सम्राट अशोक के प्रारंभिक जीवन तथा कलिंग विजय का वर्णन करें

सम्राट अशोक के प्रारंभिक जीवन

सम्राट अशोक के प्रारंभिक जीवन के बारे में जानने के लिए हमें पुरातात्विक स्रोतों के अभाव में साहित्यिक स्रोतों पर ही निर्भर रहना पड़ता है. इन साहित्यिक स्रोतों में सम्राट अशोक के विषय में अलग-अलग जानकारियां मिलती है. इस वजह से यह पता लगाना अत्यंत कठिन है कि इनमें से सही जानकारी कौन है. अशोक सम्राट बिंदुसार का पुत्र था. लेकिन उसकी माता के विषय में मतभेद है. अशोकवादन के अनुसार उसकी माता का नाम शुभ्रदांगी था जो कि एक ब्राह्मण की पुत्री थी. लेकिन दिव्यवादन नामक ग्रंथ में इस नाम की कोई ब्राह्मण कन्या का नाम नहीं मिला. वहीं महाबोधिवंश के अनुसार अम्मा को अशोक की माता कहा गया है. कुछ इतिहासकार मानते हैं कि सम्राट अशोक की मां एक यूनानी स्त्री थी. लेकिन यूनानी इतिहासकारों ने इसकी चर्चा कहीं नहीं की. इसी प्रकार सम्राट अशोक की माता के बारे में विद्वानों में मतभेद है. 

सम्राट अशोक के प्रारंभिक जीवन तथा कलिंग विजय

अशोक बचपन में अत्यंत उदंड एवं कुरूप थे. इस वजह से वे अपने पिता के लिए कभी स्नेह का पात्र ना बन सका. सम्राट बिंदुसार ने सभी पुत्रों के लिए उचित शिक्षा की व्यवस्था की थी. किंतु में सभी राजकुमारों में अशोक ही सबसे योग्य था. अशोक को प्रशासनिक शिक्षा प्रदान करने के बाद सम्राट बिंदुसार ने उसे उज्जैन का गवर्नर नियुक्त किया. बिंदुसार के शासनकाल में तक्षशिला में विद्रोह हुआ जिसे दबाने में वह नाकाम रहा. अतः बिंदुसार अशोक को इस विद्रोह को दबाने तथा शांति की स्थापना करने के लिए भेजा. अशोक इस उद्देश्य में सफल रहा. इस प्रकार वह अपने पिता के शासनकाल में ही उसे काफी प्रशासनिक अनुभव प्राप्त हुआ. इतिहासकारों के मुताबिक बौद्ध धर्म अपनाने से पहले सम्राट अशोक अत्यंत अत्याचारी था. लेकिन बौद्ध धर्म स्वीकार करते ही वह एक सहृदय और प्रजावत्सल शासक बन गया. सम्राट अशोक की क्रूरता का वर्णन बौद्ध साहित्य अतिरंजित में पाया जाता है.

सम्राट अशोक के प्रारंभिक जीवन तथा कलिंग विजय

273 ईसा पूर्व में सम्राट बिंदुसार बीमार पड़ गया. उस समय अशोक उज्जैन में गवर्नर के रूप में संसद शासन कर रहा था. पिता की बीमारी की सूचना पाकर वक्त पाटलिपुत्र के लिए रवाना हुआ. लेकिन जब वह मार्ग में ही था तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई. पाटलिपुत्र पहुंचने के बाद उसने सिहासन पर अधिकार करने का प्रयास किया. चूंकि वह सम्राट का सबसे बड़ा पुत्र नहीं था. अतः उसे राजसिंहासन के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. युवराजओं के बीच राजसिंहासन के लिए हुए संघर्ष में उसने जीत हासिल की और 269 ईसा पूर्व में उसका राज्याभिषेक हुआ.

कलिंग विजय

सिहासन संभालने के बाद सम्राट अशोक ने अपने साम्राज्य का विस्तार किया. उसके शासनकाल में उसके पड़ोसी राज्य कलिंग एक शक्तिशाली साम्राज्य के रूप में उभरता जा रहा था. उसकी निरंतर बढ़ती हुए शक्ति मौर्य साम्राज्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रही थी. अतः  अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए कलिंग की शक्ति को रोकना अशोक के लिए आवश्यक था. इसके अलावा कलिंग की बढ़ती शक्ति मौर्य साम्राज्य के समुद्री तथा स्थल मार्ग के व्यापार के लिए भविष्य में अवरोध बन सकता था. अतः इसी कारण इसकी बढ़ती हुई शक्ति को रोकना बहुत ही आवश्यकता था. अतः सम्राट अशोक ने 261 ईसा पूर्व में कलिंग पर आक्रमण किया. इतिहासकारों के अनुसार कलिंग भी एक अत्यंत शक्तिशाली राज्य था. उसकी सेना में 60,000 पैदल सैनिक, 1,000 घुड़सवार सैनिंक और 700 हाथी थे. अशोक की सेना भी अत्यंत शक्तिशाली थी. अतः दोनों पक्षों में भीषण संघर्ष हुआ. कलिंग के निवासियों ने अत्यंत बहादुरी के साथ सम्राट अशोक की सेना का सामना किया. अपनी स्वतंत्रता रक्षा के लिए कलिंग की स्त्रियों और पुरुषों दोनों ने मिलकर अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी. अतः इस युद्ध में भीषण रक्तपात हुई जिसके कारण लाखों लोग मारे गए और लाखों घायल हुए. कई गुना संपत्ति का नुकसान हुआ. इस युद्ध में हुए भीषण रक्तपात को देखकर अशोक के ह्रदय द्रवित हो उठा और पश्चाताप से भर गया. फिर उसने युद्ध की नीति को हमेशा के लिए त्याग दिया और उसने बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया. कलिंग युद्ध में हुए नरसंहार और वहां की जनता के कष्ट को देखकर अशोक द्रवित हो गया था.

सम्राट अशोक के प्रारंभिक जीवन तथा कलिंग विजय

अशोक के इस युद्ध के बाद युद्ध नीति के स्थान पर बौद्ध धर्म को अपनाया. उसने इसका नवीन स्वरूप धम्म के सिद्धांतों को देश-विदेश तक फैलाने की कोशिश की. उसने कलिंग तथा अपने सीमावर्ती लोगों के साथ अच्छी तरह व्यवहार आने के आदेश जारी किए.  कलिंग को जीतने के बाद उसे मगध साम्राज्य का अंग बना दिया गया.

कलिंग युद्ध सम्राट अशोक के जीवन का अंतिम सैनिक अभियान था. इसके बाद उसकी शांति, अहिंसा और प्रेम की नीतियों ने उसे इतिहास में अमर बना दिया. इतिहासकारों के मुताबिक कलिंग के युद्ध इतिहास में एक निर्धारण घटना थी. इस युद्ध ने एक नवीन युग को जन्म दिया. इसका भारतीय इतिहास पर बहुत ही दूरगामी परिणाम हुए.

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1 thought on “सम्राट अशोक के प्रारंभिक जीवन तथा कलिंग विजय का वर्णन करें”

  1. मैं बीए प्रथम वर्ष की छात्रा हूं मेरा विषय इतिहास है मुझे बहुत से प्रश्न के उत्तर ढूंढने पर भी नही मिल पाते ।

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