश की कल्याण के लिए पूरी दुनियां से ज्ञान अर्जित की जाएगी.
- असभ्य प्रथाओं का अंत होगा तथा प्रत्येक बात प्रकृति के न्यायसंगत और औचित्यपूर्ण सिद्धांतों पर निर्भर करेगी.
- प्रत्येक व्यक्ति को अपनी न्यायोचित आकांक्षाओं को पूर्ण करने का अवसर दिया जाएगा.
7 अप्रैल 1868 ई को जापान के सभी वर्गों के द्वारा इस विधान पत्र को स्वीकार कर लिया गया.
2. सामंतवाद का अंत
मेईजी पुनर्स्थापना करने में सामंतों और समुराई वर्ग के लोगों ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसमें सबसे बड़ी घटना यह था कि सामुराई वर्ग ने इस को महसूस किया कि सामंतवाद खत्म किए बिना देश की विकास संभव नहीं है. अतः उन्होंने उन्होंने सामंत वर्ग से देश की विकास के लिए अपने जागीर और अधिकारों का त्याग करने का आग्रह किया. अतः देश की विकास के लिए सामंतों ने अपने अधिकारों का त्याग कर दिया. इसके बाद सदियों से चली आ रही सामंतवाद का खात्मा हो गया.
3. जापान का पश्चिमीकरण
जापान ने अपने विधान पत्र के शपथ के अनुसार देश की विकास के लिए पूरी दुनियां से ज्ञान अर्जित करने के दरवाजे खोल दिए. इसके बाद जापान में पश्चिमी जीवन शैली के आधार पर शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि तथा सैन्य शक्ति में काफी सुधार किए. इसके बाद जापान से बड़ी संख्या में छात्र विदेशों की ओर शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाना शुरू कर दिए. इनके शिक्षाओं से जापान को काफी लाभ हुआ और धीरे धीरे विकासशील देशों की श्रेणी जापान की गिनती होने लगी.
4. राष्ट्रीयता की भावना का विकास
जापान में राष्ट्रीयता की भावना की विकास काफी तेजी से होने लगी. लोग व्यक्तिगत स्वार्थ के स्थान पर देश को प्राथमिकता देने लगे. सम्राट देश के प्रतीक समझे जाने लगे. देश में बदलाव साफ नजर आने लगा था. लोग अब अपने स्वार्थ के लिए नहीं बल्कि देश के विकास में अपना योगदान देने लगे. इससे जापान विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर होने लगे.
5. साम्राज्यवाद की भावना का विकास
मेईजी पुनर्स्थापना के बाद अपनाई गई नीतियों के परिणामस्वरूप जापान तेजी से औद्योगिकरण के दिशा में बढ़ने लगा. रोजगार का काफी तेजी से सृजन होने लगा. बड़ी मात्रा में हथियार का निर्माण होने से जापान की सैन्य ताकत भी तेजी से बढ़ने लगी. बढ़ती औद्योगिकरण और सैन्य शक्ति ने जापान को साम्राज्यवादी प्रवृत्ति की ओर अग्रसर किया. अब जापान अपने लिए नए बाजार की तलाश में संभावनाओं की तलाश करना शुरू कर दिया.
मेईजी पुनर्स्थापना ने जापान को नवीन विचारधाराओं के आधार पर पुनर्गठित किया और जापान में एक नये युग की शुरुआत हुई. इससे जापान तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर होता चला गया.
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