इंग्लैंड में हुए औद्योगिक क्रांति के क्या परिणाम हुए?

इंग्लैंड में हुए औद्योगिक क्रांति

औद्योगिक क्रांति विश्व इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इसके कारण यूरोपीय देशों में महत्वपूर्ण बदलाव हुए. औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में हुई थी. इसके बाद अन्य देशों तक इसकी असर देखी गई. औद्योगिक क्रांति ने इंग्लैंड के आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव डाला.
इंग्लैंड में हुए औद्योगिक क्रांति

इंग्लैंड में हुए औद्योगिक क्रांति के परिणाम

1. आर्थिक प्रभाव

औद्योगिक क्रांति से पहले इंग्लैंड की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, लेकिन अचानक हुए इस औद्योगिक क्रांति ने इंग्लैंड के आर्थिक क्षेत्र में बहुत ही प्रभावशाली बदलाव ला दिया. इससे पहले इंग्लैंड एक कृषि प्रधान देश हुआ करता था लेकिन क्रांति के बाद इसे यह औद्योगिक देश के रूप में बदल गया. इंग्लैंड इंग्लैंड में नए-नए आविष्कारों अविष्कार हुए और कारखानों की संख्या कारखानों और उद्योगों की संख्या में भारी वृद्धि हुई. बड़े बड़े उद्योगों के खुलने के कारण कुटीर उद्योग खत्म हो गए. धनी और धनी बनते चले गए गरीब और गरीब होते चले गए. पूंजीपतियों की संख्या बढ़ने के कारण पूंजीवाद का जन्म हुआ. पूंजी बढ़ने के कारण बैंकों का जन्म हुआ. 1750 ई. तक इंग्लैंड में केवल 10-12 बैंक हुआ करते थे, लेकिन 1793 ई. तक पहुंचते-पहुंचते इसकी संख्या लगभग 400 तक पहुंच गई. इंग्लैंड के व्यापार में भी काफी उन्नति हुई. व्यापार के कारण पूरे संसार से इंग्लैंड में धन आने लगा. इंग्लैंड में कल-कारखानों के अलावा शहरीकरण भी बहुत तेजी से हुआ. पक्के और सुंदर मकान बनाए जाने लगे. भूमि के मूल्य बढ़ जाने के कारण कुलीन वर्ग को काफी लाभ पहुंचा.

इंग्लैंड में हुए औद्योगिक क्रांति

2. सामाजिक प्रभाव

औद्योगिक क्रांति ने इंग्लैंड के समाज को दो भागों में बांट दिया. एक पूंजीवादी वर्ग और दूसरा मजदूर वर्ग. दोनों के बीच की असमानताएं बढ़ती चली गई. एक वर्ग के पास भरपूर धन था, ऊंचे-ऊंचे और शानदार मकान थे, आनंद और विलासिता से भरपूर थी. लेकिन दूसरे वर्ग के पास निर्धनता थी, उन्हें गंदी कोठियां रहने को मिलती थी, खाने को रुखा-सुखा भोजन मिलता था. छोटे-छोटे बच्चों को भी 16-16 घंटे काम करना पड़ता था. उन्हें कारखानों की गंदगी, सीलन और दुर्गंध झेलना पड़ता था. इसके कारण उनके स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ने लगा. ऐसे में बहुत से मजदूर बीमार पड़ने लगे. कई मजदूर कारखानों में काम करते समय घायल हो जाते थे. ऐसे घायल अथवा रोगी व्यक्तियों को काम से मुक्त कर दिया जाता था. उन्हें किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति राशि नहीं दी जाती थी. नगरों की संख्या बढ़ रही थी और आबादी भी बढ़ती जा रही थी. ऐसे में मकानों का निर्माण तेजी से होता जा रहा था, लेकिन स्वास्थ्य का ध्यान नहीं दिया जाता था. नगर गंदगी से परिपूर्ण होते थे. नगरों में सबसे अधिक व्यापारी तथा मजदूर रहते थे. व्यापारियों की दशा तो ठीक थी लेकिन मजदूरों की स्थिति बहुत ही दयनीय थी. सिडनी वेब के अनुसार औद्योगिक क्रांति ने मजदूर को अपने ही देश में एक भूमिहीन परदेसी बना दिया था.

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3. राजनीतिक प्रभाव

इंग्लैंड प्रजातंत्र शासन प्रणाली थी लेकिन इस औद्योगिक क्रांति ने इंग्लैंड में पूंजीपतियों के प्रभाव को काफी बढ़ा दिया था. वे धन का लालच देकर वोट लेने की प्रयास करने लगे. संसद में भी पूंजीपतियों की संख्या काफी बढ़ गई थी. वे अपनी सुविधाओं का ध्यान रखते थे लेकिन गरीब जनता की सुख-सुविधाए. का ख्याल ही नहीं था. कारखानों की अवस्था, मजदूरों की निर्धनता तथा देश की दुर्दशा को देखकर कुछ विचारको में इसमें कुछ सुधार करना चाहा. इससे समाजवाद और साम्यवाद का उदय हुआ. उन्होंने पूंजीपतियों के अत्याचारों के तथा शोषण के विरुद्ध आवाज बुलंद की.  इससे सरकार को विवश होकर फैक्ट्री एक्ट बनाने पड़े. बेकारी की समस्या ने सरकार व जनता को परेशान कर दिया. कुछ लोगों ने मशीनों का विरोध किया. अनेक स्थानों पर दंगे हुए. कई जगह कारखानों में आग लगा दी गई. सरकार ने विद्रोह को दबाने के लिए कुछ विद्रोहियों को पकड़कर फांसी दी.

इंग्लैंड में हुए औद्योगिक क्रांति

पूंजीपतियों और मजदूरों के बीच में भी संघर्ष हुआ. अंत में मजदूरों की सुविधाओं की मांग को सरकार को माननी पड़ी. उद्योग-धंधों के विकास से बहुत सा सामान तैयार होने लगा. उसे खपाने के लिए नए-नए बाजारों की खोज हुई. जनसंख्या बढ़ने के कारण उसे बसाने की समस्या भी आई. साम्राज्यवाद का विकास हुआ. यातायात की सुविधा से जनता को लाभ हुआ और शासन चलाने में सुविधा हुई. रेलवे और तार के प्रयोग से सरकार की शासन में स्थायित्व आई. राज्य में अनेक नियम पारित हुए. एंसर का कथन है 19वीं शताब्दी में होने वाले संसदीय सुधार औद्योगिक क्रांति के कारण ही हुए थे.

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