यूरोप में हुए पुनर्जागरण के कारणों का वर्णन कीजिए

यूरोप में पुनर्जागरण

पुनर्जागरण का एकाएक हो जाना संभव नहीं था. वास्तव में यूरोप में पुनर्जागरण की शुरुआत मध्यकाल में ही हो गए थे. 1453 में तुर्क यूनानी भाषा के मुख्य केंद्र कुस्तुनतुनिया पर अधिकार कर लिए. कुस्तुनतुनिया पर अधिकार करने के बाद तुर्कों ने वहां के निवासियों पर अत्याचार करना आरंभ कर दिए. हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिए गए तथा उनके साहित्य को जलाना और नष्ट करना आरंभ कर दिए. बड़ी संख्या में यूनानी जनता तुर्कों के इस अत्याचार से भयभीत होकर यूनान छोड़कर इटली भाग गए. यूनानी अपने साथ अपने पुस्तकों को भी लेकर गए थे. अत: यूनानियों ने इटली के निवासियों को यूनानी भाषा, संस्कृति, कला और आध्यात्मिकता का ज्ञान दिया. यूनानियों का यह ज्ञान इटली के अतिरिक्त अन्य यूरोपीय देशों के जनता तक भी पहुंचने लगा. जिसकी वजह से लोगों में जागरूकता फैलने लगी. 15 वीं शताब्दी पहुंचते-पहुंचते लोग यूनानी साहित्य का बड़े पैमाने पर अध्ययन करने लगे. इन साहित्य के अध्ययन के परिणामस्वरूप लोगों के विचारों में हुए बदलाव ने पुनर्जागरण आंदोलन को एक विशेष दिशा प्रदान की. लोग साहित्यों का अध्ययन करते-करते यह बात समझने लगे थे कि यूनानी साहित्य उनके समाज के लिए क्या महत्व रखता है.

पुनर्जागरण
नई आविष्कारों एवं खोज का प्रभाव

इस काल में लोग साहित्य, विज्ञान तथा अन्य किताबों का अध्ययन करने लगे थे. इनके परिणाम स्वरूप उन्होंने नए-नए आविष्कार और खोज करने शुरू कर दिए. इस वजह से पुनर्जागरण की ओर लोगों का ध्यान और ज्यादा आकर्षित होने लगा था. इस काल में हुए विभिन्न आविष्कार खोज निम्न प्रकार है जिन्होंने पुनर्जागरण के दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिए.

यूरोप में हुए पुनर्जागरण के निम्नलिखित कारण थे:-

1. छापाखाना

छापा खाने के अविष्कार ने पुनर्जागरण के दिशा में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई 1453 ईस्वी में जयपुर आविष्कारों के अभाव में पुनर्जागरण इतना सफल नहीं हो पाया था. 1460 ई. में गुटेनबर्ग नामक व्यक्ति ने सर्वप्रथम छापाखाने को जर्मनी में स्थापित किया. इसके पश्चात 1476 ईस्वी में केक्सटन ने इंग्लैंड में छापाखाने का प्रयोग करना आरंभ किया. इन छापाखानों के स्थापित हो जाने से पुस्तकें कम समय में अधिक छपने लगी. इसका मूल्य भी कम होता था. जिसकी वजह से पुस्तकों का प्रचार-प्रसार अत्यंत तेजी से होने लगा. इससे पहले पुस्तकों को हाथ से ही लिखना पड़ता था और इनकी संख्या भी कम रहती थी तथा इनका मूल्य भी अधिक होता था.

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2. कागज

कागज के खोज होने से पहले लिखने के लिए जानवरों की खालों तथा पेड़ की छाल का उपयोग करना पड़ता था. इसके बाद एक विशेष घास की खोज की गई जिससे कागज बनाया जाने लगा यह कागज खाल की तुलना में अत्यंत सस्ती थी. अतः छापेखाने का आविष्कार एवं कागज की खोज ने पुनर्जागरण के प्रचार एवं प्रसार में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया.

3. बारूद

हालांकि बारूद के प्रचलन यूरोप में बहुत पहले से था, किंतु इस समय बारूद का प्रयोग तोप तथा बंदूक के लिए भी होने लगा. जिसके कारण इंग्लैंड के राजाओं ने शक्तिशाली सेना तैयार किया और सामंतों की शक्तियों का दमन किया. इससे देश में नई राजनीतिक चेतना का जन्म हुआ.

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4. कुतुबनुमा

कुतुबनुमा के आविष्कार ने नाविकों को दूर-दूर देशों तक समुद्री यात्राएं करने पर प्रोत्साहित किया. इस यंत्र का आविष्कार इटली के प्रसिद्ध यात्री मार्कोपोलो ने किया था. इस यंत्र के मदद से समुद्री यात्री समुद्र में दिशा की पहचान कर पाते थे. नविको के द्वारा दूर-दूर के देशों तक यात्रा करने पर उन देशों के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित करने के साथ साथ नवीन विचारों का आदान-प्रदान भी होने लगा. इन नवीन विचारों में पुनर्जागरण में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया.

5. अरबी अंक

यूरोप में पहले गणनाएं करने के लिए रोमन अंकों (I, II, III…) का प्रयोग होता था. इससे गणनाएं करने में कठिनाई होती थी. लेकिन अरबों के संपर्क में आने के बाद अरबी अंकों (1,2,3,..) का प्रयोग होने लगा. इससे गुणा-भाग आदि करना आसान हो गया.

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6. अन्य घटनाएं

इसके अतिरिक्त मध्य युग में कुछ ऐसी घटनाएं हुई जिसके कारण लोग पुराने विचारों को त्याग कर आज दो आधुनिक विचारधाराओं को स्वीकार किया इन घटनाओं में अकाल, सौ वर्षीय युद्ध, किसानों का विद्रोह, गुलाब के फूलों का युद्ध आदि प्रमुख थे. इन घटनाओं ने इंग्लैंड से जमीदारी प्रथा, सामांतीय व्यवस्था तथा मध्ययुगीन कुप्रथाओं को समाप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया तथा पुनर्जागरण के रास्ते को साफ किया.


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