हड़प्पा और मोहनजोदड़ो का एक परिचय
सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों का अध्ययन करने पर हमें पता चलता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग नगर योजना में पूरी तरह निपूर्ण थे. हर प्रकार की निर्माण बहुत अच्छी रीति से की गई थी. इनके अवशेषों के अध्ययन से हमें पता चलता है कि हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के नगर निर्माण एक समान योजना पर किया गया था. इनकी नगर निगम निर्माण योजना आज के आधुनिक विज्ञान के लिए भी शोध का विषय है क्योंकि इनकी बनावट और ढांचा देख कर आज के इंजीनियर भी हैरान है. इनके सामने आज की आधुनिक शहर भी फीके पड़ जाते हैं.

1. नगर योजना

2. भवन निर्माण
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग भवन का निर्माण भी काफी दक्षता से करते थे. इनकी पुष्टि हड़प्पा और मोहनजोदड़ो आदि से प्राप्त भवनों के अवशेषों से होती है. भवनों का निर्माण भी काफी सुनियोजित तरीके से किया जाता था. हम अध्ययन की सुविधा के लिए भवन निर्माण को तीन भागों में बांटते हैं- साधारण भवन, सार्वजनिक एवं राजकीय भवन तथा अन्न भंडार गृह.
साधारण भवन
साधारण लोगों के रहने के लिए मकानों का निर्माण सड़क के दोनों ओर किया जाता था. इन मकानों का आकार आवश्यकतानुसार छोटा या बड़ा होता था. मकानों के निर्माण के लिए ईंटों का प्रयोग किया जाता था. मकान बनाने में प्रयुक्त ईंटें कच्ची होती थी. कुछ मकान कच्चे और कुछ मकान पक्के होते थे. मकान बनाते समय हवा और प्रकाश का पूरा ध्यान रखा जाता था. कुछ मकानों में मात्र दो कमरे होते थे और कुछ में दो से ज्यादा होते थे. मकान एक से अधिक मंजिल के भी होते थे. ऊपर की मंजिलों पर जाने के लिए सीढ़ियों का इस्तेमाल किया जाता था. ये सीढ़ियां मुख्य रूप से पत्थरों के बने होते थे. मकान में दरवाजे, खिड़कियां, रसोईघर और आंगन होता था. दरवाजे गली की और खुलते थे. सिर्फ लोथल में एक ऐसा मकान मिला जिसका दरवाजा मुख्य सड़क के तरफ खुलती थी. ये दरवाजे बीच में नहीं बल्कि दीवार के समाप्ति के स्थान पर होते थे. इन मकानों के एवं दरवाजे लकड़ी के बने होते थे तथा दीवारें बहुत मोटी होती थी. इन मकानों का फर्श मिट्टी से बनाया जाता था. कुछ घर में कुएं भी बने होते थे. इसके अलावा स्नानागार भी बने होते थे.
सार्वजनिक एवं राजकीय भवन
उत्खनन के परिणामस्वरूप ये बात पता चला कि यहां सिंधु घाटी सभ्यता में साधारण मकानों के अलावा राजकीय एवं सार्वजनिक भवन भी हुआ करते थे. मोहनजोदड़ो में एक गढ़ी थी जिसका निर्माण एक कृत्रिम पहाड़ी पर किया गया था. नदी की बाढ़ से इसकी रक्षा के लिए इसके चारों ओर एक ऊंचा बांध भी बनाया गया था. इनमें अनेक मीनारें भी थी. गढ़ी के अंदर ऊंचे चबूतरे पर सुंदर भवनों का निर्माण किया गया था. इनमें अनेक मीनारें भी थी.
अन्न भंडार गृह
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो के उत्खनन के परिणामस्वरूप बहुत से विशाल अन्न भंडार गृह भी पाए गए. इनमें अन्नों के अवशेष भी पाए गए हैं. जिनकी वजह से यह स्पष्ट पता चलता है कि यहां अन्नों का भंडारण भी किया जाता था.
3. सार्वजनिक स्नानागार
मोहनजोदड़ो का उत्खनन करने के बाद एक विशाल स्नानागार के बारे में भी पता चला. स्नानागार अत्यंत भव्य है. इस स्नानागार का क्षेत्रफल 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा और 2.43 मीटर गहरा है. स्नान कुंड से पानी को बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था की गई थी. स्नानागार का फर्श पक्की ईंटों का बना है. स्नानागार के चारों तरफ चबूतरे और बरामदे हैं तथा बगल में कमरे भी हैं. संभवत: इसका इस्तेमाल कपड़े बदलने में किया जाता था. इतिहासकारों के अनुसार संभवत: यह जलाशय धार्मिक महत्व रखता था तथा पवित्र पर्व पर इसमें लोग स्नान किया करते थे. यह स्नानागार इतना सुदृढ़ बनाया गया कि आज तक इसका अस्तित्व है. इस जलाशय के सामने एक कुआं भी पाया गया है. इससे यह अंदेशा लगाया गया कि संभवत: इसी कुएं के पानी से इस जलाशय को भरा जाता था.
सिंधु घाटी सभ्यता के उत्खनन के परिणामस्वरूप यह पता चला कि यहाँ के निवासी नगर निर्माण कला में बहुत ही दक्ष थे. हर चीज करीने से बनाई गई थी. हर जरूरत की चीजों को उन्हें स्थान पर निर्माण किया गया था. इनकी भव्यता आज के इंजीनियर के लिए भी चुनौती और शोध का विषय है. सिंधु घाटी सभ्यता प्राचीन भारत के इतिहास का एक अमूल्य निधि है. हमें इन्हें संजो कर रखना है.
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हड़प्पा सभ्यता का पतन कैसे हुआ था? स्पष्ट कीजिए।