सम्राट अशोक को महान क्यों कहा जाता है? उनके महानता के कारणों का मूल्यांकन करें

सम्राट अशोक

भारतीय इतिहास में सम्राट अशोक को महानतम सम्राटों में से एक माना जाता है. इसने अपने साम्राज्य की सीमाओं का विस्तार किया और इसकी ख्याति को चरम सीमा पर पहुँचाया. अपनी प्रजा को खुशहाल बनाने की कोशिश की. बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को अपनाकर विश्व को शांति, अहिंसा और प्रेम का पाठ पढ़ाया.

सम्राट अशोक को महान क्यों कहा जाता है?

सम्राट अशोक के महानता के कारण

1. सम्राट अशोक का व्यक्तित्व एवं आदर्शवादिता

सम्राट अशोक बचपन से बड़े प्रतिभावान और अद्भुत योग्यता वाले थे. यही वजह से बिन्दुसार ने उसे साम्राज्य में होने वाले विद्रोहों को दबाने  भेजा. अशोक ने अपने सूझबूझ से इन विद्रोहों हो सफलतापूर्वक दबा दिया. सम्राट अशोक ने अपने शाशनकाल के दौरान सामाजिक, राजनितिक तथा धार्मिक क्षेत्रों में भी महान आदर्शों का पालन किया. उसने अपनी जनता के लिए जनकल्याण के कार्यों को करते हुए उसे सुख और समृद्धि के पथ पर अग्रसारित किया. धार्मिक क्षेत्रों में भी उसने जनता को विश्वशांति  सिद्धांतों से परिचय कराया. उससे धार्मिक उदारता और सहिष्णुता का परिचय दिया. ऐसे उच्च आदर्शों के वजह से वह महान सम्राट कहलाने वाले आदर्शों की और अग्रसर होते चला गया. 

2. एक महान विजेता 

इतिहासकार उसे महान विजेता के रूप में भी जानते है. ये उस विजय के बारे में नहीं जिसे उसने युद्धभूमि में हासिल की, बल्कि यह उस विजय के बारे कहा गया जिसमें उसने धम्म के आदर्शों को अपनाकर हासिल की. यह विजय उसने तलवार से नहीं वरन शांति, अहिंसा और प्रेम रुपी अस्त्र-शास्त्रों से सुसज्जित होकर प्राप्त किया था. उसने विश्व को युद्धों के भीषण नरसंहार और रक्तपात से बचाकर अहिंसा, प्रेम और  मानवता का पाठ पढ़ाया था. यही वजह से इतिहासकार उनको एक महान विजेता  में जानते हैं. 

सम्राट अशोक को महान क्यों कहा जाता है?

3. राष्ट्रीय एकता प्रदान करना

सम्राट अशोक ने देश को राजनीतिक एकता के एकसूत्र में बाँधने का भी प्रयत्न किया. उसने सांस्कृतिक और धार्मिक क्रियाकलापों के द्वारा राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ किया. उसके शासनकाल में पाली भाषा भारत की राष्ट्रभाषा बन गई थी. उसने धम्म के सिद्धांतों का प्रचार कर जनता में आपसी प्रेम और मेलमिलाप को बढ़ावा दिया, जिससे देश में एकता की भावना बढ़ती चली गई.  

4. महान शासक

सम्राट अशोक एक महान शासक था. उसने अपने उज्जवल चरित्र और उच्च आदर्शों को अपने राज्य के अधिकारियों और जनता के सामने प्रस्तुत किया. उसने जनता को सत्य के मार्ग की ओर अग्रसर किया. इतने शक्तिशाली शासक होने पर भी स्वयं को सरल और दयालु बनाया और जनता के समक्ष खुद को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया. वह अपनी प्रजा को एक संतान के रूप में चाहता था. उसकी इन्हीं गुणों ने उसे एक महान शासक के रूप में पहचान दी.

सम्राट अशोक को महान क्यों कहा जाता है?

5. उदारता एवं लोकहित कार्य

सम्राट अशोक केवल मनुष्य के लिए ही नहीं बल्कि संपूर्ण प्राणियों पर भी दया की भावना रखता था. यही वजह है कि उसने पशुओं की बलि पर भी प्रतिबंध लगा दिया था (कई विद्वान दावा करते हैं कि वध पर प्रतिबंध नहीं लगाए थे). इसके अलावा लोकहित और प्रजा की भलाई के लिए बहुत से कार्य किए. उन्होंने छायादार वृक्षों को लगवाया, धर्मशालाएं बनवाई, तालाब और कुंए खुदवाए, औषधालयों का निर्माण किया. इसके अलावा उसने मनुष्य और पशुओं के हित में बहुत से कार्य किए. सम्राट अशोक के लोकहित में किए गए कार्यों का वर्णन कालसी के शिलालेख पर उल्लेख है.

6. धार्मिक नीति एवं धार्मिक सहिष्णुता

सम्राट अशोक को सबसे ज्यादा प्रसिद्धि उसके धार्मिक कार्यों के कारण मेले अशोक का महत्व है. शासक के अपेक्षा एक धर्म प्रचारक के रूप में सबसे ज्यादा पहचान है. कलिंग युद्ध के पश्चात वह बौद्ध धर्म को ग्रहण कर उसके नवीन रूप धम्म के रूप में लोगों के सामने प्रस्तुत किया. अशोक ने चार आर्य सत्य व कठोर अष्टांगिक मार्ग के स्थान पर बौद्ध धर्म का एक सरल और वो जागरूक जनता के सामने प्रस्तुत किया. अशोक में माता-पिता गुरुजनों का सेवा करना ब्राह्मण शिरोमणि संबंधी मित्रों वृद्धों के प्रति दान, दया तथा तहसील के साथ अच्छा व्यवहार करने कोई धर्म का पालन करना बताया. साथ ही उसे बाप से दूर रहने के लिए भी उन्हें प्रेरित किया.

सम्राट अशोक को महान क्यों कहा जाता है?

7. कर्तव्यनिष्ठ शासक

अशोक कर्तव्यनिष्ठा की प्रभावना की तरह कर्तव्यों को पूरा करने में वह कभी पीछे नहीं हटता. उसने उसके अनुसार अपनी प्रजा के कल्याण साधन से अधिक कोई और दूसरा बड़ा कार्य नहीं है. उसके लिए प्रसिद्ध है ऐश्वर्य अधिगम मूल्य वही तथा जहां जिसके द्वारा लोगों को लोगों में सदाचार सद्भाव और सुख को बढ़ाया जा सके. उसके साम्राज्य का भी विशाल होने के बावजूद हर क्षेत्र की जनता तक पहुंचने तथा उनसे संपर्क बनाए रखने को महत्व देता था. उसने अपने अधिकारियों को भी करता था कि प्रजा के समुचित रक्षा करना उनका धर्म है.

मूल्यांकन

सम्राट अशोक के व्यक्तिगत जीवन तथा उसके द्वारा किए गए कार्यों की विश्लेषण करने पर हम पाते हैं कि वह निःसंदेह एक महान शासक था. उसने अपने शासनकाल ने न सिर्फ अपने साम्राज्य को ढृढ़ता प्रदान की, बल्कि उसने एक विशाल साम्राज्य की भी स्थापना की. उसने देश को एक राजनीतिक सूत्र में बांधने में भी सफलता पाई. उसने धम्म के आदर्शों को अपनाकर लोगों के हृदयों पर जीत हासिल की. यह विजय उसने तलवार से नहीं वरन शांति, अहिंसा और प्रेम रुपी अस्त्र-शास्त्रों से सुसज्जित होकर प्राप्त किया था. उसने विश्व को युद्धों के भीषण नरसंहार और रक्तपात से बचाकर अहिंसा, प्रेम और  मानवता का पाठ पढ़ाया था.

सम्राट अशोक को महान क्यों कहा जाता है?

इसके अलावा सम्राट अशोक ने लोकहित और प्रजा की भलाई के लिए बहुत से कार्य किए. उन्होंने सड़क के किनारों पर छायादार वृक्षों को लगवाया, धर्मशालाएं बनवाई, तालाब और कुंए खुदवाए, औषधालयों का निर्माण किया. इसके अलावा उसने मनुष्य और पशुओं के हित में बहुत से कार्य किए. उसके साम्राज्य का भी विशाल होने के बावजूद हर क्षेत्र की जनता तक पहुंचने तथा उनसे संपर्क बनाए रखने को महत्व देता था. उसने अपने अधिकारियों को भी प्रजा के हितों की समुचित रक्षा करने तथा उनकी भलाई के लिए कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया. उनके द्वारा किए गए कार्यों को देखकर उनकी महानता से इंकार नहीं किया जा सकता.

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