1921-22 के वाशिंगटन सम्मेलन
12 नवंबर 1921 से 6 फरवरी 1922 तक अमेरिका के वाशिंगटन में एक सम्मेलन की आयोजित की गई. इस सम्मेलन में अमेरिका तथा यूरोपीय देश शामिल हुए थे. इस सम्मेलन को वाशिंगटन सम्मेलन के नाम से जाना जाता है.
1921-22 के वाशिंगटन सम्मेलन के कारण
1. जापान की बढ़ती सैन्य शक्ति की चिंता
प्रथम विश्व युद्ध से पहले से ही जापान अपनी सैन्य ताकत बढ़ाना शुरू कर दिया था. प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी को हार का सामना करना पड़ा. इस बीच में बोल्शेविक क्रांति होने के कारण रूस भी कमजोर हो गया. ऐसे में सुदूरपूर्व में जापान स्वतः ही एकमात्र महाशक्ति बन गया. ऐसे में जापान चीन पर अपना एकाधिकार करना चाहता था वहीं अमेरिका चीन में उन्मुक्त व्यापार के पक्षपाती थी. जनवरी 1916 में जापान ने चीन पर अपनी 21 सूत्रिय मांगों को मानने पर दबाव डाला. इन मांगों में विभिन्न बंदरगाहों के रास्ते जापान के लिए खोलने, चीन के साथ कोयले और लोहे का व्यापार संबंधी सुविधाएं देने जैसी मांगें थी. चीन के द्वारा जापान के इन मांगों को स्वीकार करने का मतलब है जापान का चीन का संरक्षक बन जाना. ऐसे में चीन में अमेरिका की मुक्त द्वार नीति का अवमानना होना तय था. अतः अमेरिका ने जापान के ऐसे मांगों का विरोध किया और कहा कि “संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार किसी ऐसे समझौते को स्वीकार नहीं करती जिससे संयुक्त राज्य अमेरिका के संधियों द्वारा प्राप्त अधिकारों को और चीन की राजनीतिक या प्रादेशिक अखण्डता को या मुक्त द्वार नीति को कोई आंच पहुंचती हो.” विश्व युद्ध के बाद जापान शाण्टुंग और प्रशांत में स्थित जर्मनी टापुओं पर कब्जा करना चाहता था लेकिन फ्रांस और ब्रिटेन इसके खिलाफ थे. इधर अमेरिका ने यूरोपीय देशों और जापान के बीच हुई संधियों को मानने पर इंकार कर दिया.
2. आंग्ल-जापान संधि
1902 में हुए आंग्ल-जापान संधि ने अमेरिका को सशंकित कर दिया. इस संधि के अनुसार अगर अमेरिका जापान पर हमला करता है तो इंग्लैंड जापान का साथ देगा. 1911 में इस संधि के नवीनीकरण ने अमेरिका को यकीन दिला दिया कि एशिया में जापानी हितों का साथ इंग्लैंड देगा. अमेरिका को सशंकित देखकर इंग्लैंड को स्पष्ट करना पड़ा कि ये संधि केवल रूस और जर्मनी के खतरे से संबंधित है.
3. नौ सैन्य शक्ति में शत्रुता
अमेरिका और जापान के बीच में नौ-सैनिक शत्रुता इतनी बढ़ गई थी कि दोनों देश अपनी-अपनी नौ सेना की ताकत तेजी से बढ़ाने लगी. इसी बीच इंग्लैंड की अमेरिका-जापान युद्ध से दूरी बनाए रखने की स्पष्टीकरण से जापान समझ गया कि उसे इंग्लैंड और अमेरिका के संयुक्त नौ-सैन्य शक्ति के बराबर अपनी शक्ति का विकास करना होगा.
इस प्रकार अमेरिका और जापान के बीच बढ़ती तनाव को देखकर दोनों के बीच होने वाले संभावित युद्ध और तनाव को कम करने के लिए वाशिंगटन सम्मेलन आयोजित की गई.
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